Sunday, February 23, 2014

दो पल आप कि मोह्बत के

आप से इतनी मोह्बत है फिर भी आप कि मोह्बत से महरूम हूँ मैं
कोई खता हुई है मुझ से या फिर मेरी तक़दीर में ही रुस्वाई लिखी है
जी जलता है जब भी आप को पास से गुज़रते देखता हूँ पर बातें नहीं कर पता हूँ
कितना कुछ है आप से कहने के लिए पर आप के पास वो सुन ने का वक़्त नहीं
ये हालात ही ऐसे है या फिर कुछ और बात है
आप के लिए ये पल शायद कोई कीमत नहीं रखते है
पर मेरे लिए तो ये मेरे जीने मरने के बराबर है
आप के लिए जो दिल में सम्भाले रखा है अब तक
एक दफा केह दू आप से तो शायद मुझे भी कुछ सुकून मिले
ये जो तड़प है ये जो मेरी बेबसी है इस मर्ज़ कि कोई दवा निकले
आज भी आप से ज्यादा कुछ मांग नहीं रहा हूँ
बस आप कि मोह्बत से बेसहारा हो के भटक रहा हूँ
दो पल आप कि मोह्बत के मिले जाये तो मेरा भी कुछ ठौर ठिकाना निकले

No comments: