Wednesday, December 19, 2012

आप भी सोचो कोई मेरा है मेरा मेरे देश में

आप विदेश में है और मैं देश में ,जाने मेरे कितने कीमती पल बीत गए गए आप से दुरी के आवेग में
मन से हमेशा आप के समीप रहा फिर भी न जाने किस बात का राग है मेरे मन में
ये आवेग ये राग आप से नहीं है ये तो मोह्बत का एक रूप है आप के लिए मेरे ह्रदय में
ये ह्रदय कभी आप से जुदा होना नहीं चाहता है ये नादान समझता नहीं हर चीज़ नहीं है इस के बस में
अब वो समय निकट है जब मैंने और आप मिलेंगे फलक के एक नए आशियाने में
अब तो देश की मिटटी और बयार ( हवा ) भी मस्त है मुझे आप के आने का पैगाम देने में
मुझे भी इंतज़ार है अब आप की महक का मेरी साँसों में
मैंने भी व्यस्त हूँ बादलो के ऊपर से आती आप के कदमो की आवाज़ को सुनने में
जो सोच मेरी है दुआ है वोही सोच आप की हो आप भी सोचो कोई मेरा है मेरा मेरे देश में

Monday, December 3, 2012

मन का सफ़र

चलती ट्रेन की खिड़की से झाँक कर देखा तो सब कुछ पीछे छुटता नजर आया,
जिन फासलो को तय करने के लिए सफ़र शुरू किया था,
उन मंजिलो से मिल नई मंजिल के लिए फिर निकल आया,
पीछे छूटते मंज़रो को देख ख्याल आया ऐसे ही बीती ज़िन्दगी भी छुट जाये तो क्या हो,
पर बीती जिंदगी तो मन के सफ़र का हिस्सा होता है जो छूटे नहीं छुटता,
न जाने मन मन ही मन में कितनो से मिलता है कितनो से बिछड़ता है,
मन का सफ़र काटे नहीं कटता, इस सफ़र का कोई अंत नहीं इसकी कोई मंजिल नहीं,
यह भटकता रहता है इसकी कोई सीमा परिसीमा नहीं,
ये कहीं भी आते जाता रहता है भूत वर्तमान भविष्य कहीं भी
मैं भी विवश हूँ इसके आगे न चाहते हुए भी इस सफ़र का मुसाफिर बन जाता हूँ,
मैं थक जाता हु पर ये मन का सफ़र चलता रहता है
मैं कहीं थम भी जाऊ पर ये कहीं थमने का नाम नहीं लेता

Saturday, December 1, 2012

ऐसे तो कभी तुझे से जुदा हुआ नहीं

मुझे भी कभी लगता है जाने कब से तुझे से मिला नहीं
फिर मेरा दिल मुझे से कहता है ये जो मेरे अंदर हमेशा रहता है उस का क्या
नज़रें कहती ये जो हर वक़्त उस को ही देखती है उस का क्या
साँसे कहती हर सांस में उस की महक है उस का क्या
फिर लगता है फिर कहने के लिए ही तुझे से नहीं मिला
ऐसे तो कभी तुझे से जुदा हुआ नहीं

Wednesday, November 28, 2012

तेरा लिखा वोही एक शब्द

तेरे इतना कहने से मैंने फिर जिंदा हो गया
जाने कितनी बार तेरा लिखा वोही एक शब्द पढता रहा
जितनी बार पड़ा हर बार लगा जैसे एक नयी सांस मिल गयी हो मुझे
एक नयी शक्ति का जैसे संचार हुआ पुरे शरीर में
तेरे लिखे एक शब्द से ये हाल है सोचता हूँ जिस दिन तेरा पूरा कलाम आएगा
उस दिन तो पूरी दुनिया मेरे कदमो में होगी और ये आसमान मेरे आगे शीश नवाए खड़ा होगा
इस ब्रम्हांड के पुरे फलक पे बस तेरे और मेरे नाम का कीर्तिमान होगा

