Saturday, March 30, 2019

मज़ार मेरी बने और चादर तेरी चढ़ जाए

25/03/2019

ये दिल समझता ही नही की तू मेरी नही ,तुझे मुझसे मोहबत नही ,तुझे मेरी कोई फिक्र नही,तेरी ज़िन्दगी में मेरी कोई अहमियत नही ।
कोई आस है जो टूटती नही ।रास्ता भी तू नही,मंज़िल भी तू नहीँ फिर भी हर सफर हमसफर तू है ।
तुझसे ज़ाहिर करु ना करू, मोहबत करु या ना करु अब ये सवाल नही है ,तेरे बिना कैसे रहू,तेरे बिना सांसें कैसे लू अब ये सवाल है ।
बहुत आसान है तुझे बिना कुछ कहे दूर चले जाना,मुश्किल है वो जगह ढूंढना जहाँ तू नहीँ ।
कोई तरकीब कर की तू मेरी ना हो के भी मेरी हो जाये, जो फासले है तेरे मेरे दरमियाँ वो मिट जाये ।
एक बार आ के की तेरी रूह से मेरी रूह रूबरू हो जाये। या तो कोई उम्मीद पूरी कर दे या ऐसे नाउम्मीद कर जा की कोई आस बाकी ना रहे ।
ये जो सांसे टिकी है तेरे इंतेज़ार में,इनका भी कुछ तो फ़ैसला हो जाये ।जो सिलसिले है बरसों से मुसलसल,उनको मुक़म्मल कर जाए ।
ये जो रातों को उठ उठ के तुझे तलाशता हूँ सिरहाने ,उस तड़प को सुकून का वो पल दे जाए ।
दुआ कर मेरे साथ एक आखिरी बार, की वो दुआ क़बूल हो जाये। मज़ार मेरी बने और चादर तेरी चढ़ जाए।

कोई है नहीं जिस से कह सकु, इसलिए लिख रहा हूँ

Date : 29/11/2018

मैं दुनिया से खफा हूँ या दुनिया मुझसे, कुछ पता नहीं
बस एक नाराज़गी की लहर महसूस होती है हर जगह ।
कोई कुछ कहता नहीं, सब बनावटी सी बातें करते है,दिखावे के लिए हँसते है ।
कोई अपना कुछ कहता नहीं , कोई अपना सा लगता नहीं । कोई रिश्ता अब रिश्ते निभाता नहीं ।
सब का स्वाभिमान, सब का अहंकार सबसे बड़ा हो गया, जो त्याग था जो बलिदान था सब भूतकाल हो गया ।
जिस को बनाने के प्रयास में अरसा गुज़रा, एक पल लगा उसको बिखरने में ।
जिस मोह्बत को खुले हाथों से बांटता रहा,उसी मोह्बत ने ख़ुद से महरूम रखा। इस जहान का होके भी इस जहान का हो ना सका ।
दुनिया मुझे समझ ना सकी, मैं दुनियादरी कर ना सका ।किसी से नाराज़ नहीं बस खुद से बहुत ख़फ़ा हूँ ।
कोई है नहीं जिस से कह सकु, इसलिए लिख रहा हूँ ।

तुझे अपने दिल के तख्त पे बिठाया है

तेरे नाम पे आज भी महफिले सजती है,
तेरी बातों के बहाने बहाने से ज़िक्र होते है,
तेरी हर अदा पे, हम दिल पे हाथ रख आहे भरते है
तेरी इतर की खुशबू पाने के लिये सारे घर की खिड़की दरवाज़े खोल के रखते है ।
तू जिस जगह से गुजरती है, हम घंटों बैठ तुझे वहां महसूस करते है ।
तुझे एक नज़र देखने के लिए जाने कितने झरोखे से झांकते रहते है ।
तू जब चलते चलते पीछे पलट के देख लेती है, हम अमीन कहते है ।
जिंदगी के हर अंधेरे को तेरी आँखों की चमक से रोशन किया है ।
तेरे लबों से अपनी मटमैली जीवन में सुर्ख लाल रंग भरा है ।
तेरे लायक दुनिया में कोई जगह सही लगी नहीं इसलिए तुझे अपने दिल के तख्त पे बिठाया है ।

ज़िन्दगी के बहीखाते में नुकसान ज्यादा कर गए ।

Date 28/08/2018

बड़े बड़े अरमान बड़े बड़े सपने ले के ,
अपना घर सारे रिश्ते नाते सब पीछे छोड़
निकला था कुछ कमाने ।
आज पलट के देखता हूँ तो लगता है
कुछ कमाने की ये कीमत चुकाई है मैंने ।
जाने क्या क्या गवाया है मैंने ।
जिन अपनों की खुशी के लिए सब कुछ गवाया
वो अपने ऐसे रूठे की वो कभी खुश ना हुए ।
रिश्ते थे पर पहले जैसी बात नही थी,
जब दुख था , सब साथ थे
सुख में सब एकांकी हो गए ।
जो घर था अब मेरे लिए एक सराय हो गया
जाने के पहले आने की तारीख तय होती गई।
जो बचपन की दोस्ती थी,
अब बचपन में ही सिमट के रह गयी ।
देखते देखते ज़िन्दगी इतने आगे ले गयी,
की मुड़ के देखे मुदत हो गयी ।
खुल के जीते जी, जाने कब बक्से में बंद हो गई ।
पहले गैरो के बीच भी अपनापन था,
अब अपनों में भी मुहाजिर कहलाने लगे ।
एक उम्र लगाई जिसे बनाने में,
एक घड़ी लगी उसको उजाड़ने में ।
ज़िन्दगी है कि छलावा जो नही मांगता वो मेरा हुआ
जो बिन मांगे मेरा था वो पराया हो गया ।
आज कीमत तो अदा कर दु वो पाने के लिए जो गवाया है , पर वो सब अब अनमोल हो गया ।
हर चीज़ को पकड़ने की बहुत कोशिश की,
पर हर चीज़ सूखी रेत की तरह हथेलियों से फिसलती गई ।
किसी पे कोई अधिकार नही रहा, कोई मनाने नही आएगा इसलिए रूठना भूल गए ।
कमाते कमाते इतने बदल गए कि आईने में खुद को देख के चौकने लग गए ।
भरे बाजार बोली लगती गयी, हम बिकते रहे और खरीदे भी नही गए ।
कहने सुनने को बहुत कुछ था , कोई दिल पे हाथ रख देता तो आंखे छलक जाती,
किसी ने दिल टटोला नहीं और हम मुस्कुराते रह गए ।
बहुत कुछ खाली था , जाने क्या क्या भरते गए।
बुरा किसी का चाहा नही , भला किसी का कर नही गए ।
मन्नत मांगी कि सब खुश रहे, मन्नत अधूरी रह गयी ।
खाली हाथ घर से निकले थे, खाली हाथ ही रह गए।
ज़िन्दगी के बहीखाते में नुकसान ज्यादा कर गए ।
---- राज

मैं पेड़ हूँ , मेरी जड़े बहुत गहरी है

Date : 07/07/2018

मैं पेड़ हूँ , मेरी जड़े बहुत गहरी है ।
हर मौसम को सहता हूँ ,
कभी उफ्फ तक नही करता, कभी किसी से कोई शिकायत नही करता।
कभी किसी से कुछ मांगा नही,
बस जितना जो बन पड़ा दिया है ।
सब की सुन लेता हूँ, अपनी किसी से कहता नही ।
आंधी तूफानों से डरता नहीं, अपनी जगह से हिलता नही ।
जाने कितने पत्थर खाये, चोटो का कोई हिसाब नही,
पर किसी से मरहम की कोई उम्मीद नही ।
स्थिर हूँ , डगमगाता नही।
एक जगह हो के भी अपनी स्थिति से कोई सिकवा नही
मैं अपनी रफ्तार से चलता हूँ ।
किसी से बड़ा होने की, किसी को छोटा करने की कोई मनसा नहीं ।
बस मैं खुद किसी को छाया दे सकू इतनी ही जदोजहद है ।
जब तक जीवित हूँ, अपना धर्म निभाता रहूंगा
मैं पेड़ हूँ, सब का साथ निभाता रहूंगा ।
- राज

Happiness is

Happiness is when you look into my eyes and just smile.
Happiness is when you search for me in crowd.
Happiness is when you ask me whether I had proper meal.
Happiness is when you hold my hand in your hand.
Happiness is when you hug me tightly.
Happiness is when you kiss my forehead out of love.
Happiness is when you call or message me.
Happiness is when you take stroll with me.
Happiness is when you laugh with me.
Happiness is when you send your pics.
Happiness is when you wear my favourite dress.
Happiness is when you sip tea with me.
Happiness is when you feed me with your hand.
Happiness is when you lean to rest your head on my shoulder.
Happiness is when you sit beside me.
Happiness is when you tell me your story.
Happiness is when you say my name with affection.

