Thursday, December 10, 2015

बदला कौन था ये तो कहना मुनासिब ना था

बदला कौन था ये तो कहना मुनासिब ना था
पर ना तुम पहले जैसे थे और ना हम पहले जैसे थे
वक़्त को कुछ दोष दिया जा सकता था
पर वो भी क्या मुनासिब होता
जो दिल के कोने में दबी हुई मोहबत थी
जिम्मेदारियों ने उस मोह्बत को साँस लेने तक का भी वक़्त ना दिया था
और आलम ये था की दिल के क़ब्रिस्तान में दफ़न उस मोह्बत
को लेकर जिए तुम भी जा रहे थे और जिए हम भी जा रहे थे
बदला कौन था और कौन नहीं था ये भी कहना मुनासिब ना था

अंदर कुछ ज़िंदा है यही बहुत था

मैं बंधन में था या बंधन मुझमें
मैं पूरा था फिर भी अधूरा था
बहुत कुछ कहना चाहता था पर खामोश रहा
जिसका इंतज़ार था वो इंतज़ार ही रहा
अपनी उलझनों में उलझा दुसरो की उलझने दूर करता रहा
हटके जीना चाहता था पर हट ना सका
खुद को खो कर खुद को ढूंढ़ता रहा
कभी दोराहे कभी चौराहे पे रहा
हर राह से अपनी मंज़िल को पता रहा
पर मैं अपने मक़सद से और मेरा मक़सद मुझसे अनजान रहा
हासिल बहुत कुछ था पर खाली था
जो शुरू नहीं हुआ था उस का अंत आ गया था
जो टूट गया था वो कभी जुड़ा ही नहीं था
मैं रुका था फिर भी चल रहा था
मैं ज़िंदा था या कुछ एहसास ज़िंदा थे जानता नहीं
पर अंदर कुछ ज़िंदा है यही बहुत था

Wednesday, June 24, 2015

वो हो तुम

सूखी मिटी में जो खुशबु भर दे वो हो तुम
भीगे गीले मौसम में गरम चाय हो तुम
हर किसी की आँखों का इंतज़ार हो तुम
पेड़ो के पत्तो को जो एक नया सुन्हेरा रंग दे वो हो तुम
बारिश के पानी में इठलाती बलखाती कागज की नाव हो
तुम उदास मायूस चेहरे पे जो ख़ुशी ला दे वो हो तुम
किसी हसीं के गालो पे रुकी हुई बारिश की वो इक बूँद हो तुम
बंज़र ज़मीन में जो एक नया जीवन भर दे वो हो तुम
झुठ मुठ रूठे हुए छोटे बच्चे की नटखट मुस्कान हो तुम
घनी बारिश लिए पिले सूरज की सांज हो तुम
पांच रोज़ी नमाज़ी का ईमान हो तुम
बेरंग चीज़ों में जो रंग बिरंगे रंग भर दे वो हो तुम
आसमान के कैनवास पे जो अपनी छठा बिखेर दे वो हो तुम
जिस की अदा ओ पे ग़ज़ल लिखी जा सके वो हो तुम
जिस की नज़ाकत नफासत पे दुनिया कायल जो जाये वो हो
तुम दीवानो को जो दीवानगी सीखा दे वो हो तुम
जिस को देख के दिल में एक गुद गुदी हो जाये वो हो तुम

लिखता हूँ

कहते है बातें करने से दिल का बोझ कम होता है
मैं लिखता हूँ की आत्मा का बोझ कम हो सके

Tuesday, June 16, 2015

सपनो से वफ़ा

तेरे लिए रुक जाने में कोई हर्ज़ नहीं है
अब तक तो तुझे जीता आया ही था कुछ और जी लेता तो भी शायद कुछ न बदलता
पर अब कुछ समय खुद को खुद में जीना चाहता हूँ
पर खुद से कभी वादा किया था कभी रुकुंगा नहीं
चाहे जो भी हो बस चलता रहूँगा
ऐसा नहीं की अब तुम्हारी लिए मेरी भावनाए बदल गयी है
आज भी तुमसे वही मोहबत वही तालुक़ात है मेरे दिल के
लेकिन ये जो मेरे सपने है उनका भी अपना एक अस्तित्व है
अब कुछ पल उनको जिन चाहता हूँ
तुझे से बेवफाई का कोई इरादा नहीं है और ना कभी कर पाउँगा
बस अब खुद से खुद के सपनो से वफ़ा करना चाहता हूँ