शब्द

मैंने खुद नहीं जनता ये शब्द कहाँ से आ जाते है
जब भी तुझे सोचता हूँ जब भी कभी तुझे से कुछ कहना चाहता हूँ
परस्पर दिल से निकल आते है सायद और बहुत कुछ है तुझ से कहने के लिए
आप खुश हो जाती हो ये पड़ कर इस से बड़ी तसली मेरे लिए और क्या हो सकती है
जब से आप को देखा था कोशिश भी तो यही की थी की हमेशा आप को खुश रख सकू
मैंने तो हमेशा बस आप की एक मुस्कराहट का दीवाना था
आज दूर हो कर आप कैसी हंसती होंगी यही सोच मेरी दीवानगी फिर बढ जाती है

थाह और अथाह

आप से जितनी मोहब्त है उस को नापने का पैमाना अभी तक मुझे मिल नहीं पाया है
या फिर ये भी कह सकता हूँ की मैंने खोजने की कोशिश ही नहीं की
क्यूँ की इस सत्य से मैं बखूबी वाकिफ था की
जिस मोहबत की थाह मिल जाये वो मोहबत तो मैं जनता नहीं
मैंने तो हमेशा आप से अथाह मोहबत की है।

Tuesday, November 27, 2012

कुछ पन्तियाँ

तुझसे मोहब्त ही नहीं की थी
अब मैं तुझे अपनी ज़िन्दगी मान चला था
तेरा इस कदर मेरी ज़िन्दगी से रूठ कर चले जाना
मुझे बेचैन कर रहा रहा है


तुझ से गले लग ने का एहसास आज भी है
तेरे लबो की मिठास का स्वाद आज भी मेरे लबो पे है
तुझ से दुरी कितनी भी सही
तुझ से मोहबत बरक़रार आज भी है

Monday, November 5, 2012

रोज़ मर मर के जी लेता हूँ फिर जी जी के मरता रहता हूँ

अब तो लगता है जैसे दम ही घुट जाये गा
आत्मा भी सांस लेने के लिए करहरा रही है
आंसू आँखों तक आते आते पानी खो देते है
दिल की जगह पे लगता है कोई पत्थर पड़ा हो
धडकता ही नहीं
अन्दर जो इंसानियत थी उस का क़त्ल हो गया है
बहुत पहेल ही शायद
जिस से भी मिलता हूँ वो अपनापन दे कुछ एहसान कर जाता है
जाने कितने एहसानों के बोझ के निचे दबा हूँ
सुन ने समझने की शक्ति भी चली गयी है अब तो
या फिर समझने की कोशिश नहीं करता हूँ
नज़र के सामने का अच्छा बुरा नज़र नहीं आता है अब
जाने कितने बरसो से कोई हलचल नहीं हुई इन में
मशीन के सामने बैठ बैठ मानव से मशीन बन गया हूँ
जीवित लोगो से सवांद कर ने की छमता खो चूका हूँ
निर्जीव वस्तू से बात करने में महारत हासिल कर चूका हूँ
दिल की भावनाए भी मशीनो से कहना सिख गया हूँ
किसी जगह हो कर भी उस जगह पे रहता नहीं
जिस जगह पे होता हूँ वो जगह कहीं मिलती नहीं
रोज़ मर मर के जी लेता हूँ फिर जी जी के मरता रहता हूँ
यही होती है शायद सफलता की कीमत जो आज मैंने चूका रहा हूँ
कभी जिंदादिल था आज सिर्फ जिंदा हूँ

चाय की चुस्कियो में

चाय की चुस्कियो में तेरा ज़िक्र आता है
हर चुस्की में तेरे शब्दों तेरी खुशबू का स्वाद आता है
हर उठते भाप पे तेरे चेहरे का कोई नया रंग निकल आता है
हर चाय का कप अपने साथ तेरी बातें तेरी यादें
न जाने कितने जीवन के दर्शन साथ ले कर आता है
जब भी चाय का कप हाथो में लेता हूँ
मेरी उँगलियों को थामे तुम्हारा हाथ दिखाई देता है
लगता है जैसे तुम मेरा हाथ थम बालकनी से कहीं बहुत दूर लेकर जा रही हो
बिलकुल एक चलचित्र की तरह नज़र आता है
अब इसे अतिशयोक्ति कहो या फिर कुछ और
हर चाय के कप में मुझे मेरा भूत वर्तमान और भविष्य नज़र आता है

Friday, November 2, 2012

सिलसिले

सिलसिले तो अभी भी थे तेरे और मेरे दरमियान
पर ये भी हकीक़त है की वो सिर्फ मुझ तक ही सीमित हो गए थे
अब उन सिलसिलो से तुम्हारा कोई वास्ता नहीं था
यूँ तो मैंने भी चाहता था की मेरा भी कोई नाता रहे अब उन सिलसिलो से
दिखने दिखाने के लिए यूँ तो मैंने भी सारे सिलसिले तोड़ लिए थे तुमसे
पर दिल की गहराइयों में पैठ बना चुके उन सिलसिलो से मैंने निजात पा ना सका हूँ अब तक ये भी एक सचाई है
वक़्त के साथ न जाने कितने और सिलसिले अपना वजूद खो चुके है
पर तुम से क्यूँ अब तक ये बरकरार है इस का जवाब मैंने खुद भी खोज रहा हूँ
हर बार वोही एक जवाब मिल पता है इतनी मेहनत के बाद की मेरा और तुम्हारा सिलसिला है ही ऐसा
जो भुलाये नहीं भूलता मिटाए नहीं मिटता
एक आग की चिंगारी है दिल के एक बड़े भाग में जो समय की धार में भी बुझाये नहीं बुझती
शायद यही एक फर्क है तुम में और मुझे में तुम सब कुछ भूल के आगे निकल गयी
और मैंने कुछ न भूल के तुम्हारे पीछे चलता रहा

Thursday, November 1, 2012

रोज़ कुछ न कुछ नए तरीके खोज लेता हूँ

आज भी जब कभी आप के हाथो से खाना खाने का मन होता है
छुरी कांटे छोड़ मैं अपने हाथो से खाना खा लेता हूँ
जब कभी आपकी मीठी लोरी कहानियो की याद आती है
खुद को थपकी दे सुला लेता हूँ जब कभी आप की शाम की आरती की आवाज़ को सुन ने का दिल करता है
मैं वापस अपने बचपन के सुनहरे काल में पहुच जाता हूँ
जन्हा सुबह शाम आप की आरती के मीठे बोल मेरे कानो पे पड़ते है
जब कभी आप को साकछात नमन करने का मन करता है
मैं दुर्गा माँ को नमन कर लेता हूँ
यूँ तो हमेशा आप की कमी मेहसूस करता हूँ
पर यूँ ही खुद को बहलाने के लिए आप को अपने पास महसूस करने के लिए
रोज़ कुछ न कुछ नए तरीके खोज लेता हूँ

Sunday, October 28, 2012

ये मन

ये मन कहीं ठहरता नहीं कहीं रुकता नहीं
जाने ऐसा क्या खोया है इसका जो कहीं मिलता नहीं
कहीं भी कभी भी राहत नहीं है
बस तेरा नाम सुन के थम जाता है
दिल पे हाथ रख लेता है, यूँ तो आवारा है ये
जाने को कहीं भी जा सकता है पर जाने क्यूँ
तेरे ही गुरुत्वाकर्षण की परिधि में भटकता रहता है

Monday, October 22, 2012

Journey

Again I am on a journey It's a journey of self discovery,
Nobody is with me nor I have any companion
Still I am not single,nor feeling alone
because I am with my inner self which is the best company
I hoped and missed so far in my life.
During this self discovery journey I realized that I am covered with lots of dirt,
which has not only polluted my mind but also my soul
Now I am on a mission that I have to clean my inner soul,
my inner self
I know It's an uphill task
But I have the faith and courage that as I will keep walking on this
Dirt will eventually leave my soul
and I will attain the serenity which I have been searching for so long

