Thursday, February 6, 2020

जाने क्यों तुमसे इश्क़ कर रहा था

खुद को बर्बाद कर रहा था,
जाने क्यों तुमसे इश्क़ कर रहा था ।
टूट रहा था बिखर रहा था,
जाने क्यों तुमसे इश्क़ कर रहा था।
पल पल मर रहा था,
जाने क्यों तुमसे इश्क़ कर रहा था ।
दीवानगी की हदें पार कर रहा था,
जाने क्यों तुमसे इश्क़ कर रहा था ।
रो रो के आंखें लाल कर रहा था,
जाने क्यों तुमसे इश्क़ कर रहा था ।
गीता के श्लोक कुरान की आयतें पढ़ रहा था,
जाने क्यों तुमसे इश्क़ कर रहा था ।
फकीरों की मज़ारों पे मन्नत के धागें बांध रहा था,
जाने क्यों तुमसे इश्क़ कर रहा था।
बहाने बहाने से तुम्हारे पास आ रहा था,
जाने क्यों तुमसे इश्क़ कर रहा था।
रगों में अपने ही खून को दौड़ा रहा था,
जाने क्यों तुमसे इश्क़ कर रहा था ।
सब्र को भी सब्र करने को कह रहा था,
जाने क्यों तुमसे इश्क़ कर रहा था ।
चलते चलते पीछे पलट के देख रहा था,
जाने क्यों तुमसे इश्क़ कर रहा था ।
और किसी का ख्याल जेहन में आने नहीं दे रहा था,
जाने क्यों तुमसे इश्क़ कर रहा था ।
दिल को अपने झूठी तसल्ली दे रहा था,
जाने क्यों तुमसे इश्क़ कर रहा था ।
इंतेज़ार करते करते शामें रातें कर रहा था,
जाने क्यों तुमसे इश्क़ कर रहा था ।
खुद की ज़िंदगी बेरंग कर तुम्हारी ज़िन्दगी रंगीन कर रहा था,
जाने क्यों तुमसे इश्क़ कर रहा था।
तुम्हें कद्र नहीं फिर भी भावनाएं व्यक्त कर रहा था,
जाने क्यों तुमसे इश्क़ कर रहा था ।
आसमान के सितारों को तुम्हारी मिसालें दे रहा था,
जाने क्यों तुमसे इश्क़ कर रहा था ।
ईर्ष्या की अग्नि में जल रहा था,
जाने क्यों तुमसे इश्क़ कर रहा था ।
सब कुछ त्याग संन्यासी बन रहा था,
जाने क्यों तुमसे इश्क़ कर रहा था ।
अपना सर्वस्त्र तुम पर न्यौछावर कर रहा था,
जाने क्यों तुमसे इश्क़ कर रहा था ।

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