Sunday, August 18, 2019

एक दूसरे से जुदा होकर दोनों ने खुद को पा लिया था

हम दोनों खड़े थे दरवाज़े के चौखट पे, आंखों में आँशु लिए, गले में वो शब्द लिए जो कह नही सकते थे एक दूसरे से ।
कितनी अजीब जगह मिल रहे थे हम दोनों, शायद वो चौखट ही हमारी ज़िंदगी को बयां कर रही थी ,
हम दोनों भी तो चौखट के दो हिस्से ही थे,जो कभी मिल नही सकते थे,बस एक दूसरे को देख सकते थे ,
अपने अपने हिस्से से एक दरवाज़े की सारी जिम्मेदारी संभाल रहे थे । दिल का जो दर्द था वो गले में रुंध गया था,
आंखों से जो बह रहा था वो गले में रुंधे शब्दों को बाहर निकल ने से रोक रहा था।
बहुत कुछ हो सकता था, कहा सुना जा सकता था , पर दोनों ने आंखों में दिल का नमक रख लिया और चुपचाप सिसकते रहे ।
दोनों सारी जिंदगी एक दूसरे का दर्द लिए जीते रहे,एक दूसरे के लिए मरते रहे। दोनों चैन से जी ना सके,तड़पते रहे,तरसते रहे ।
बैरागी से थे दोनों संसार में रहते रहते बैराग खोज लिए थे । खुद में खुद हंसते थे,खुद में खुद रोते थे और खुद को खुद समझ बुझा लेते थे ।
दुनिया में हो के भी दुनिया की ज़रूरत नही थी | एक दूसरे से जुदा होकर दोनों ने खुद को पा लिया था ।

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