Friday, July 23, 2021

कुछ लड़के होते है

कुछ लड़के होते है जो बचपन में ही बड़े हो जाते है. समय के पहले ही परिपक्व और समझदार हो जाते है | वो कभी भी खिलौनों के लिए ज़िद्द नहीं करते | घर की माली हालात को वो बेहतर समझते है इसलिए वो कभी भी दिवाली पे नये कपड़ों , होली में पिचकारियों की खाव्हिश नहीं करते | घर से बाहर जब पढ़ने जाते है, अपना घर , परिवार ,दोस्त यार , गलियां छोड़ , उनको भी दुःख होता है , पर वो किसी से भी कहते नहीं | दिल को मजबूत करना सिख लेते है | शहर में एक छोटे कमरे में अपना एक छोटा घर बनाने की कोशिश करते है , माँ और पिता जब भी फ़ोन कर के पूछते है, भूखा होने पर भी कह देते है की खाना खा लिया है | जितने काम में गुज़ारा चल सके सिर्फ उतना ही पैसा हर महीने घर से मंगवाते है | पैसे किताबों के लिए बचाने के लिए महीने का हाफ टिफ़िन लगवा लेते है | चाय के शौक़ीन होते है, लेकिन सिर्फ खरच काम करने के लिए रूम में ही काली चाय बनाना शुरू कर देते है | ऐसे लड़को की दोस्ती बहुत होती है, ये हमेशा सब के लिए हाज़िर रहते है | रातों को जाग जाग कर के अपनी पढ़ाई पूरी करते है | इनके पास सिर्फ दो ही जोड़ी कपडे होते है, कभी किसी अमीर दोस्त ने मज़ाक कर दिया कपड़ो को लेकर तो हंस के टाल देते है | ये लड़के सच्चा इश्क़ करना जानते है, एक ऐसा इश्क़ जहां उम्मीद नहीं होती | होता है तो सिर्फ एक तरफ़ा सच्चा इश्क़ | ऐसे लड़के कभी किसी से कुछ कहते नहीं , लेकिन सुनने की क्षमता अदभुत रखते है | इनका भी दिल टूटता है पर ये अपने दुःख से खुद को और मजबूत करते है | ये जंगल के पेड़ जैसे बन जाते है , जो हर स्तिथि में जीना सिख लेते है, हर मौसम को आत्मसात कर लेते है | ये कभी किसी से शिकायत नहीं करते है , बस हर समस्या का हल निकलना जानते है | ऐसे लड़कों से कोई नहीं पूछता की "कैसे हो", ये खुद से ही कहते रहते है "बेहतर है, चलो ये भी ठीक है " | ये अपने हर दुःख और दर्द को दफ़न कर आगे बढ़ना जानते है | ऐसे लड़के "देवदास" फिल्म देख के अपने सच्चे प्यार को याद कर आँखे भर लेते है, तनहा हो के रो लेते है | "बर्फी " फिल्म देख सोचते है , इनके लिए भी कोई आएगा अपना सब कुछ छोड़ के , और बस सोच के खुश हो जाते है | जानते है यथार्त में उनके साथ कभी ऐसा कुछ होने वाला नहीं है | लेकिन वो हर पल कुछ भी सोच के खुश होना जानते है | कभी अगर आप किसी ऐसे ही किसी लड़के के करीब आये तो उन्हें अपने सीने से लगा लेना, शायद उनके दुःख दर्द का कुछ हिस्सा बह निकले | थोड़ा समय दे इनकी भी कहानी सुन लेना , जो इन्हो ने कभी कहीं भी कही नहीं , किसी ने सुनी नहीं |

Wednesday, March 18, 2020

ज़िन्दगी का बोझ

उसने मुझसे कहा ज़िन्दगी का बोझ बहुत बड़ा होता है |
मैंने कहा किसी से एक तरफा इश्क़ कर लो
ज़िन्दगी का बोझ छोटा लगने लगेगा | 

