Monday, January 27, 2014

आप के कहे दो शब्द चिता में जलते हुए या कबर में दफ़न होते हुए सुकून के दो पल दे जाये

आप से कभी कुछ माँगा नहीं आप से कभी कुछ चाहा नहीं
जो भी किया आप से आप के लिए पुरे दिल पुरे मन से किया
पूरी शिदत से आप से मोहबत कि
कभी ये जानने कि भी कोशिश नहीं कि कि आप क्या सोचती है मेरे बारें में मेरी मोहबत के बारें
हमेशा अपने दिल का पूरा हाल आप को बयान करता रहा
आप के प्रति मोह्बत को धर्म कि तरह ही निभाया हमेशा
कभी कोई खुदगर्जी का ख्याल नहीं आने दिया
आप कि ख़ुशी आप कि हंसी को सर्वपरि माना खुद के लिए
पर आज दिल में ये ख्याल आया आप से अपने बारें कुछ जानने का
हो सके और जायज़ लगे तो बता दीजिये कहीं मेरा नाम सिमटा सा दबा सा है क्या आप के दिल में
कभी मेरी मोह्बत के गुलशन के किसी गुलाब कि खुशबू ने छूआ है क्या आप को
मेरी इस बेनाम मोह्बत का जरा भी इल्म एहसास है क्या आप को
बहुत ज्यादा तो कोई उम्मीद नहीं लगाये बैठा हूँ बस हो सकता है
बस आप के होठो से दो शब्द सुन ना चाहता हूँ हो सकता है
आप के कहे दो शब्द चिता में जलते हुए या कबर में दफ़न होते हुए
सुकून के दो पल दे जाये
और मेरी ज़िन्दगी कि सार्थकता को एक नया आयाम मिल जाये

No comments: