Thursday, May 5, 2016

रचना का जन्मदिन था

आज रचना का जन्मदिन था ,सुबह से दिमाग में भी था लेकिन ऑफिस के काम के चकर में ऐसा फसा की रात के १२ बजे गए ।
मैं उस को wish भी नहीं कर पाया था , पता था वो मेरा इंतज़ार कर रही होगी ।

घर पंहुचा तो देखा रचना और माँ बैठ के मेरा इंतज़ार ही कर रहे थे । बैग रखते ही माँ बोली जा रचना के साथ कुछ खा ले , उस ने कुछ खाया नहीं है, सुबह से तेरा इंतज़ार कर रही है ।

मुझे खुद पे बहुत गुस्सा आया लेकिन तभी रचना मुझे किचन में ले आई । जल्दी जल्दी के चक्कर में मैं केक लाना भी भूल गया था , लेकिन किचन के प्लेटफार्म पे देखा एक छोटा सा केक बन रख हुआ था ,रचना ने अपने बर्थडे के लिए केक भी खुद ही bake कर लिया था घर पे ।

केक का छोटा सा टुकड़ा मेरे हाथो में देते हुए बोली अब खिला भी दो सुबह से wait कर रही हूँ.. बहुत ज़ोरो की भूक लग गयी है।

मेरी आँखों में पानी आ गया था । अपने हाथो से रचना को केक खिलाया और और उस के होठो पे जो केक लग गया था ,रचना को kiss करते हुए मैंने थोड़ा खा लिया और रचना को कस के अपने सीने से लगा लिया ।पता नहीं हम दोनों एक दूसरे से गले लग के रोते रहे । हम दोनों जानते थे की हम एक दूसरे से कितनी मोह्बत करते है इसलिए हमे कभी शब्दों की जरुरत पड़ती ही नहीं थी ।

अब वक़्त था रचना के कुछ और surprises का ,मोबाइल ऑन किया तो देखा रचना के मैसेज , बहुत सारे एक एक लाइन के ।
सारे मैसेज में मेरी और उसकी कुछ ख्वाहिशें लिखी हुई थी ।
जैसे जैसे मैसेज पढ़ते गया मेरे चेहरे पे हंसी और भी गहरी होती गयी ।

१. साथ में पाकिस्तान घूमने जाना
२. रोज़ खाने का एक निवाला एक दूसरे को खिलाना चाहे जो भी परिस्थिति रहे
३. उस के चाय के कप की पहली चुस्की मेरी और मेरे कप की उसकी
४. हर महीने उस के लिए कांच की चूड़ियाँ लाना
५. हर वीकेंड उस की पसंद की एक मूवी साथ में देखना
६. हर महीने के एक दिन मेरी पसंद की ग़ज़ल साथ में सुनना

ऐसी ही और भी बहुत सारी ख्वाहिशें लिखी हुई थी । ये रचना थी मेरी रचना , क्या surprise कर दे , surprise दे दे कुछ कह नहीं सकते ।

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