Tuesday, December 31, 2013

नए साल की कुछ नयी नज़्म

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ऐ खुद हो सके तो फिर मुझे माफ़ करना
मैं फिर तेरी शान में गुस्ताख़ी कर रहा हूँ
मैं तुझ से पहले तुझ से ज्यादा
मेरे यार को चाह रहा हूँ

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उस समय भी तुम में कुछ बात थी
इस समय भी तुम में कुछ बात है
उस समय भी मैं तुमसे दिवानो के जैसी मोह्बत करता था
इस समय भी मैं तुमसे दिवानो के जैसी मोहबत करता हूँ
फिर ऐसा क्या फर्क है इस समय और उस समय में
फर्क बस ये है उस समय हम साथ साथ हो कर भी अलग अलग थे
और इस समय अलग अलग हो के भी साथ साथ है
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Monday, December 23, 2013

तुमसे दूर

तुमसे दूर जाने के लिए निकला था और तुम से बहुत दूर आ भी गया था
पर सच में तुमसे दूर हो पाया था क्या ये एक बड़ा सवाल था
तुमसे इतना दूर हूँ फिर भी लगता है जैसे तुम हर पल मेरे पास हो मेरे साथ हो
लगता है जैसे मेरी हर बात का ख्याल तुम रखती हो
कब दवाई खानी है कैसे अपनी सेहत का ख्याल रखना है सब तुम बता देती हो
जब भी चाय बनाता हूँ लगता है मिठास तुम ने घोल दी है
चाय के कप से भी तुम्हारे हाथो कि महक आती है
मेरे हर काम में जाने कैसे तुम्हारा एहसास महसूस होता है
मेरे आस पास कि हवा में भी तुम्हारी खुशबू होती है
बस यही एक उलझन है जिस से आज तक निकल नहीं पाया हूँ
अगर तुम इतनी दूर हो तो फिर इतने करीब कैसे
और इतने करीब तो फिर इतनी दूर कैसे

Sunday, December 15, 2013

ये दिल

ये दिल है ना मेरे सीने में कुछ गुमसुम चुपचाप सा रहता है
धड़कता भी नहीं है
जब कभी कोई तुम्हारा नाम लेता है एक दो पल के लिए ये धड़कना सीख़ लेता है
मैं बहुत असमंजस में रहता हूँ कि इस का क्या करू
बस तुम से एक गुज़ारिश है जब कभी इधर से गुज़रो इस से मिलते जाना
इस पर अपना हाथ रख देना
इस से थोड़ी बहुत बातें कर लेना
शायद इस मेरे दिल को कुछ राहत मिल जाये
और ये दिल फिर से पहले कि तरह खिल खिलाकर धड़कना सिख जाये

रस्म अदाएगी

जाते जाते रस्म अदाएगी के लिए ही सही बस इतना कर कर जाना
एक बार अपनी बाहो में ऐसे समेत लेना कि फिर मैं किसी बंधन में बंध न सकू
अपनी साँसो को मेरी साँसो में इस कद्र मिला देना कि फिर कभी सांस लेने कि जहमत ना उठा सकू
मेरी आँखों से सारा पानी भी लेते जाना कि फिर रोऊ तो बहुत पर आँसू न छलका सकू
हो सके तो अपनी खुसबू भी मुझ में छोड़ जाना कि तुम्हारी उस खुशबू के लिए मैं कस्तुरमुर्ग कि तरह दर बदर भटकता रहू
अपने दिल को मेरे दिल से ऐसे मिला देना कि फिर मेरा दिल कहीं और लग ना सके धड़क न सके
कुछ इस तरह छू के जाना कि कोई और मुझे छू ले तो मैं ताश के पत्तो के महल जैसा ढह जाऊ
जाते जाते कुछ ऐसी रस्मे निभा जाना कि फिर और कोई भी रस्म निभाने कि गुंजाइश न रहे

Wednesday, December 11, 2013

तुम अज़ीज़ हो बहुत अज़ीज़

मेरा और तुम्हारा क्या रिश्ता है आज इसे परिभाषित कर ने में मैं असमर्थ हूँ
तुम्हे पाने के बारें में कोई ख्याल नहीं किया कभी भी
पर आज तुम्हारे जाने भर के नाम से दिल बैठ सा गया है
बस एक ही आवाज़ है जो निकल रही है सीने से
"तुम अज़ीज़ हो बहुत अज़ीज़"

Friday, December 6, 2013

गुलाबी ठण्ड

ऐसी ही कुछ सर्द रातें थी जब तुम मेरे पास थी
वो लॉन कि बेंच पे साथ साथ बैठ के चाँद सितारो को निहारा करते थे
सर्द हवाओ के झोके जब भी हम को छू जाते थे
तुम अपनी ओड़ी हुयी शॉल मुझे भी उडा देती थी
और शरारत करते हुए अपनी ठन्डी हथेलियों से मेरे गालो को छू लेती थी
आज फिर सर्द रात है और मैं तनहा बैठ हूँ लॉन कि बेंच पे
तुम्हारी ओड़ी हुयी शॉल अकेला ओढ़े
पर शायद इस गुलाबी ठण्ड को भी तुम्हारी आदत पता है
आते जाते सर्द हवा के झोके हौले से मेरे गालो को छू जाते है
कुछ कुछ तुम्हारी ठन्डी हथेलियों का एहसास दिला जाते है

Thursday, December 5, 2013

ख्याल

आज तबियत थोड़ी नासाज़ सी है।लगता है दूर कहीं तुम उदास हो,एक बार ज़रा मुस्कुरा दो,कि मेरी रूह को थोडा आराम मिले।

आप से मोहबत है ये बार बार कहने में भी मुझे कोई गुरेज़ नहीं क्यूँ कि जो सनातन सत्य है वो कभी भी नहीं बदलता |



Wednesday, October 23, 2013

अमानत

जाते जाते वो अपनी सारी अमानत समेट रही थी
मैं स्तब्ध सा देखता रहा , जाने फिर क्या सूझा उसे
की पलट के मुझ से पूछा की उस का कुछ रह गया है क्या मेरे पास
मैं भी क्या कहता उससे उस की तो न जाने कितनी चीज़े रखी हुई थी मेरे पास
उस की बचपन की वो टूटी हुई पायल ,
किताब कापियो के वो पन्ने जिस पर उसका और मेरा नाम लिखा था उस ने
उस के आंसुओ से भीगे हुए कुछ गिले रुमाल
होली का वो गुलाल जो उस ने मेरे गालो पे लगाया था
कुछ मिठाई के टुकड़े जो हम दोनों ने मिले के चुराए थे
कुछ टॉफियो के रेपर
कुछ सूखे हुए न जाने कितने फूल भी है
और भी बहुत कुछ है जो सहेज के रखा हुआ है
शायद उस को भी पता है ये सब लेकिन माँगा नहीं उस ने मुझसे
पर हाँ जाते जाते अपने आंसुओ से भीगा हुआ एक और रुमाल दे गई
अपनी एक और अमानत संभल के सहेज के रखने के लिये….

Monday, September 16, 2013

घडी दो घडी

घडी दो घडी तो साथ चले थे घडी दो घडी और साथ चले ने की बात थी
घडी दो घडी में यूँ तो तुम्हारा कुछ ना बदलता बस मेरे कुछ खवाब हकीक़त बन जाते
ख्वाबो की फेह्रत यूँ तो बहुत लंबी थी पर एक खवाब था
तुम्हारी हथेलियों में अपने हाथो से मेंहदी रचाऊ
तुम्हारे पैरो में अपनी पसंद की पायल पहनाऊ, तुम्हारे हाथो में तीज की चूड़ियाँ पहनाऊ
रोज तुम्हारी मांग में सिंदूर लगाऊ, जो दिल के बहुत करीब था और अब भी है ।
खैर आज हकीक़त ये है की इन्ही अधूरे खवाबो से सजी हुई है मेरी ज़िन्दगी
तुम साथ न चली घडी तो घडी तो क्या
मैं इन्ही टूटे अधूरे खवाबो के साथ घडी तो घडी चल लेता हूँ
ताकी तुम से इन खवाबो को कभी कोई गिले सिक्वे न रहे

Sunday, August 25, 2013

फिर तेरे शहर तेरी गलियों से गुजर लौटा था

फिर तेरे शहर तेरी गलियों से गुजर लौटा था

तेरी गलियों की धुल जिस ने कभी तुझे छुआ था उस से अपने सीने में समेटे हुए लौटा था

तेरे शहर की हवाओ से तेरी महक चुरा के लौटा था

तेरे शहर से तेरी एक झलक अपनी आँखों अपने तस्वुर में बसा के लौटा था

तेरे शहर तेरी गलियों से अपनी मोह्बत के किस्से कानो पे रख ले लौटा था

लौटते लौटते अपना दिल तेरे दर पे छोड़ आया था

हो सके तो अपनी कुछ खाई हुई कसमें याद कर लेना ,

तुम्हारे दर पे रख हुए तनहा दिल को उस के दिल से मिला देना

इसे मेरी इंतेज़ा समझ पूरा कर देना

क्यूँ की मैं अभी अभी तेरी मेरी उस दीवानी मोह्बत की रवानगी के दौर से होकर लौटा था !

Sunday, July 7, 2013

मन्नत का धागा

कुछ तो जज़्बात थे तुम्हारे भी दिल में मेरे लिए वरना यूँ तुम रोज़ दरगाह पे मेरे लिए मन्नत का धागा न बांधती

मेरी सलामती के लिए सजदे में दुआएं न मांगती

मुझसे पहेले सायद तुम ये जान चुकी थी की हम मोहबत तो कर सकते है लेकिन एक दुसरे के कभी हो नहीं सकते

तुम्हारी मन्नतो सजदो का कुछ असर मुझ पे भी हो गया था मैं भी कुछ कुछ तुम्हारे दिल-ओ -दिमाग में चलने वाले खयालो को समझने लगा था

तुम्हे किसी और की होते देखना इतना आसान ना था ,जानता था मुझ से ज्यादा तकलीफ तुम्हे हो रही थी

जिसे तुम हंस के सह रही थी , लेकिन तुम्हारे उस दर्द को महसूस कर सीने में मेरे भी दर्द भर रहा था

यकीन हो चला था की अब तुम्हारे जाने के बाद ज़िन्दगी आसान तो न होगी

पर तुम्हारे बिना मैं भी पुरे ईमान से मोहबत के मजहब को निभा रहा था

अब मैं हर दरगाह पे जा के तुम्हारे लिए मन्नत का धागा बांध रहा था

Monday, June 24, 2013

Mohabat hai

kuch shabdo mein keh nahi sakta haal-e-dil kya hota hai
jab aap samane aati ho, bas dil se ek hi awaaz nikalti
hai aap se mohabat hai,mohabat hai , beinteha mohabat hai "

Sunday, June 9, 2013

Irony of Life

Irony of Life

When You think that you have done enough to prove your mettle crossing all hardship of your life. Someone very close to you will make you realize that whatever you did wasn't enough. They will press the part of your soul which will give you a everlasting pain.
Words spoken by them will ring continuously in your ear making you uneasy for some time. But this pain will carve a new path which will take me to the niche place where I wish I will get the new dawn of my life.

This pain will always tell me not to sit on past laurels, whatever enough you did wasn't enough. There is still a long journey filled with so many bridges which I will have to cross to prove to the world that whatever life god gave me was dignified.

