Tuesday, January 17, 2017

आखिरी अलविदा

" मैं जब 19 साल की थी , तब मेरे भी कुछ सपने थे , बहुत कुछ सोचती थी । मेरी उम्र की बहुत सारी लड़कियों को प्यार हुआ था लेकिन मुझे नहीं ।
फिर मेरी शादी हो गयी , ये अच्छे थे , जैसे आम लड़के होते है , शादी के बाद मुझे इन से लगाव हो गया । इनके लिए बहुत सम्मान आ गया मेरे दिल में । ये एक तरह की मोहबत है , मुझे लगा दुनिया में यही एक तरह की मोहबत होती है । मुझे और किसी तरह के प्यार पे कोई भरोसा नहीं था , मैंने खुद को ढाल लिया था अपनी किस्मत समझ के ।

10 साल पहले मैंने जाना की, मैं गलत थी , इस अनोखी ख़ुशी ने जिसका आने का कोई अंदेसा नहीं था मुझे अचंभित कर दिया । मेरे अंदर मेरे दिल के अंदर जो एक रहस्यमय दरवाज़ा था उससे खोल दिया था ।
मैंने कभी खुद को इतना जीवंत महसूस नहीं किया , जितना मैंने खुद को तुम्हारे साथ किया है । तुम्हारा साथ इतना मोहक है की मन करता है , भगवन का ये उपहार , मैं ले लू ।

लेकिन मैं ऐसा नहीं कर सकती , ऐसा नहीं की मैं तुम्हे उस लायक नहीं मानती या हमारी उम्र में फासले है या हमारी जीवनशैली अलग है । मुझे पता है तुम एक बहुत अच्छे पति , दोस्त, प्रेमी और पिता साबित होंगे।
बल्कि इसलिए की अपने बच्चों को छोड़ना मतलब खुद को छोड़ना, और ऐसा सोचना भी मेरे लिए नामुमकिन है । शायद जब तुम्हारे बच्चे हो तुम ये समझ पाओगे ।
तुम समझ पाओगे की मैं तुम्हारी लिखी हुयी बातों का जवाब क्यों नहीं दे पाती । जब भी ऐसा करती हों खुद को ज्यादा तक़लीफ़ देती हूँ । पर क्या करू , ऐसे बंधन में हूँ जहां मैं समाज के नियम में बंधी हुई हूँ।

हमने बहुत वक़्त साथ गुज़ारा है , बहुत यादगार लम्हे जिए है । आज मैं जो कुछ हूँ उस का बहुत बड़ा श्रेय तुम को जाता है । मेरे अंदर जो आत्मविस्वास है , खुद को जो समझने लगी हूँ तुम्हारी वजह से है ।
मैंने कभी सोचा नहीं था की मैं कभी किसी से इतना प्यार कर लुंगी की , उस के लिखे मेसेज मेरी ज़िन्दगी के अहम् लम्हे बन जायेंगे । उन्हें अपनी डायरी में मैं ऐसे सँजो के रखूंगी । तुम्हारी दी हुयी हर एक चिज़ मुझे बहुत अज़ीज़ है । जाने क्यों तुम्हारी इतनी फ़िक्र है मुझे , ये सब ज़िन्दगी में पहेली बार हुआ है मेरे साथ । जब तुम मेरी फ़िक्र करते हो लगता है , जैसे किसी ने मुझे आसमानी झूले पे बिठा दिया है । मैं तुम्हारे लिए इतनी खास हूँ , बस यही सोच सोच के मेरा दिल और दिन दोनों बन जाते है । जब कभी कोई दिल दुखाता है , तो तुम्हारी बातें , तुम्हारा प्यार , तुम्हारी लिखी नज़्म याद कर लेती हूँ और फिर सब पहले से बेहतर हो जाता है ।

पर अक्सर जो चीज़ हमे सबसे ज्यादा प्यारी होती है , हमे ज़िन्दगी उस के बिना ही गुज़ारनी पड़ती है । तुम से ज्यादा क्या कहू तुम खुद ही इतने समझदार हो ।
लोग कहते है की कोई भी मोहबत पूरी और सच्ची नहीं होती , लेकिन वो लोग तुम से मिले नहीं है अभी तक ।

" तेरे संग बीते हर लम्हे पे हमें नाज़ है ,
तेरे संग जो ना बीते , उस पल पे हमे ऐतराज है " ।

हमेशा खुश रहना , मैं तुम्हे दुनिया की बुलंदी छूता हुआ देखना चाहती हूँ।

मुझे पता है ये पढ़ के तुम को दुःख होगा लेकिन तुम खुद को संभाल लोगे ये भी जानती हूँ । ये लिखते हुए मैं खुद अंदर अंदर टूटी हूँ बहुत बार , बहुत रोई हूँ , पर हम दोनों मजबूर है । हम दूर हो के भी हमेशा करीब रहेंगे, तुम लिखते रहना , मैं जवाब दू या ना दू ,लेकिन तुम्हारा लिखा हुआ , मुझे हिम्मत देता रहेगा , मैं भी लड़ती रहूंगी दुनिया से खुद के सम्मान और स्थान के लिए । मुझे पता है तुम हमेशा मेरे साथ हो और रहोगे , बस ऐसे ही साथ बने रहना । मुझे माफ़ कर देना , मेरी आँखे आज अश्कों से भरी हुई है , माफ़ी इसलिए मांग रही हूँ क्यों की जानती हूँ मेरी आँखों में आँशु से तुम्हे सख्त नफरत है । पर ये मेरी आँखों का पानी सिर्फ तुम्हारे लिए है , बस अब और नहीं लिख सकती दिल बैठा जा रहा है । तुम बस मुझे समझ लेना । और मेरी कसम है तुम्हे अपनी आँखों में पानी लाना नहीं और खुद का ख्याल रखना । तुम अच्छे रहोगे तो मैं अच्छी रहूंगी ।

तुम्हारी और सिर्फ तुम्हारी ।

Unposted dairy pages

कुछ इस तरह तुम्हारे वजूद को अपनी ज़िन्दगी में शामिल कर रहा हूँ , जो उम्मीदें जो ख्वाहिशें तुमसे की थी , वही दुसरो की पूरी कर रहा हूँ।

इश्क़ करना एक बात है और उसकी गहराई समझना अलग बात है । वास्तविक जीवन में अगर तुम मेरे समीप होती तो मैं इस गहराई से कभी वाकिफ ना होता । मेरी कल्पनाओं में तुम्हारे इश्क़ ने , मेरी मोहबत को मुक़म्मल कर दिया ।

कोई सुनने वाला नहीं है इसलिए हाल ऐ दिल कागज़ पे सियाही से लिख रहा हूँ। ये वो जज़्बात है जिनसे मैं भी लिखते वक़्त ही मुखातिब होता हूँ । मैं खुद नहीं जनता मेरे अंदर कितना कुछ दबा हुआ है तुमसे कहने के लिए ।

मैं रोता नहीं बस आँखों में पानी आ जाता है , तुम्हारे होने ना होने की बात नहीं थी , बस एक दर्द है सीने में । जाने क्यों लगता है तुमसे कह देता तो दर्द शायद कम होता । पर अच्छा हुआ तुमने कभी सुना नहीं और यही दर्द मुझे औरो के मर्ज़ का हाकिम बना गया ।

तुम समझी नहीं , मुझे कभी पूरा सूना नहीं , खता किसी की थी आज तक समझा नहीं , हो सकता है मेरा ज़माना मेर दौर सही नहीं था , वरना मेरी मोहबत इतनी कामिल तो थी की तुम अपना लेती ।
ये लिखना किसी की कोई शिकायत नहीं , ये तो बस इसलिए है की इस जलते दिल को , तुम्हारे नाम की ओस मिले और इस ना जाने कबसे जलते तड़पते दिल को कुछ सुकून मिले , राहत मिले ।