Tuesday, January 17, 2017

Unposted dairy pages

कुछ इस तरह तुम्हारे वजूद को अपनी ज़िन्दगी में शामिल कर रहा हूँ , जो उम्मीदें जो ख्वाहिशें तुमसे की थी , वही दुसरो की पूरी कर रहा हूँ।

इश्क़ करना एक बात है और उसकी गहराई समझना अलग बात है । वास्तविक जीवन में अगर तुम मेरे समीप होती तो मैं इस गहराई से कभी वाकिफ ना होता । मेरी कल्पनाओं में तुम्हारे इश्क़ ने , मेरी मोहबत को मुक़म्मल कर दिया ।

कोई सुनने वाला नहीं है इसलिए हाल ऐ दिल कागज़ पे सियाही से लिख रहा हूँ। ये वो जज़्बात है जिनसे मैं भी लिखते वक़्त ही मुखातिब होता हूँ । मैं खुद नहीं जनता मेरे अंदर कितना कुछ दबा हुआ है तुमसे कहने के लिए ।

मैं रोता नहीं बस आँखों में पानी आ जाता है , तुम्हारे होने ना होने की बात नहीं थी , बस एक दर्द है सीने में । जाने क्यों लगता है तुमसे कह देता तो दर्द शायद कम होता । पर अच्छा हुआ तुमने कभी सुना नहीं और यही दर्द मुझे औरो के मर्ज़ का हाकिम बना गया ।

तुम समझी नहीं , मुझे कभी पूरा सूना नहीं , खता किसी की थी आज तक समझा नहीं , हो सकता है मेरा ज़माना मेर दौर सही नहीं था , वरना मेरी मोहबत इतनी कामिल तो थी की तुम अपना लेती ।
ये लिखना किसी की कोई शिकायत नहीं , ये तो बस इसलिए है की इस जलते दिल को , तुम्हारे नाम की ओस मिले और इस ना जाने कबसे जलते तड़पते दिल को कुछ सुकून मिले , राहत मिले ।

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