I have made promise to myself that I will begin that journey till the last drop of blood in my body so that I can say with glitter in my eyes that my life was WORTH.


" तकदीर को हमारी कुछ परेशानी है हमारी मुस्कुराहट से ,
जब भी मुस्कुराते देखती है कोई ऐसा दर्द दे जाती है
जिस को संभालते संभालते सीने में आंसूओ का समुंदर समा जाता है
यहाँ भी एक नियम से बंधे हुए है कहते है समुंदर कभी अपनी मर्यादा लांघता नहीं
बस आँखों से छलका सकता है पर कभी नदी तालाबो जैसे अपना बांध तोड़ नहीं सकता
वैसे इसमें हमारी तकदीर का कोई दोष नहीं दर्द से हमारा चोली दामन का रिश्ता है
जो भी दर्द अब तक मिले है उनको जीत की निशानियाँ मान ट्रॉफी जैसे सजा के रख लिए
नियति से हमारी ये जंग हमारे जन्म लेने के समय से चली आ रही है
वो हमे हारता हुआ मायूस देखना चाहती है
पर हम भी अपनी जिद्द पे अड़े हुए है नियति से लोहा लेने के लिए
हम कहते है जितने दर्द देना है दे दे तेरे हर दर्द को अपने लबो पे सजायेंगे एक नयी मुस्कान से
पर इतनी जल्दी हार नहीं मानेंगे जब तक इस ज़िन्दगी को एक मिसाल में न बदल दे
हम लड़ते जायेंगे चलते जायेंगे । "





Friday, May 31, 2013

शादी

आप दोनों के बीच राम सीता जैसे एक दुसरे के लिए आदर सम्मान रहे
मीठी सी नोक ज्होक हमेशा होती रहे
एक दुसरे से रूठते रहो फिर एक दुसरे को बड़े प्यार से मानते रहो
एक दुसरे के बिना हमेशा बेचैन रहो एक दुसरे की ख़ुशी के लिए हमेशा त्याग करते रहो
भोजन की थाली में पहेला निवाला हमेशा एक दुसरे के नाम का रहे
चाहे कितनी भी लड़ाई हो जाये फिर भी बिना बात किये एक दुसरे से एक पल भी ना रहो
जब कभी एक दुसरे से दूर रहो एक दुसरे का इंतज़ार आँखों में रहे
द्वापर युग में राधा कृष्ण ने निश्छल परेम करना सिखाया था
आप दोनों कलयुग में उससी प्रेम के पाठ को साकार करते रहे

I will Win

I will win no matter how much the situation challenge me
I will Win no matter how much the weather is freezing me
I will win outshine the troubles which will come across my way
I will win despite of all odds
I will win win no matter how much my body pains
I promise to myself I will Win and pass out again with flying colors.

Moon

How long the Moon will wander for the ecstasy,
how silly he is don't even know it's a self enduring process
which he has to learn first.
He may go wandering for billion's of years
still will not find what he is searching for
he has to look within to get the realm.

Monday, May 13, 2013

मेरी दुनिया

कितना नादान था जो तुम्हे हाथो की लकीरों में ढूँढता रहा
तुम्हे पाने के लिए गृह नक्षत्रो से लड़ता रहा
बचपना ही तो था जो मोह्बत की गहराई को समझ न सका था तब
पर उसी मोहबत ने वक़्त के बीतने के साथ साथ अपने अनजाने मायनो से मुझे अवगत करवा दिया
इस वास्तविक दुनिया से परे मुझे मेरी एक अलग दुनिया का एहसास करा दिया
जन्हा ना मैं तुम्हे किसी से मांग सकता हूँ और ना कोई तुम्हे मुझे दे सकता है
एक ऐसी दुनिया जन्हा तुम हमेशा से मेरी हो और मेरी ही रहोगी
अब वक़्त का वो दौर है जब ये गृह नक्षत्र रोज़ अपनी गति और स्थान बदलते है तुम्हे मेरी दुनिया से जुदा करने के
अब क्या कहु इन नादानों की नादानी पे
कैसे बताऊ की मेरी दुनिया का इनके ब्रम्हांड से कोई सरोकार नहीं

मुकदर

एक अजीब वाक्या रोज़ मेरे साथ होता है
मेरा मुकदर मुझ से लड़ने आता है
मैं हमेशा जीत जाता हूँ
वो हमेशा हार जाता है
मैं जब उस से पूछता हूँ तू क्यूँ चला आता है रोज़ हार ने को
वो कहता है तुझ से हारने का मज़ा ही कुछ और आता है

Tuesday, April 30, 2013

सवाल जवाब

सब सवाल करते है , तुम उस से दूर हो वो तुमसे दूर है
तुम उस से बरसो से मिले नहीं वो तुमसे बरसो से मिली नहीं
सालो से तुम ने उस से देखा नहीं सालो से उस ने तुम्हे देखा नहीं
ये कैसी मोह्बत है
मैंने कहा आप सब के सवाल में ही जवाब है
यही तो मोह्बत है


Friday, April 26, 2013

जो आप से हमने कभी कहा नहीं

आप से कभी कहा नहीं लेकिन आप को पहेली बार देखते ही आप से प्यार हो गया था | जाने कितनी बार आप से सिर्फ बात करने के लिए कोई न कोई बहाना ले के आप के पास आया करता था | आप से वो कॉलेज में नोट्स माँगा ना बस तुमसे बात करने का इक जरिया हुआ करता था | आप को देख कर कॉलेज के दिनों में ही ग़ज़लों से दीवानगी हो गयी | आप के खयालो में जाने कितनी दफे जगजीत सिंह और गुलाम अली सुनते रहे | आप को सोचते हुए उन ग़ज़लों की रोमानियत कुछ और ही बाद जाया करती थी | हम खुद कभी समय पे कॉलेज जाने के लिए नहीं उठ लेकिन पता होता था की आप कॉलेज टाइम पे जाती है , तो बस आप की एक झलक पाने के लिए हम चले जाते थे शेख भाई की चाय की दूकान पे , आपकी एक झलक के लिए शेख भाई की जाने कितनी कशिश वाली चाय पि लेते थे हम | जब कभी हमारे दोस्त आप के घर जाते थे और वापस आके आप क बारें में बताते थे हम बहुत खुश हो जाया करते थे लेकिन अन्दर ही अन्दर थोड़ी जलन भी होती थी | और वो कमीने दोस्त हमारे जानते थे इसलिए और जलाते थे हम को | मोह्बत तो बहुत की आप से और आज भी उतने ही मोह्बत है बस आप को कभी हासिल करने की कोशिश नहीं की | इसलिए कभी आप से कुछ कहने की जरुरत ही महसूस नहीं हुई | क्यूँ की दिल के अन्दर हम आप को अपना मान चुके थे | हमारे लिए तो इतना ही काफी था की आप से एक बार बात हो जाये , और जब भी ऐसा हो जाता उस दिन हमारी दिवाली ईद सब हो जाती | फिर समय की बीतने के साथ आप से हमारी दोस्ती हो गयी और आप हमारी मोह्बत और बेस्ट फ्रेंड दोनों हो गयी | फिर तो आप की ख़ुशी और मुस्कराहट हमारे लिए दुनिया की सबसे अहम् चीज़े हो गयी | ऐसे ही समय का चक्र आपनी गति से चलता रहा और एक दुसरे से मिलो दूर हो गए | फिर तो रोज़ आप को ईमेल करना जैसे हमारा रूटीन हो गया , कभी ईमेल नहीं कर पाए तो लगता था जैसे कुछ छुट गया है , अधुरा अधुरा सा लगता था |
आप से रोज़ पूछ तो लेते थे की कैसी है आप क्या खाया आप ने लेकिन मन ही मन जानते थे , हमे तस्सली नहीं हो पाती थी | भगवन से यही मांगते थे की भगवन जी कुछ ऐसी शक्ति दे दे की हम आप को सिर्फ एक बार देख ले आपनी आँखों से जी भर के , तो कुछ हम को भी चैन आ जाये | खैर अब तो आदत ही डालनी पड़ी की आप अगर कह रही है तो अच्छी ही होंगी आप , फिर भी रोज़ जब तक आप से कह ना दे की आप अपना ख्याल रखना लगता नहीं की हमारा काम पूरा हो गया है |