Saturday, October 20, 2012

फिर कुछ ख्याल

तुम को जाते हुए देख दिल किया तुम को वापस पुकार लू
फिर सोचा जो तुम को वापस आना ही होता तो तुम जाती ही क्यूँ
कई बार यूँ भी हुआ खुद से ही खुद की मोहबत को ले कर तकरार भी हुई
हर तकरार के बाद कुछ आंसू छलका लिए थोड़ी देर तनहा रह लिए
फिर तेरी मोहबत को सीने में लिए खुद को तेरे लिए काबिल साबित करने चल निकले
कई सारे सवाल है जीन के जवाब आज भी ढूँड रहे है
क्यूँ आज भी तुम्हारे लिए मोहबत है मेरे सीने में
क्यूँ तुम को आवाज़ देता हूँ तन्हाई में
जानता हूँ तुम अब कभी नहीं आओगी
शायद ये भी दिल को पता है की अब तुम से कभी आमना सामना न हो पाए
पर शायद मैंने भी बेबस हूँ मेरी मोहबत की दीवानगी के आगे
जाने क्यूँ आज तक उस जगह पे किसी और को काबीज नहीं करा पाया जिस जगह पे तुम थी मेरे दिल में
खुद में ही सोचता हूँ ऐसी क्या बात थी तुम में
ऐसी भी क्या मोहबत थी तुम्हारे लिए
जो तुम को हर दम अपने पास मेहसूस करता हूँ
तुम्हारी पाजेब ( पायल ) की छन छनाहट बहुत शोर में भी सुन लेता हूँ
तुम्हारी महक हर वक़्त आँखों में सांसो में मेहसूस करता हूँ
तुम अगर पास होती तो तुम से ही पूछ लेता ये जो है मेरे और तुम्हारे दरमियाँ
एक तरफा ही सही इस को क्या नाम दू
ये मोहब्त तो नहीं मोहब्त भी इस के आगे बहुत छोटा शब्द लगता है
ये मोहबत से कहीं बहुत ऊपर जिस के लिए कोई नाम कोई शब्द अभी तक दुनिया की किसी शब्दावली में नहीं
जानता हूँ पुरे यकीं से कह सकता हूँ तुम्हारा भी यही जवाब होता

मैं और मेरी परछाई के बीच हर वक़्त तेरा साया है

मैं और मेरी परछाई के बीच हर वक़्त तेरा साया है
तुम मिलो दूर हो मुझ से पर मेरी आँखों में तुम्हारा ज़िक्र है
तुम्हारी जुदाई का दर्द आँखो में लिए है, तुम कहीं नज़रो से छलक न जाओ
आँख के पानी को दिल में समभाल के रखे हुए है

Wednesday, October 17, 2012

RESTLESS

I am restless, I don't whether it my mind or soul which is restless but I do accept I am restless.
I am doing all my duties with utter perfection still that feeling of being restless is always there
This permanent restless is not for some success or any materialistic thing
I am just figuring out the cause of being restless
My soul got restless when I saw an older woman working very hard for his two square meal in a road side eatery.
My mind go restless when I see the pathetic state of my Country
But one thing for sure I am restless because I am going through a soul over hauling process
Will surely come across many reasons and logic for being in a state of restless
But at the moment with a very true heart I do accept I m restless.

Monday, October 15, 2012

कैसे संभालू अपने दिल को

"कैसे संभालू अपने दिल को
हर बार तेरी तस्वीर फिर तुझ से
मोह्बत कर ने पे मजबूर कर देती है
जब भी दिल को तसली देता हूँ
फिर तेरी मोहबत का एहसास इसे बरगला जाती है "

Thursday, October 11, 2012

MANGO PEOPLE

हम को MANGO PEOPLE गन्दी नाली के कीड़े कहने वालो सुन लो ज़रा
अब वो दिन दूर नहीं जब हम अपने पैरो पे खड़े होंगे एक नयी उड़ान भर ने के लिए
उस वक़्त हो सकता वो तुम को गन्दी नालिया भी नसीब न होने दे अपना मुह छुपने के लिए
आज जिन के चलने का सहारा छिना है तुम लोगो ने सत्ता में मदमस्त हो कर
अभी भी वक़्त है कुछ संभल जाओ ऐसा भी क्या सत्ता का नशा
इतिहास गवाह है यहाँ रावण जैसे का गर्व मिट्टी में मिल गया

