Tuesday, November 14, 2017

तन्हा तन्हा

तन्हा तन्हा

मैं शमा की तरह जलता भी हूँ तन्हा तन्हा
मोम की तरह पिघलता भी हूँ तन्हा तन्हा
एक तरफा इश्क़ भी करता हूँ तन्हा तन्हा
किसी से बिना कुछ कहे तेरे सितम भी सहता हूँ तन्हा तन्हा
रोता हूँ बिलखता हूँ तन्हा तन्हा
खुद ही खुद को मना भी लेता हूँ तन्हा तन्हा
मेरी कोई उम्मीद नहीं ज़माने से
पर तेरी हर उम्मीद पूरी करता हूँ तन्हा तन्हा
कभी कहा नहीं तुझसे पर हर शाम
तेरा इंतज़ार करता हूँ तन्हा तन्हा
तेरा साथ कभी मिला नहीं, कभी माँगा भी नहीं,
तेरा साथ भी खुद को दिए जा रहा हूँ तन्हा तन्हा
तेरा दिल कभी दुखाया नहीं ,
खुद के टूटे दिल का मरहम ढून्ढ रहा हूँ तन्हा तन्हा
तू साथ कभी चला नहीं , मैं तेरे साथ हमेशा चलता रहा तन्हा तन्हा ।
तूने कभी सुना नहीं , मैं ही तुझे पुकारता रहा तन्हा तन्हा ।
तूने लाख बेवफाई की मुझसे , पर मैं वफ़ा करता रहा तन्हा तन्हा ।
मैं फ़ना हो गया तेरे इश्क़ में, मेरी कब्र भी रही तन्हा तन्हा ।
तन्हा कब्र देख ज़माने ने मेरी मजार बना दी,
ज़िन्दगी ना सही मेरी मोहबत मौत को मुक़म्मल कर गई
जब वो मेरी मजार पे फूलों की चादर चढ़ा गई तन्हा तन्हा । @ राज

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