Thursday, August 7, 2014

स्कार्फ वाली लड़की

" सच कहूँ तो मुझे आप से प्यार तब ही हो गया था जब आप स्कार्फ बांधे हुए स्कूटी पे पीछे बैठी हुयी रोज़ हमारे सामने से गुज़रती थी , शेख भाई टी टपरी पे बैठ के सामने से जाते हुए देखता था। तभी लगा था ये लड़की सबसे अलग है. इस लड़की में कुछ बात है । कितना अजीब दीवाना था सोचता था कुछ भी कर के बस स्कार्फ चुरा लू आप का , बस इसलिए की आप की महक को महसूस कर सकू , उस स्कार्फ को छू के अपने हाथो को आप का एहसास दिल सकू ।

आप को देख देख के सोचा करता था ये लड़की का नाम क्या होगा , इस की आवाज़ कैसी होगी। इस से बात करूँगा तो कैसा लगेगा , क्या बात करूँगा । न जाने कितने दिन लगा दिए इसी सोच में । फिर पता किया तो आप हमारी ही क्लास में दिख गयी । फिर सोचा अब तो काम बन ही जायेगा और कुछ भी कर के आप से बात जरूर कर लेंगे |

बस फिर क्या था रोज़ नए बहाने खोजे जाने लगे और फिर वो दिन भी आ गया जब आप से पहेली बार बात हुई ।
हाय कितनी प्यारी आवाज़ थी ,कितनी हया थी बातों में जैसा सोचा था उस से भी बढ़कर थी आवाज़
आज भी उसी आवाज़ की मदहोशी में डूबा हुआ हूँ ।

बस फिर भी एक आखिरी तमना है आप के उस स्कार्फ को छू लू ,उस की खुशबु मैं सांस ले सकु | "

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