Saturday, October 6, 2012

बचपन की नासमझी तो पा नहीं सकता पर आज की समझदारी में भी कुछ नासमझी का प्रमाण रख सकू

बहेला फुसला के ज़िन्दगी हमे बचपन से समझदारी में ले आई
सुरुवाती सफ़र तो अच्छा था फिर ज़िन्दगी कुछ अपने रंग में आई
और फिर ज़िन्दगी हमे कुछ ऐसे रास्तो पे ले गयी
जन्हा न जाने कितनी दफे दिल टूटे न जाने कितने अपनों से मिल के बिछड़ गए
खुद के पैरो पे खड़े होते होते जाने कब वो अपने घर की देहलीज़ छुट गई
कभी भीड़ में तन्हाई खोजते रहे कभी तन्हाई भीड़ की कमी महसूस करा गई
दुनियादारी के नाम पे जाने ज़िन्दगी क्या क्या सिखाते चली गई
अब ज़िन्दगी के इस मोड़ पे पीछे पलट के देखता हूँ
तो वो नादान नासमझ बचपन हसंता मुस्कुराता मुझे अपनी और बुलाता है
पर अब मैंने जवाब्दारियों की बेडियो में में ऐसा जकड़ा हुआ हूँ
चाह कर भी वापस नहीं जा सकता पर कभी कभी कोशिश करता हूँ की
बचपन का वो निछल मन फिर पा सकू जिस में किसी के लिए कोई घृणा न हो
जिस किसी से भी मिलु बिना किसी फयदा नुक्सान के खुले दिल से मिलु
बचपन की नासमझी तो पा नहीं सकता पर आज की समझदारी में भी कुछ नासमझी का प्रमाण रख सकू

Thursday, October 4, 2012

फिर तेरे प्यार की बुनियाद पे अपना आशियाना बना ने चला था

फिर तेरे प्यार की बुनियाद पे अपना आशियाना बना ने चला था
फिर तेरे सायो से आपना वजूद बनाने चला था
फिर तेरे हर झूठ पे ऐतबार करने चला था
फिर तेरी हर बेवफाई को दरकिनार कर, तुझ से वफा करने चला था
जनता था तेरी हर एक अदा हर एक बात धोका है
मेरी मोहबत का ईमान बरक़रार रखने के लिए
फिर अपनी आबाद ज़िन्दगी को बर्बाद करने चला था

Monday, September 24, 2012

ज़िन्दगी और भी हसीं हो गयी होती

ज़िंदगी और भी हसीं हो गई होती, 

अगर तुमने फिर से पीछे पलटकर मेरी तरफ देख, 

मुस्कुराया न होता। एक वो दिन था और एक आज का दिन है, 

मैं आज तक उसी हसीन मुस्कुराहट के गुमान में हूँ।

वो एक हसीन धोखा था या फिर हकीकत, 

या फिर कुछ और ही था,

मेरी ज़िंदगी मोहब्बत के इतिहास का एक पन्ना बनकर रह गई।

झूठी तसल्ली

आज भी दिल को तेरी दरकार क्यों है,
जानता हूँ हम दोनों की मंजिलें अलग हैं। 
आज तुम जहाँ हो और जहाँ मैंने हूँ, 
वहां से हम दोनों का एक-दूसरे के लिए वापस लौट आना मुमकिन नहीं, 
फिर भी हर मोड़ पर मुझे तुम्हारे लौट आने की उम्मीद क्यों है?
इसी एक उम्मीद पर रोज़ घर से निकलता हूँ कि कहीं किसी मोड़ पर, 
तुम सब गिले-शिकवे भूलकर मेरी मोहब्बत को अपना लोगी। जानता हूँ ये सब मेरे दिल को बहलाने की एक कोशिश है, 
जिसका हकीकत से कोई वास्ता नहीं, 
पर मैं भी मजबूर हूँ। दिमाग तो बहुत समझदार है पर ये दिल भावनाओं के आवेग में बह जाता है,
 जिसके लिए हकीकत नहीं, तेरे नाम की एक झूठी तसल्ली ही काफी है।

