Tuesday, November 14, 2017

बहुत दिनों से खुद को खुद की नज़रो में बहुत गिरा हुआ महसूस कर रहा हूँ । जानता हूँ समझता हूँ की तुम किसी और की हो चुकी हो , फिर भी तुमसे उम्मीद लगाये बैठा हूँ। तुम्हे सोच के लिखता हूँ , तुमसे अपने दिल की सारी भावनाएं व्यक्त कर देता हूँ ।
कहीं ना कहीं अब मेरी आत्मा अब मुझे धिकारने लगी है , ये हमेशा तुमसे बातें करते रहने का दिल करना , तुम्हे हमेशा अपने आस पास महसूस करना , अब इस से मैं खुद ही तंग आ चूका हूँ ।
ये तो नहीं कह सकता की नए सिरे से ज़िन्दगी शुरू करूँगा , पर अब जितनी भी ज़िन्दगी बची है , वो तुम्हारे बिना गुज़ार देने की कोशिश जरूर करूँगा ।

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