एक बात सच सच कहे आप से आज भी आप के ईमेल पड़ के दिल की धड़कन तेज़ हो जाती है , जब कभी आप मिस यू या लव यू लिख देती है लगता है जैसे सारी दुनिया हमे मिल गयी हो | आप भी सोचो गी कैसा पागल है , लेकिन हम ही नहीं पता कब आप से इतनी गहरी मोह्बत हो गयी , आप दूर हो इतनी फिर भी लगता है जैसे हमेशा हमारे पास है आप | रोज़ शुभ जब चाय बनाते है तो एक कप आप के लिए भी बरस्बर बन ही जाती है | हमारे खाने की थाली में जो पहला निवाला होता है वो आप के नाम का होता है | जब कभी कोई सायरी लिखते है सारे ज़िक्र आप के होते है | जब भी कभी कोई फिल्म देखते है तसवुर में आप होती है |
किसी भी ग़ज़ल की लाइन लगता है जैसे आप के लिए ही लिखी गयी हो | जब कभी अपना व्रत तोड़ने जाते है , वोही| व्रत याद आ जाता है जब आप ने अपने हाथो से हमे खाना खिला के हमारा व्रत तोडा था | आप के हाथो की वो लाल अगुन्ट्ठी आज भी खाने के हर निवाले के साथ दिखती है , लगता है जैसे आप अपने हाथो से हमे खाना खिला रही हो जैसे |जब भी आप की कोई तस्वीर देख लेते है लगता है जैसे आप सकछात हमारे सामने आ गयी हो , हर बार आप की तस्वीर देख के आप से हमे फिर मोह्बत हो जाती है | आप की वो काले रंग की साडी , हाय क्या कहे आप किसी परी से कम नहीं लगती | आज भी जब कभी आप का कॉल आ जाता है , आप की वो खनखनाती आवाज़ जाने कितने दिनों तक मेरे कानो पर पड़ती रहती है , आप के साथ होने का एहसास हमेशा मेरे पास होता है साथ होता | रात को ऑफिस से घर जाते समय लगता है जैसे आप मेरे साथ साथ तारो पे चल के आ रही है | कभी कभी तो तारो को जोड़ जोड़ के आप का चेहरा बना लेता हूँ , आज भी मेरा घर आप की खुसबू से महका महका रहता है |
जनता हूँ आप किसी और की धर्मपत्नी है लेकिन मेरा तो आप से एक पवित्र रिश्ता जिसको कोई नाम दे कर मैं अपवित्र नहीं करना चाहता हूँ |
आप मेरे लिए क्या है आप ये बखूबी जानती है , आप ने जो हमारी भावनाओ को जगह दी है उस के लिए मेरे पास कोई शब्द नहीं है आप से कहने के लिए |कोशिश करता हूँ और करता रहूँगा की आप के लिए जो मेरे सीने में मोह्बत है वो आप को बता सकू लेकिन शब्दकोष कम पड़ जाता है |
बस आप से इतना कह ना चाहता हूँ आप से ही मोह्बत का सच्चा अर्थ समझा है , और मेरी जो सारी मोह्बत है वो बस आप की ही अमानत है |
आप के लिए इतनी इज्ज़त इतनी मोह्बत इतनी फ़िक्र है की, किसी और के लिए वो जगह कभी हमारे दिल में हो नहीं सकती |
आप से मोह्बत करने के लिए एक ज़िन्दगी भी कम है , मैं हर जनम में आप से ही मोह्बत करने की हसरत ले के जन्म लेता रहूँगा |