Friday, September 21, 2012

ज़िंदगी की किताब के अब कुछ ही पन्ने

ज़िंदगी की किताब के अब कुछ ही पन्ने बाकी हैं, 

पिछले पन्नों को पलटकर देखता हूँ तो,

कुछ पन्ने उजाले से भरे हुए हैं और कुछ गहरे अंधेरों से,

पिछले पन्नों पर लिखी कुछ दास्तानें माँ को गुदगुदा जाती हैं, 

तो कुछ को पढ़कर आँखें नम हो जाती हैं। 

पन्ने पलटते-पलटते अक्सर ये एहसास होता है, 

जो मंजिल ज़िंदगी शुरू होने पर थी, उससे कहीं बहुत अलग है अब की मंजिल। 

जाने कितने निशान हैं अनगिनत लोगों के इन पन्नों में, 

कितनी मोहब्बत और नफरत भरी हुई है इन पिछले पन्नों में। 

पिछले पन्नों से गुजरती हुई ज़िंदगी, जैसे पर्दे पर चलती हुई कोई फिल्म का एहसास भी करा देती है।

जानता नहीं आगे के पन्नों पर और क्या-क्या लिखा है,

पर ये जरूर कह सकता हूँ, दुनिया की किताबों से जितना पढ़ा है, 

उससे कहीं ज्यादा सिखाया है ज़िंदगी ने।

कितना मुकम्मल रहा ये ज़िंदगी का सफर,

ये तो ऊपर वाले पे छोड़ रखा है, 

कोशिश यही है कि बाकी बचे पन्नों पर ज़िंदगी को कोई मुकम्मल अंत मिल जाए।

Thursday, September 20, 2012

माँ

लॉन की बेंच को आज आपकी कमी महसूस हो रही थी, 
शिकायत कर रही थी कि अब उसका कोई अपना उसके पास नहीं आता।
लॉन की घास भी कुछ सूख सी गई है, 
पूछा तो कहती है अब उसे आपके पैरों की नमी नहीं मिलती।
वो जो आपने तुलसी का पौधा लगाया था न, 
वो भी मुरझा गया है, कहता है अब माँ जल अर्पण नहीं करती। 
अब इन नादानों को कैसे समझाऊं कि जिस माँ ने इन सबको अपनत्व दिया था, 
उसकी और भी बहुत सी जिम्मेदारियाँ हैं, उसके अपनत्व के लिए तरसती और भी कई कोमल हथेलियाँ हैं,
 जिनको संस्कारों का पाठ पढ़ाने माँ उनके पास गई है। 
माँ तो एक ही है, पर उसके आँचल का प्यार पाने के लिए बेचैन बहुत हैं, 
इसलिए माँ को अपना सारा समय अपनी सभी संतानो में बराबर देना पड़ता है... 
तुम सब की वेदना मैं भी समझता हूँ, पर ज़रा उस माँ के लिए भी सोच लो, 
वो भी तुम सब के बिना इस सी वेदना को सहकर कहीं और अपने कर्तव्य को पूरा कर रही है।

Tuesday, September 11, 2012

फिर कभी ज़िंदगी के किसी मोड़ पर

फिर कभी ज़िंदगी के किसी मोड़ पर, 

मेरा और तुम्हारा आमना-सामना होगा। 

तुम्हारे बारे में तो कुछ कह नहीं सकता पर,

मेरे पास बहुत कुछ होगा कहने के लिए, 

वही जो पिछले बारह साल से दफ़न है मेरे सीने में। 

यूं तो रोज ही कहता हूँ तुमसे वही सब ख्यालों में, 

जो कभी तुमसे कहा नहीं हक़ीकत में। 

उस समय भी तुम दुनिया के दस्तूरों का वास्ता दे,

मेरी बातों को अधूरी में छोड़ गई थी, 

और आज भी मैं दुनिया के दस्तूरों से वाकिफ न हो सका।

तुमको दुनिया की फिक्र थी और मुझे तुम्हारी,

तुम्हारी ख़ातिर हर बात को, ख़ामोश कर दिया ताकि तुम पर कोई आँच न आ सके। 

तुम पर आने वाली हर आँच को तो रोक लिया मैंने, 

लेकिन खुद जल रहा हूँ पिछले बारह साल से, 

गुनाह सिर्फ इतना कि तुमसे मोहब्बत की, 

ऐसी मोहब्बत जो कि अधूरी और अनसुनी है अब तक। 

अब बस दुआ है कि फिर एक बार ज़िंदगी के किसी मोड़ पर, 

मेरा और तुम्हारा आमना-सामना हो। 

तुम दुनिया के दस्तूरों से तो बख़ूबी वाकिफ हो, 

अब तुम्हें खुद से वाकिफ करा सकूँ, 

जो तुम्हारे लिए मोहब्बत है मेरे सीने में,

वो आईने की तरह तुमको देख सकूँ, 

जब कभी मेरा और तुम्हारा आमना-सामना हो।

Monday, September 3, 2012

आपका नाम आया

ये तो नहीं जानता आप भी मुझसे मोहब्बत करती हैं या नहीं, 

पर अपने बारे में कह सकता हूँ, 

जब भी कोई ख्याल आया, 

ख्यालों में सबसे पहले आपका नाम आया।

Thursday, August 30, 2012

फिर से तेरे दर

फिर से तेरे दर से मायूस लौटकर आए थे, 

अब तो खुद के आशियाने में भी सुकून नहीं था।

Monday, August 27, 2012

दिल बहुत ज़ोर से धड़कता है

आज भी एक सवाल है जिसका कोई जवाब नहीं, 

जाने क्या हो अचानक जो तुम मेरे सामने आ जाओ। 

जाने कितनी बार आधी रात को नींद से जागा हूँ यही सोचकर,

 जितनी बार भी सोचा, जवाब तो कुछ मिला नहीं, 

पर हाँ, हर बार ये हुआ है, दिल बहुत ज़ोर से धड़कता है।

Tuesday, August 21, 2012

तेरी मेरी मोहब्बत की कुछ दास्तानें

फिर वही पहाड़ों की ढलान पर हाथों में हाथ लेकर चलना, 
कभी अचानक बारिश होने पर, 
तेरा वो मेरे और अपने सर पर अपनी चुनरी डाल देना, 
फिर किसी पेड़ के नीचे मेरे चेहरे से बारिश की वो कुछ बूँदें अपने आँचल से पोंछ देना, 
मेरे गीले बालों को अपने हाथों से सुखा देना।
ऐसी और भी हैं तेरी मेरी मोहब्बत की कुछ दास्तानें, 
जो मैंने कभी कही नहीं, जो तुमने कभी सुनी नहीं...

Wednesday, August 15, 2012

दोस्त बन-बन के मिले मुझको कतल करने वाले

दोस्त बन-बन के मिले मुझको कतल करने वाले, 
गैरों के वारों से हम कहाँ चलने वाले थे। 
चोट गहरी लगी दिल पे अपने लोगों की बातों से, 
कभी सोचता हूँ मेरा कसूर क्या था,
मैंने तो सिर्फ सच्ची दोस्ती का फ़र्ज़ निभाया था। 
खुदा ने कहा दोस्ती के फ़र्ज़ निभाते-निभाते,
एक वक्त ऐसा भी आता है,
जब कोई अपना ही बेहलाज ज़ख़्म दे जाता है, 
जिसका कोई मरहम नहीं होता। 
तुम ढूँढते रहते हो सुकून ज़िंदगी भर, 
और हर बार सुकून तुमसे दो कदम दूर होता है।