Dream Dairy Post

Dream Dairy Post


Date : 11/05/2018


I opened the door of our home, You entered wearing a red colour saaree and sat on single chair Sofa. Just after sitting, You hold me and started kissing me. I just woke up by that sudden events and realised that it was my dream where you have occupied the entire space of my heart & mind. 


=> I slept after that dream, but You didn't went far away. Again You came back, It was your birthday and I had brought a red velvet cake to celebrate the most important day of my life. I put some cake on your cheeks and let you eat a piece of cake from my hand. You also fed me some cake from that same piece. Again we started kissing each other profusely. Holding each other so tightly as if we have been drifted apart for so long and we wanted to make up for that longingness. Don't know how long we kissed, cried and remain in each other arms.

Then I saw that we live together, and you were taking care of my each and every thing. You were asking me whether I need any help in cleaning my legs or should you bring me towel.

I am not able to figure out why I saw that. But after that I was not able to sleep.


** I was missing you like a thirsty person look for water in desert. I don't know what bond we share. 

I always say that you are part of me and indeed you are becoming part of me, if not in real life be it a dream. But you are completely mine. We both are mad for each other. No one will be able to understand our madness, what we talk, Why we laugh. My mind and me are completely naked in front of you, I can't hide any emotions. Whatever feelings, emotions run through me, I convey it to you. I can't lie, I am atmost honest to you. Whatever bond we share can't be explained. You never judged me and I never judged you. We both can say anything to each other. 

जिस के तुम लायक नहीं थी

ऐसा क्यों था की सब के लिए इतना सोच के ,अच्छा कर के भी मैं तन्हा था ।
बड़ी आसानी से जहां तुम मेरे साथ जैसे बने वैसा व्यवहार कर लेती थी ।
कभी भी तुम्हे क्यों खुद में गलत नहीं लगा जब तुम मेरे इतने मेसेज और फ़ोन कॉल का रिप्लाई नहीं करती ।
शायद तुमने मेरी समझदारी को granted ले लिया था , तुम ये समझने लग गयी थी तुम मेरे साथ जैसा बने वैसा सलूक कर सकती हो और मैं कभी भी तुम से नाराज़ नहीं रहूँगा , तुम से दूर नहीं जाऊंगा ।
लेकिन तुम ये भूल गयी थी की मेरी समझदारी की भी एक सीमा थी ,जिस के आगे जाके मेरा आत्मसमान जाग जाता है , मेरा क्रोध भी अपने चरम पे आता है ।
बस कभी किसी पे अपना इतना अधिकार नहीं समझा की क्रोध जाहिर कर दू । बस एक यही कमी थी मुझ में या तुम्हे मैंने मोहबत में वो रुतबा दे दिया जिस के तुम लायक नहीं थी ।

