Saturday, March 30, 2019

मज़ार मेरी बने और चादर तेरी चढ़ जाए

25/03/2019

ये दिल समझता ही नही की तू मेरी नही ,तुझे मुझसे मोहबत नही ,तुझे मेरी कोई फिक्र नही,तेरी ज़िन्दगी में मेरी कोई अहमियत नही ।
कोई आस है जो टूटती नही ।रास्ता भी तू नही,मंज़िल भी तू नहीँ फिर भी हर सफर हमसफर तू है ।
तुझसे ज़ाहिर करु ना करू, मोहबत करु या ना करु अब ये सवाल नही है ,तेरे बिना कैसे रहू,तेरे बिना सांसें कैसे लू अब ये सवाल है ।
बहुत आसान है तुझे बिना कुछ कहे दूर चले जाना,मुश्किल है वो जगह ढूंढना जहाँ तू नहीँ ।
कोई तरकीब कर की तू मेरी ना हो के भी मेरी हो जाये, जो फासले है तेरे मेरे दरमियाँ वो मिट जाये ।
एक बार आ के की तेरी रूह से मेरी रूह रूबरू हो जाये। या तो कोई उम्मीद पूरी कर दे या ऐसे नाउम्मीद कर जा की कोई आस बाकी ना रहे ।
ये जो सांसे टिकी है तेरे इंतेज़ार में,इनका भी कुछ तो फ़ैसला हो जाये ।जो सिलसिले है बरसों से मुसलसल,उनको मुक़म्मल कर जाए ।
ये जो रातों को उठ उठ के तुझे तलाशता हूँ सिरहाने ,उस तड़प को सुकून का वो पल दे जाए ।
दुआ कर मेरे साथ एक आखिरी बार, की वो दुआ क़बूल हो जाये। मज़ार मेरी बने और चादर तेरी चढ़ जाए।

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