Friday, July 15, 2016

शेख़ भाई की चाय

" फिर बारिश के मौसम में बरसते पानी को देख कुछ पुरानी यादों को ताज़ा कर तुझे याद कर लेना मेरा
तेरी एक झलक देखने के लिए भीगे भीगे शेख़ भाई की टपरी पे पहुंचना मेरा
कांच की गिलास में गरम गरम चाय की चुस्की लेते हुए
रेनकोट में सिमटी हुई बारिश की कुछ कुछ बूँदे चेहरे पे लिए हुए स्कूटी पे पीछे बैठे हुए दिख जाना तेरा
दुआ कबूल हो जाने की ख़ुशी में फिर सब दोस्तों के लिए कसीस वाली चाय का आर्डर देना मेरा
बिना किसी रिश्ते के भीगे मौसम में यूँ तुमसे रिश्ता बन जाना मेरा "

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