Saturday, March 30, 2019

जिस के तुम लायक नहीं थी

ऐसा क्यों था की सब के लिए इतना सोच के ,अच्छा कर के भी मैं तन्हा था ।
बड़ी आसानी से जहां तुम मेरे साथ जैसे बने वैसा व्यवहार कर लेती थी ।
कभी भी तुम्हे क्यों खुद में गलत नहीं लगा जब तुम मेरे इतने मेसेज और फ़ोन कॉल का रिप्लाई नहीं करती ।
शायद तुमने मेरी समझदारी को granted ले लिया था , तुम ये समझने लग गयी थी तुम मेरे साथ जैसा बने वैसा सलूक कर सकती हो और मैं कभी भी तुम से नाराज़ नहीं रहूँगा , तुम से दूर नहीं जाऊंगा ।
लेकिन तुम ये भूल गयी थी की मेरी समझदारी की भी एक सीमा थी ,जिस के आगे जाके मेरा आत्मसमान जाग जाता है , मेरा क्रोध भी अपने चरम पे आता है ।
बस कभी किसी पे अपना इतना अधिकार नहीं समझा की क्रोध जाहिर कर दू । बस एक यही कमी थी मुझ में या तुम्हे मैंने मोहबत में वो रुतबा दे दिया जिस के तुम लायक नहीं थी ।

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