बेसब्र ज़िन्दगी

इतनी बेसब्र क्यों है ज़िन्दगी कुछ लम्हा ठैर जाये तो क्या
बहुत कुछ है कहने को बहुत कुछ है करने को
बस थोड़ा खुद को समझ लू थोड़ा खुद को जान लू तो क्या
अभी मैं खुद से कुछ कहना चाहता हूँ
इन लम्हों में रुकना चाहता हूँ अपने आप से मिलना चाहता हूँ
लगता है जैसे कितने समय से चल रहा हूँ
कुछ देर ठैर के पीछे मुद के देखना चाहता हूँ
ये बेसब्र ज़िन्दगी क्या इतना भी मौका नहीं देगी मुझे
ज़िन्दगी इतनी भी तो बेरहम तो नहीं
अभी थोड़ा इश्क़ बाकि है ज़िन्दगी का मेरे लिए
शायद वो भी मुझसे चाहती है की मैं खुल के जी लू जी भर के
पीछे कोई अफ़सोस ना रहे फिर ज़िन्दगी से
बस जब भी मिले मैं और ज़िन्दगी मुस्कुरा के मिले

Friday, April 10, 2015

जिस पे तुझे नाज़ हो उसकी ऐसी क़ीमत अदा कर जाऊंगा

लाख खड़ी कर दी तूने मुश्किले तो क्या
तू खुदा है तो मैं भी तेरा ही बंदा हूँ
तू रोज़ ले ले मेरा इम्तिहान , बेमुर्व्वत कर दे मेरी ज़िन्दगी
पर वादा है तुझे ,मैं पीछे नहीं जाऊंगा
शरीर में दौड़ते हर एक बूँद लहू की कसम
अपनी आखिरी साँसों तक लड़ता रहूँगा
तूने जो ज़िन्दगी अता की है ,जिस पे तुझे नाज़ हो
उसकी ऐसी क़ीमत अदा कर जाऊंगा ।

Saturday, April 4, 2015

ज़िन्दगी किसी के लिए रूकती नहीं

किसी के जाने के बाद किसी के बिछड़ जाने पर
सब कहते है ये ज़िन्दगी का उसूल है
ज़िन्दगी किसी के लिए रूकती नहीं
मैंने भी यही कहता हूँ सच है ज़िन्दगी किसी के लिए रूकती नहीं
पर ज़िन्दगी फिर वही नहीं रहती बदल जाती है
कुछ अलग सी हो जाती है

Tuesday, February 24, 2015

आख़री खत

एक सवाल है जाने कब से मन में पर जनता नहीं कब इस का जवाब मिलेगा और किस से मिलेगा , मुझे नहीं पता । मैं इतना क्यों तरसता हूँ आप से बातें करने के लिए , आप भी सोचती होगी कैसा पागल लड़का है जब तब ईमेल करता रहता है ,सच कहु तो मुझे भी मैं पागल ही लगता हूँ । पर जाने क्यों आप से अपने दिल की सारी कह देना चाहता हूँ , मैं आप से अपनी भावनाए कहने के लिए किस समय या मौके के इंतज़ार में नहीं रहना चाहता हूँ , मुझे नहीं पता मेरी कितनी ज़िन्दगी बाकि है बस मैं ये चाहता हूँ की मैं अपनी मृत्युसैया (deathbed ) पे कोई regret ( पछतावा ) लेकर इस दुनिया से विदा लू ।
मैं जब तक इस दुनिया में हूँ आप को ख़ुशी के वो पल देना चाहता हूँ जिस को आप जब भी याद कर के आप के अधरो ( lips ) पे एक मुस्कराहट आ जाये । उदेश्य एक ही है मेरा आप से इतनी मोह्बत कर के जाना चाहता हूँ की आप मेरी मोह्बत के मूलधन को कभी खरच ही न कर पाये , मेरी मोह्बत के ब्याज से ही आप की ज़िन्दगी खुशहाल रहे । आप को कभी अकेलापन न लगे , किसी और से वो प्यार वो इश्क़ की कोई दरकरार ना रहे है ।

कहने को तो आज आप को आख़री खत लिख रहा हूँ , पर कह नहीं सकता की इस खत के बात आप को कभी कुछ लिखूंगा ही नहीं , शायद जब भी आप की याद गहरी हो जाएगी मैं फिर लिखूंगा , हाँ पर हाल फिलहाल कुछ दिनों के लिए मैं भी तुम्हारी यादो से छुटी लेना चाहता हूँ । पर हंसी की बात ये है की मेरी छुटी भी तुम्हारी यादो से होती है ।

इस जीवन में तुमसे पार पाना तो मेरे लिए अब नामुमकिन है , कभी लगता है की तुमसे कहीं दूर चले जाऊंगा तो सायद कुछ रहत मिले , पर वो भी कुछ मुमकिन नहीं लगता है , आप से कहने के लिए ही सिर्फ दूर जा सकता हूँ , पर सच में जा सकता हूँ क्या वो सवाल है , जिस का जवाब नहीं है मेरे पास ।

आप से ऐसा कोई रिश्ता बन जायेगा ऐसी कभी दूर दूर तक कोई कल्पना नहीं की थी , पर अब जब की बन गया है , तो कभी कभी जीवन जीना मुस्किल कभी आसान लगता है । जैसा की मैं हमसे कहता हूँ आप से कभी कुछ नहीं चाहा है , बस मैं अपनी तरफ से पूरी वफ़ा से आप से मोहबत करता हूँ , जो की करना मेरा अधिकार भी है और कर्तव्य भी ।

इस जीवन में हमेशा से आप का और हमेशा के लिए आप का

Monday, February 23, 2015

ए बेखबर

इतना नाज़ इतना गुमान ना कर ए बेखबर , तुझे तेरे मुकाम पे पहुँचाने में मेरी दुआओं का बहुत असर रहा है
जानता था मेरी कोशिश नाकामयाब होगी फिर भी तुझसे मोह्बत करता रहा
तुझे चाँद पे रख के तुझे पाने के लिए मैं ज़मीन पे दौड़ता रहा ।

Saturday, January 24, 2015

मेरी भावनाएं तुम्हारे लिए

यूँ तो तन्हाई में बहुत कुछ होता है आप से कहने के लिए लगता है जैसे एक पूरी किताब लिख सकता हूँ , पर अबकी जब लिखने बैठा हूँ तो समझ नहीं आ रहा है कँहा से शुरू करू ।

जाने कितनी बार कहा है आप से फिर भी आप से कहना चाहता हूँ की मैं आप से बहुत मोह्बत करता हूँ ।

जितनी फ़िक्र आप की होती है अब तक की ज़िन्दगी में वैसी फ़िक्र किसी और के लिए कभी नहीं हुई
जितना आप के लिए सोचता हूँ उतना किसी और के लिए कभी सोचा नहीं

आज आप से सच कहता हूँ मेरी हमेशा से चाहत थी की मेरे घर पे सब से पहले कदम आप का हो और देखिये उस दिन आप ने ही अपने घर में सब से पहले दस्तक दी

सारा घर आप की खुसबू से महकता है अब भी ,दीवारें आज भी मुन्तज़िर ( waiting ) है आप की फिर एक झलक पाने के लिए ।

जाने कितनी बार भी देख लू आप को फिर भी देखने के मन होता है , सच कहु तो चोरी चुपके आप को ही देखता रहता हूँ जब भी मौका मिलता है

