Friday, June 10, 2016

फुरकत ( Separation)

माना फुरकत ( अलग होना, separation ) ही थी हमारे रिश्ते की मंज़िल
पर जितना भी साथ चले , वो पल यादगार रहे।
तुम शुरू से आखिरी तक कुछ ना बोली
और मैं कभी चुप ना हुआ
तकलीफ शायद तुम को भी बहुत हुई ,
पर तुम ने कभी जाहिर नहीं की
और मेरे लिए मुमकिन नहीं सीने में दबाए रखना
ये हिज्र ( दुःख ) की काली रात हम दोनों के लिए थी
तुमने उस काली रात को काजल बना आँखों में लगा लिया
और उस काली रात का स्याह चादर लपेट सर्द रातों को जागता रहा
जो हुआ अच्छा हुआ
पर फिर मैं वो नहीं रहा ,जो हुआ करता था
तुम वो ना रही है , जो तुम थी
बस हम दोनों ने दर्द के साथ जीना सिख लिया

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