Sunday, February 16, 2014

आप सिर्फ और सिर्फ इश्क़ के लिए बनी है

पता नहीं मैं सही हूँ या गलत दीवाना हूँ कि नासमझ
जो भी हूँ बस आज आप से अपने दिल कि बात कहना चाहता हूँ
आप को पहेली बार देखते ही आप से इश्क़ हो गया था
आप को चोरी छुपे देखना आप से बात करने के बहाने ढूँढ़ना
मेरी आदतों में शुमार हो गया था
आज भी इन आदतों का सिलसिला बादस्तूर जारी है
इन सिलसिलो के चलते कुछ अरमान भी जुड़ गए है आप से
आप को एक बार गले लगाना चाहता हूँ
आप को एक बार छूना चाहता हूँ
आप को अपने दिल कि धड़कन सुनाना चाहता हूँ
कुछ आप के दिल कि धड़कन सुनना चाहता हूँ
आप का हाथ अपने हाथो में लेकर कहना चाहता हूँ
आप से मोह्बत है बेइंतेहा मोह्बत
आप को अपने साथ मोह्बत कि एक नयी उच्चाई पे ले जाना चाहता हूँ
आप को एक एहसास दिलाना चाहता हूँ कि आप सिर्फ और सिर्फ इश्क़ के लिए बनी है

No comments: