Monday, January 27, 2014

मेरी हर सोच हर कल्पनाओ का अस्तित्व तुम हो

तुम हो ये मेरी एक सोच है मेरी एक कल्पना है
तुम्हारे संग रहता हूँ
बातें करता हूँ हँसता खेलता हूँ
हरदम तुम्हारी फ़िक्र करता हूँ
अपने दिल कि हर बात तुम से साझा करता हूँ
तुम ही हो जिस कि वजह से मैं कभी अकेला नहीं होता
लोग मुझे देख तरह तरह कि बातें करते है
कुछ तो पागल भी कह देते है
शायद सच भी हो ये बातें जो मैं पागलपन में तुम्हारी कल्पनाएँ करता हूँ
पर ये भी तो एक सच्चाई है हर कल्पनाओं का कोई अस्तित्व होता है
और मेरी हर सोच हर कल्पनाओ का अस्तित्व तुम हो

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