Wednesday, June 15, 2016

The fault is within me

You came close to me, You loved me, you cared for me.
All of a sudden you stopped coming close to me, loving me and caring for me.
Once my days were starting with " Good morning " messages from you & nights were filled with " Good night, sweet dreams" messages from you.
Your love turned me into a hopeless teenager. Now that you have left me, I am by me all alone.
I don't even know whether to cry or help myself.
My heart is teared apart. My voice, my words, my feelings are trapped inside.
I have no one to bank upon nor any shoulder to cry and wipe my tears.
The fault is within me, that's the sinking feeling, I am left with.

Tuesday, June 14, 2016

सच्ची मोहबत हमेशा तन्हा होती है

दिल कुछ भारी भारी हो जाता है
जब जब मैं आप से नफरत करने की कोशिश करता हूँ
जाने क्यों मोहबत में उम्मीदें पूरी होने की दुआ कर बैठता हूँ
मोहबत में कँहा किसी की उम्मीदें पूरी होती है
और जिस की होती है फिर वो कँहा पाक मोहबत रहती है
जिस दिन मोहबत को आज़ाद कर दिया उम्मीदों से
मेरी मोहबत को एक नई साँसे मिली और मेरे बंधन खुल गए
माना सच्ची मोहबत में उम्मीदें होती है , जलन होती है
पर एक हक़ीक़त ये भी है ,सच्ची मोहबत हमेशा तन्हा होती है

Friday, June 10, 2016

फुरकत ( Separation)

माना फुरकत ( अलग होना, separation ) ही थी हमारे रिश्ते की मंज़िल
पर जितना भी साथ चले , वो पल यादगार रहे।
तुम शुरू से आखिरी तक कुछ ना बोली
और मैं कभी चुप ना हुआ
तकलीफ शायद तुम को भी बहुत हुई ,
पर तुम ने कभी जाहिर नहीं की
और मेरे लिए मुमकिन नहीं सीने में दबाए रखना
ये हिज्र ( दुःख ) की काली रात हम दोनों के लिए थी
तुमने उस काली रात को काजल बना आँखों में लगा लिया
और उस काली रात का स्याह चादर लपेट सर्द रातों को जागता रहा
जो हुआ अच्छा हुआ
पर फिर मैं वो नहीं रहा ,जो हुआ करता था
तुम वो ना रही है , जो तुम थी
बस हम दोनों ने दर्द के साथ जीना सिख लिया

Wednesday, June 8, 2016

​​" और कुछ नहीं "

​​" और कुछ नहीं " ये अल्फ़ाज़ होते थे हमेशा
वक़्त ऐ रुक्सत अलविदा कहने के लिए
और मैं समझ जाता था उस " और कुछ नहीं " ​ में
दबी हुई उनकी फ़िक्र और बेइंतहा मोहबत मेरे लिए
जानता था वो ज्यादा कुछ और कहेंगी नहीं
उनके बंधन उनकी मज़बूरी बखूबी पता थे मुझे
मैं अपना सार दिल निकल उनके सामने रख देता
और वो एक खिड़की भी खुली नहीं छोड़तीं थी अपने दिल की
ये थी मेरी और उनकी इश्क़ की दास्ताँ
मैं पूरी किताब लिख देता तो भी अधूरा था
और वो चंद अल्फाज़ों में पूरी थी ।

वफ़ा बेवफा के इलज़ाम तब भी होंगे पर तुम मुझसे और मैं तुमसे कभी जुदा नहीं होंगे

सारे रास्ते एक एक कर बंद हो गए
सारी कोशिश नाकामयाब रही
ना तुम मुझसे मिल सकी
ना मैं तुमसे मिल सका
बातें हमारी जंहा थी वहीं रही
दिल के दर्द को नापने का कोई माप ना रहा
तरसते तरसते तुम्हारे लिए
मेरी मोह्बत को फकीरी लग गयी
टूटने का आलम ये था पत्थर भी शर्मिंदा थे
पर्याय था बस जैसे हो हालात को काबू किया जाये
पर तक़दीर को ये भी रास ना आया
मेरे जिगर के लहू से समझौता तैयार किया गया
मैं नहीं था पर मसौदा था
पढ़ते पढ़ते उसने हर शब्द पे बेवफा कहा
अफ़सोस उस की उँगलियाँ मेरे लहू को छू कर भी पहचान ना पाई
और मैं सोचता रहा ता उम्र हम दोनों की रगो में एक खून दौड़ता है
खैर इस जनम के लिए अजनबी अंजान सही
पर कभी तो न्याय होगा
फिर किसी दूसरे जनम में यहीं से शुरू करेंगे जहाँ से छूट रहा है
वफ़ा बेवफा के इलज़ाम तब भी होंगे पर तुम मुझसे और मैं तुमसे कभी जुदा नहीं होंगे ।