Thursday, January 7, 2016

हम एक दूसरे के होगें

पाप और पुण्य का फैसला करने वाले मेरे बारें में
क्या फैसला करेंगे मैं नहीं जानता
लेकिन तुम्हारी फ़िक्र करना पाप है तो ये मैं हमेशा करता रहूँगा
जानता हूँ तुम किसी और की हो गयी हो
लेकिन राधा भी तो किसी और की हो गयी थी पर वो कान्हा से कँहा जुदा थी
मेरे प्रेम ने तुमसे कोई उम्मीद नहीं बांध रखी है
पर जब मुमकिन हो तुम्हारे सीने से लग के आंशुओ की एक अविरल धारा बहाना चाहता हूँ
ताकि फिर मेरी भावनओं को शब्दों की कोई गुंजाइश ना रहे
ये शायद मेरा आखिरी खत रहे तुम्हारे लिए
तुमसे बस इतना कहना चाहता हूँ
की तुम हमेशा मुझे प्रिय थी और हमेशा रहोगी
तुम्हारे हर दुःख में मैं ज्यादा दुखी रहूँगा और सुख में सुखी
मेरी हर दुआ में एक दुआ तुम्हारे लिए होगी
और इंतज़ार रहेगा उस एक दुनिया का
जंहा इस दुनिया से अलग हर बंधन से मुक्त
हम एक दूसरे के होगें

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