बस इतना कहना चाहूँगा आप से मोह्बत है बेंतेहा मोह्बत है

Thursday, April 11, 2013

अपनी ज़िन्दगी को कामयाबी की एक नयी मिसाल बना सकू

एक अरसा बिता दिया तेरे इंतज़ार में हमने इस आसियाने में
अब वक़्त आ गया था एक नए मुसाफिरखाने की तलाश का
तेरे बगैर घर तो जिस को कह नहीं सकते पर शायद दो पल मिल जाये जहाँ सुकून के
तुझ से जुदा तो नहीं पर तुझ से अलग हो के खुद को समझ सकू खुद को संभाल सकू
क्यूँ इतना बिखरा बिखरा भटकता रहता हूँ इस सवाल का जवाब पा सकू
अब मन भी कहता है बहुत हो चूका इस जगह का दाना पानी
किसी नयी जगह चलते है जन्हा कोई न हो जाना पहचाना
हर एक चेहरा हो अंजना सा
अब तक तो हर चेहरे में तुम्हारा ही चेहरा देखा था
पर अब अनजान चेहरों में तुमसे अलग अपना कोई चेहरा देख पाऊ
जो बिखरी बिगड़ी हुई सी ज़िन्दगी है मेरी
उस को एक नए सिरे से फिर एक डोर में पिरो सकू
तेरा इंतज़ार कामयाब हुआ या नाकामयाब ये तो नहीं कह सकता
पर हाँ कोशिश यही है अपनी ज़िन्दगी को कामयाबी की एक नयी मिसाल बना सकू

Thursday, April 4, 2013

कुछ दिल का हाल


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तुमसे कभी कहा नहीं लेकिन तुम्हारे लिए सिंदूर ले आया था माता के दरबार से
सुनार से एक मंगलसूत्र बनवा लिया था तुम्हरे लिए अपनी पहली तनखा से
आज भी तुम्हारी ये सारी अमानत संभल के रखी है अपने पास
जब सात जनमो की कसम की कोई समझ भी नहीं थी शायद उस समय से ही तुमको अपना मान लिया था
धर्मपत्नी आर्धन्गिनी इन शब्दों के अर्थ से परे था मेरा रिश्ता तुम्हारे लिए
तुमने सात फेरे तो किसी और के साथ लिए थे लेकिन उन सात फेरो में मन ही मन मैं तुम से बंध गया था
मैं आज भी उन कसमो को निभा रहा हूँ तुम्हारे हर दुःख के लिए अपनी ख़ुशी त्याग रहा हूँ

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सब समझते है मैं ज़िन्दगी से बहुत कुछ चाहता हूँ
पर दिल ही दिल में मैं ये जानता हूँ
मैं ज़िन्दगी से सिर्फ तुम्हे मांगता हूँ

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हर ख्याल में ख्याल आप है
हर बात में बात आप है
हर रात की नींद में ख्वाब आप है
हर दिन की सुबह में सूरत आप है
हर ग़ज़ल की पंक्ति आप है
हर सोच की सोच आप है
हर इश्क का कलमा आप है

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Sunday, March 10, 2013

aap ke liye

वो कहती है कुछ जज़्बात कहे नहीं जाते
और हम ये मानते है सच्ची मोहबत से भरे जज्बात दिल ही दिल में रखे नहीं जाते
वो भी अपनी जगह सही है और हम भी
वो पृथ्वी का रूप हर बात अपने गर्भ में रखे हुए
और हम बादल पृथ्वी की तड़प देख बिना बरसे रह नहीं सकते

Friday, March 1, 2013

आप के लिए

कुछ बेकरारी इधर भी है, कुछ बेकरारी उधर भी है,
एक दुसरे से मिलने की चाहत दिल में लिए सुग्बुआहत इधर भी है, उधर भी है
इश्क के कई नए आयाम अभी पार करने है,यही हसरत लिए,
एक दीवाना इधर भी है, एक दीवानी उधर भी है

Monday, February 18, 2013

तुम को हँसता मुस्कुराता देख शायद मैं कुछ राहत महसूस कर सकू

कल अचानक तुम्हारी आप बीती का एहसास हुआ
तुम जिस प्रताड़ना से गुजरी
उस का कुछ रति भर दुःख मैंने महसूस किया
बहुत स्वार्थी था मैं जो तुम से अलग हो के सिर्फ अपने बारें में ही सोचता रहा
कभी तुम्हारे दृष्टिकोण से उस चीज़ को नहीं दिख पाया
मुझे तो सिर्फ तुम से जुदा होने का गम रहा
पर तुम ने जो सहा तुम जिस दौर से गुज़री
अपनी आंधी मोह्बत की सड़को पर दौड़ते दौड़ते कभी उस जगह ठहर नहीं पाया
कहने को तुम्हारे बैगर बुरा समय मैंने भी देखा
पर वो तुम्हारे बुरे समय के आगे न के बराबर थे
तुम अगर नरक में जल रही थी तो मैं नरक के द्वार पर खड़ा था
यूँ तो ये मेरी इक तरफा मोहबत है पर मोहबत के उसूल जिस में सब से पहले तुम्हारी ख़ुशी आती है
उस उसूल में बंधा हुआ हूँ मैं , बस उसी मोहबत के वास्ते तुम से ये कहना ये चाहता हूँ
तुम्हारी एक हंसी के लिए आज भी दुआए होती है
हो सके तो पुराना समय भूल के खिलखिला के मुस्कुरा दो
तुम को हँसता मुस्कुराता देख शायद मैं कुछ राहत महसूस कर सकू

Monday, February 11, 2013

तुम मिलोगी तो ये देखो गी कैसे तुम्हारी आस पे ये बुत कायम है

अब जो की तुम नहीं हो मेरी ज़िन्दगी में
मुझ को मेरे अन्दर का इंसान भी गुमशुदा सा लगता है
जिसे ढूँढ ने की कोशिश में में न चाहते हुए भी हर उस महफ़िल का हिस्सा बन जाता हूँ
जिस की बातो का मुझ से दूर दूर तक कोई सरोकार नहीं
सब हसंते खिखिलाते है मैं भी बुत बने रहता हूँ
महफ़िल में सब अपना दोस्त समझते है मुझ को पर कोई इंसान नहीं समझता
रोज़ खुद से कई सारे सवाल करता हूँ की क्यूँ हूँ मैं इन महफ़िलो का हिस्सा
पर कोई जवाब नहीं मिलता
मैं भी शायद इस आस पे महफ़िलो में चला जाता हूँ
की कहीं किसी महफ़िल में तुम नज़र आ जाओ
तुम्हारी नज़रो की संजीवनी मुझ को मिल जाये
और फिर ये बुत एक जिंदा इंसान में बदल जाये
कहते है आस पे दुनिया कायम है
तुम मिलोगी तो ये देखो गी कैसे तुम्हारी आस पे ये बुत कायम है

Tuesday, January 15, 2013

तेरी एक हलकी सी मुस्कुराहट

तेरी एक हलकी सी मुस्कुराहट ने ज़िन्दगी के न जाने कितने सफ़र आसान कर दिए
तुम मुस्कुराते रहे और हम ज़िन्दगी में नयी ऊंचाई छूते रहे
सब पूछते है की किस का साया है हमारी कामयाबी के पीछे
और हम हर बार बस तुम्हारी वोही मुस्कराहट अपने हूठो पे लाते रहे