एक इंतज़ार था जो अब मायूस था

एक इंतज़ार था जो अब मायूस था , एक दिल था जो बिखरा था टुटा था , एक वजूद था जो अपना अस्तित्व खो चूका था, तेरा वजूद बनाते बनाते ।
एक दिल था जो तुझसे उस मोहबत की भीक मांग रहा था , जो मोहबत तू उसे कभी दे ही नहीं सकती । तेरे इश्क़ में एक खयाली दुनिया को हक़ीक़त मान लिया था ।
पर अब लगता है जैसे किसी गहरी नींद से जागा हूँ । खुद के सवालों के जवाब भी ठीक से दे नहीं पा रहा हूँ ।
मोहबत की थी, पर ज़िल्लत नसीब हुई । तुझे हँसाते हँसाते मैं खून के आँशु रो लिया ।
पर अब जो उठा हूँ तो खुद को मजबूति से खड़ा करने के लिए । ये नहीं की अब तुझसे मोहबत नही , पर अब खुद से ज्यादा रहेगी ।
जो मेरा वजूद बिखरा हुआ है , जो मेरा अस्तित्व झंझोड़ा हुआ है , उस को फिर से समेटूंगा । अब तक लड़ता रहा तेरे लिए, अब खुद के लिए एक लड़ाई लड़ूंगा ।
फिर एक बार खुद को साबित करूँगा । बहुत बार हुआ है ये किस्सा , अब अपना एक किस्सा लिखूंगा ।
तू एक ऐसी मंज़िल थी , जो मेरे मुक़द्दर में नहीं थी ।
मैं कभी तुझे गलत कहूँगा नहीं, कभी गलत समझूँगा नहीं । तेरी मोहबत ने एक नयी सोच ,नया नजरिया दिया ज़िन्दगी को,खुद को फिर से जान लेने का, एक नया मोड़ देने का ।
ये सब तुझसे कभी कहूँगा नहीं ,पर खुद से कह दिया है ।
अब बेहतर है मेरा रास्ता भी मेरी मंज़िल् की तरह तुमसे अलग हो जाये ।
तुम्हारा रास्ता तुम्हारी मंज़िल तो पहले से ही तय थी , मैं ही रास्ता भटक गया था ।
अपना हाल ऐ दिल जाहीर करने और लिखने से पहले भी जानता था की ये सब बेमानी है ,पर खुश था की एक दबी हुई, छुपी हुई मोहबत को जुबान मिल रही है ।
दिल जो लगता था की पत्थर हो गया है,मिट्टी हट गयी ,अब सीने में धड़कता भी है ।
तेरे इश्क़ से एक नयी हिम्मत मिली की अब बिखारूँगा नहीं, टूटउंगा भी नहीं ।
वही पुराने जोश और जज़्बे से फिर ज़िन्दगी को सलाम कर के, अपनी आखिरी सांस तक लड़ाई लड़ता रहूँगा ।

एक तू ही है जिसको चाहा है सारी ज़िन्दगी

एक तू ही है जिसको चाहा है सारी ज़िन्दगी, एक तू ही है जिसको माँगा है हर इबादत में, कमी है तो तेरी , ज़िन्दगी अधूरी है मेरी ।
जाने ऐसा क्या गुनाह किया ,जिस की सजा मुकर्रर हुई ,तुझसे दुरी । हर पल सोचता हूँ तुझे , हर खवाब में आती है तू , अपने सीने से लगाती है तू ।
कभी बस इतना कर दे इम्तिहान तो बहुत ले लिए तूने मेरे, अब मेरे इश्क़ का नतीजा दे दे , एक तेरा साथ दे दे ।
तेरे लिए तरस तरस के ज़िन्दगी से बैर कर लिया । ज़िन्दगी मेरी हुई , मैं कभी ज़िन्दगी का ना हुआ । मेरी हर ख़ुशी , हर मकाम तुझ से है , तू नहीं तो सब बेमानी है।
आज चल तू ही कह दे क्या करू ऐसा की तेरा साथ मिले, मेरे हाथो में तेरा हाथ मिले । तेरे बिना मेरी रूह काँपती है , फिर भी चलते चलते इतनी दूर आ गया हूँ ।
कुछ पल अब ठहर जाने दे , तेरे आँगन , तेरे आँचल का सहारा दे दे । मैं जानता हूँ तुझे भी मोहबत है , बस तू आँखों में आँशु ला लेती है ,कहती कुछ नहीं ।
जानती है तू जल रहा हूँ तेरे लिए , तेरे बिना ,पर तू अपनी मज़बूरी बता कर जलते देखती है मुझे । मैं जो महसूस करता हूँ ,वो तू भी कर ।
एक बार वो कह दे , एक बार वो कर दे की सारी कसर निकल जाये । एक पल के लिए तू पूरी मेरी हो जा, एक बार लड़ ले सब से मेरे लिए |
तक़दीर से मांग लू तुझे मैं, तू एक दुआ कर मेरे पास होने के लिए । ये जो अधूरा हूँ तेरे बिना , आ एक बार पूरा कर दे ।