आप मेरी जन्नत है आप से ही मेरा आशियाना है

मुझे पता नहीं पाप पुण्य का फैसला करने वाले मेरा क्या फैसला करयेंगे , मैं मेरा कहता हूँ मैं जितनी बार भी इस धरती पे आऊंगा सिर्फ और सिर्फ आप ही मेरी मोह्बत रहेगी ।

अगर अग्नि के साथ फेरे लेना ही शादी है तो , मैं मन ही मन आप के साथ कई बार फेरे ले चूका हूँ और आप को अपनी धर्मपत्नी मान चूका हूँ ।

मेरे सीने में जो आप के लिए जगह है वो किसी और की हो नहीं सकती

जनता हूँ हम एक दूसरे के नहीं हो सकते और सच कहु तो मैंने कभी ऐसा सोचा भी नहीं है ।

मैं बस जनता हूँ की मैं हमेशा से सिर्फ और सिर्फ आप के लिए ही धरती पे आया हूँ और हमेशा आप को ही प्यार करूँगा ।

मैं आप के साथ एक दैवीय बंधन में बंध चूका हूँ आप की फ़िक्र करना आप का ख्याल रखना मुझे मेरा कर्त्तव्य लगता है

आप को कोई भी तकलीफ होती है तो मैं बेचैन हो जाता हूँ आप की थोड़ी भी तकलीफ मुझ से सहन नहीं होती

यूँ तो कह ने के लिए अकेला रहता हूँ पर आप हरदम मेरे साथ होती हो मेरे खवाबो खयालो में सिर्फ और सिर्फ आप होती है

आप के सिवा किसी और का ख्याल भी नहीं आता है मेरे मन में जाने कैसा इश्क़ हो गया है आप से

जब भी आप को देखता हूँ दिल जोरो से धड़क ने लगता है आँखों में आपने आप पानी आ जाता है , ऐसा क्यों होता है इस का जवाब मेरे पास भी नहीं है ।

हर साल लोग Valentine डे मनाते है पर आप को जब से देखा है तब से सिर्फ आप को और आप को ही अपना Valentine माना है ।

आप से बेइंतेहा मोहबत है और इस मोह्बत के बदले में मुझे सिर्फ और सिर्फ आप की ख़ुशी चाहिए आप के चेहरे पे ख़ुशी चाहिए

आप से इतना कहना चाहता हूँ दुनिया में मैं कहीं भी रहू किसी भी कोने में रहू अगर आप कोई भी तकलीफ में हो सबसे पहले आप के लिए जो इंसान दौड़ के आएगा वो मैं रहूँगा ।

ये मेरी ज़िन्दगी आप की है ये अब किसी और की नहीं हो सकती और अगले हर जनम में ये सिर्फ और सिर्फ आप की ही होगी

मेरी ज़िन्दगी में जितनी भी दुआये है सब आप के लिए है

मुझे ऊपर वाले से कोई शिकायत नहीं है क्यों की उसने आप से मिला दिया

आप से सारी उम्र मोहबत करना बस यही मेरा ईमान है मेरा धर्म है ।

सच कहु तो जितना भी लिखा है वो एक अंश बराबर भी नहीं है मेरे इश्क़ की गहराई का वो कहते है न भावनाओं की सीमा नहीं होती पर शब्दों की सीमा होती है ।

एक ही ख्वाहिश है ज़िन्दगी से की आप हमेशा खुश रहे और मैं जब तक जीवन है सिर्फ और सिर्फ आप से प्यार करता रहू , आप का ही होकर रहू । आप के दुःख का कभी कारण न बनु , आप का कभी दिल न दुखाऊ । हमेशा आप के चेहरे पे हंसी ला सकु

जब कभी आप धुप में चले मैं अपने हाथो की छाव से आप को आराम दे सकु , हर बारिश से आप को बचा सकु ।

जीवन की हर मुश्किल में आप के साथ खड़ा रहू बस यही दुआ है भगवन से ।

अगर मुझसे कभी भूले में कोई भूल हुई हो तो मुझे माफ़ कर देना , सिर्फ और सिर्फ आप का ..................

Monday, January 19, 2015