बुनियादी फर्क

जैसे तुम मुझे से रूठ जाती हो
वैसे मैं भी रूठ सकता हूँ |
जैसे तुम मुझ से बिना बात किये रह सकती हो
वैसे मैं भी बिना बात किये रह सकता हूँ |
जैसा व्यवहार तुम मेरे साथ करती हो भी
वैसा व्यवहार मैं भी कर सकता हूँ |
जैसे तुम मेरी बिना फ़िक्र किये रह सकती हो
वैसे मैं भी तुम्हारी फ़िक्र किये बिना रह सकता हूँ |
तुममें और मुझमें एक बुनियादी फर्क है
बस वो फर्क हमेशा रहना चाहिए,
उसका ही लिहाज़ कर लेता हूँ |  

Thursday, February 6, 2020

वो भी ऐसा करता है क्या

जैसी फिक्र मैं करता हूँ,
वैसी ही फिक्र वो भी करता है क्या ।
जैसा मैं सब कुछ छोड़ के तुम्हें ध्यान से सुनता हूँ
वो भी ऐसा करता है क्या।
तुम्हें परेशान देख मेरी तरह ही
वो भी विचलित होता है क्या ।
माना जिस्मों का मिलन हुआ होगा उसका तुम्हारा
तुम्हारी रूह से मेरी रूह की तरह उसकी रूह भी जुड़ी है क्या ।
मेरी तरह वो भी यहां वहां की बातें करके तुम्हें हँसाता है क्या ।
मेरे साथ जितना सहेज महसूस करती हो,
उतना ही सहज वो भी तुम्हें महसूस कराता है क्या ।
मैं जैसी तुम्हारी तारीफें करता हूँ
वो भी तुम्हारी ऐसी ही तारीफें करता है क्या ।
मेरे लिए दुनिया में तुम जितनी जरूरी हो,
उस के लिए भी उतनी ही जरूरी हो क्या ।
मैं जब तुम्हारी उँगली पकड़ रोक लेता हूँ,
वो भी ऐसे रोकता है क्या ।
मेरे साथ जो एहसास होता है तुम्हें
वो ऐसा कोई एहसास करता है क्या ।
जैसे मैं तुम्हारी तस्वीरों को चूमते रहता हूँ, वो भी तुम्हारी हर तस्वीर को चूमता है क्या ।
मेरी आँखों में जैसे तुम्हारे लिए पानी आता है,उसकी आँखों में भी तुम्हारे लिए पानी आता है क्या ।
मैं जैसे तड़पता हूँ तुम्हारे लिए,
वो भी ऐसे ही तड़पता है क्या ।
जैसे मैं डरता हूँ हर घड़ी तुम्हे खों देने से,
वो भी ऐसे ही डरता है क्या।

जाने क्यों तुमसे इश्क़ कर रहा था

खुद को बर्बाद कर रहा था,
जाने क्यों तुमसे इश्क़ कर रहा था ।
टूट रहा था बिखर रहा था,
जाने क्यों तुमसे इश्क़ कर रहा था।
पल पल मर रहा था,
जाने क्यों तुमसे इश्क़ कर रहा था ।
दीवानगी की हदें पार कर रहा था,
जाने क्यों तुमसे इश्क़ कर रहा था ।
रो रो के आंखें लाल कर रहा था,
जाने क्यों तुमसे इश्क़ कर रहा था ।
गीता के श्लोक कुरान की आयतें पढ़ रहा था,
जाने क्यों तुमसे इश्क़ कर रहा था ।
फकीरों की मज़ारों पे मन्नत के धागें बांध रहा था,
जाने क्यों तुमसे इश्क़ कर रहा था।
बहाने बहाने से तुम्हारे पास आ रहा था,
जाने क्यों तुमसे इश्क़ कर रहा था।
रगों में अपने ही खून को दौड़ा रहा था,
जाने क्यों तुमसे इश्क़ कर रहा था ।
सब्र को भी सब्र करने को कह रहा था,
जाने क्यों तुमसे इश्क़ कर रहा था ।
चलते चलते पीछे पलट के देख रहा था,
जाने क्यों तुमसे इश्क़ कर रहा था ।
और किसी का ख्याल जेहन में आने नहीं दे रहा था,
जाने क्यों तुमसे इश्क़ कर रहा था ।
दिल को अपने झूठी तसल्ली दे रहा था,
जाने क्यों तुमसे इश्क़ कर रहा था ।
इंतेज़ार करते करते शामें रातें कर रहा था,
जाने क्यों तुमसे इश्क़ कर रहा था ।
खुद की ज़िंदगी बेरंग कर तुम्हारी ज़िन्दगी रंगीन कर रहा था,
जाने क्यों तुमसे इश्क़ कर रहा था।
तुम्हें कद्र नहीं फिर भी भावनाएं व्यक्त कर रहा था,
जाने क्यों तुमसे इश्क़ कर रहा था ।
आसमान के सितारों को तुम्हारी मिसालें दे रहा था,
जाने क्यों तुमसे इश्क़ कर रहा था ।
ईर्ष्या की अग्नि में जल रहा था,
जाने क्यों तुमसे इश्क़ कर रहा था ।
सब कुछ त्याग संन्यासी बन रहा था,
जाने क्यों तुमसे इश्क़ कर रहा था ।
अपना सर्वस्त्र तुम पर न्यौछावर कर रहा था,
जाने क्यों तुमसे इश्क़ कर रहा था ।

Thursday, January 30, 2020

तेरा मेरे इश्क़ से रूबरू होना

तेरा सबसे जुदा खड़े रहने का अंदाज़
जैसे तिलस्म से किसी पत्थर को तराश देना
तेरे होंठो पे हल्की मुस्कान लाने की अदा
जैसे छोटे बच्चे का चुपके से कोई मिठाई खाना
संपर्क का कोई उपग्रह,जैसे तेरे कानों की बालियाँ
तेरा गुलाबी रंग की साड़ी में चले के आना
जैसे सरसों के खेतों में हवा का सरसरना
तेरे हाथों की मेहंदी का महकना
जैसे मंदिर में धूपबत्ती की खुसबू बिखर जाना
तेरे खुले बालों के साये में आना
जैसे उजले चाँद के साथ गहरी रात का आना
तेरे प्यारे से चेहरे पे तेरी गहरी आँखों का होना
जैसे बहुत सारी सीपों में किसी मोती का मिल जाना
तेरी कलाइ में कंगन का यूँ ठहर जाना
जैसे आसमान में तारों का एकत्रित हो जाना
तेरी उंगलियों में अंगूठीयो का होना
जैसे पुस्तैनी ख़ज़ाने का दिख जाना
तेरे माथे पे छोटी लाल बिंदी का होना
जैसे दौड़ती जिंदगी को कुछ पल रुकने का इशारा किया जाना ।
तेरा मेरे इश्क़ से रूबरू होना
जैसे बेहद खूबसूरत लालगुलाब का पंखुरियों पे ओस की बूँद लिए खिल जाना ।

इज़हार इंकार का खेल

चलो बहुत हुआ इज़हार इंकार का खेल
अब कुछ ना कहने में ही सुकून है ।
इतना कहने सुनने पर भी तुम वो समझ ना सकी
जो मैं तुम्हें महसूस करवाना चाहता था।
तुम वो ना कह सकी जो मैं सुनना चाहता ।
तुममें और मुझमें सदियों का फासला था।
मेरी कल्पनाओं और यथार्थ में बहुत फर्क था।
रोज़ एक ही सवाल का जवाब खोजता रहा
की मैं कँहा गलत था ।
इश्क़ करना गलत था या तुमसे कोई उम्मीद रखना
गलत था ।
हर एक भावना व्यक्त करना गलत था या घड़ी घड़ी तुम्हारी फिक्र करना गलत था ।
गलत अगर कुछ नहीं था तो फिर शायद ग्रह नक्षत्र का कोई फेर था।
सही गलत जो भी था, बस इतना तय था मैं तुम्हारी ज़िन्दगी में दूर दूर तक शामिल नहीं था ।
महसूस करना,सुनना समझना सब अपनी जगह था,
पर मेरी तरफ से मेरा इश्क़ मुक़म्मल था।
अब खुद को अच्छे से समझा लिया था,तुम्हारे आश्वासन तोड़ आगे बढ़ चुका था।
तुम्हें खो देने के डर को अब जीत चुका था ।
तुम्हरी राह तकते तकते खुद की मंज़िल चुन चुका था ।
तुम्हें पाने की कोशिश करते करते,मैं खुद को पा चुका था ।
तुम्हारे होने ना होने का अब कोई मलाल ना था,
मैं अपने इश्क़ पे फना हो मस्त मलंग हो चुका था ।