Monday, August 13, 2012

जब तुम करीब थी

जब तुम करीब थी, 

दिल में कुछ बेचैनी सी रहती थी, 

तुम्हें खोने का डर रहता था हमेशा।

अब जब तुम दूर हो गई हो मुझसे,

सारी बेचैनी को चैन आ गया है,

मानो अब सारे सुख और दुख से परे हो गया हूँ,

कोई और तुम्हें मुझसे हासिल न कर ले, अब ये डर नहीं रहता। 

शायद तुम्हें मैंने खोकर सदा के लिए पा लिया है।

The_First_&_Last_True_love

You will think what a unique name of the story, it's because it is a
unique real life story of a 54% physically handicapped person suffering from Arthrogryposis with multiple deformities loving a normal girl.
Well that physically handicapped person in love is me and the girl is Rachna. My story started way back in 1992 when we were classmates in Vidya Niketan school Amgaon. Ours was a love hate relationship. Love from my side and hate from her side. I was very friendly and chatty with all girls in my class except Rachna. During our whole school years from standard first to standard tenth we never talked with each other. But deep in my heart I was knowing that I love her without even knowing what actually a true love is. I used to play cricket ball in class room, she always warned me that if ball comes near to her,she will complain to our head mistress.
By luck or by chance ball always used to go near her, but she never complained to head mistress. I loved her every warning. I made my first attempt to talk to her after our 10th standard exams were over. Some how I managed to get her home phone number, and I called her. My heart was beating with 7200 pulse per second when she said “Hello”. I told her that I need her notes as her writing is good for my younger brother. She said ok. She asked me to come to her home and collect it. Now going to her home was a herculean task for me as her home was around 5 km from my home. But some how I managed to convey my friend Mudasaar to carry me on bicycle. Once I reached her home I forgot all the pain I suffered during the ride. For the first time in the long span of 10 years we were talking in a friendly manner. I came back home with her notes, I still go through her notessensing the fragrance of her hand.

Kuch purani kitab copiyan hai jahan
unho ne apne haatho se kuch likha tha..
aaj bhi siyahi kuch gili hai....
jab bhi yaad kar k unpe apni ungliya ghumata hoon
haatho mein lag jati hai woh gili siyahi....
der talak us siyahi ka rang haatho se chuta nahi hai
barso phele kisi zamane mein pyar hua tha un se....
ab to ibadat lagti hai mohabat....

After 10th result came, we both took admission for science stream in
Vidya Niketan Junior college Amgaon. During 11th we started talking to each other formally. During one such talk I asked her to be my best friend. She agreed instantly.From that day onward we used to talk a lot, we exchanged our class notes. She cared for me in all possible ways. Some of her care is still very close to my heart like she collected chemistry notes for me from our chemistry lecturer when I was not there. Previously I was not serious in studies but because of her care I became very good at studies and she transformed me into a good human being. If she has some work she will tell to me only and I will eagerly do it for her. Time fled with her,we passed our 11th exams and moved to 12th board.
Our friendship grew stronger day by day. I was weak in drawing, so she will draw figures for me in biology class and I will help her in mathematics,physics. She gifted me a paper cutting of Sachin Tendulkar's poster, I still have that with me.
During that time our class trip went to Chikhaldara a hill station near Amravati. Me and Rachna sat together in the bus and enjoyed a lot. In Chikhaldara, I asked
her to have a snap of her with me, which is the most price less possession of mine up to date.
One of the most unforgettable experience of Chikaladara trip, I forgot my sweater near the river and Rachna picked it up and handed over to me in the bus.

Nadi k kinare aapni sweater bhul k aa gaya tha..
wo lekar aayi thi teh kar k..
aaj bhi us k mehndi lage haatho ki mehek
ko mehfuz rakha hai
humne aapni alamari mein
un ki ungliyan jahan jahan lagi thi
us jagah ka uunn aaj bhi kuch mulayam hai ab tak,
kuch alag hi sukan deta hai jab bhi phenta hoon

In Maharashtra 12th is a board exam. Rachna challenged me to score very good marks,eventually I topped my 12th class with 86%. After 12th Rachna went for BHMS degree in Nagpur and I was doing round to Nagpur for my BE admission.
During one such round I called for her in her hostel, she asked me to come to meet her but I had my train back to Amgaon so I said no. I was sitting alone in railway platform, all of a sudden Rachna and Priti were standing in front of me.
I was taken by surprise, but inside I was on cloud nine. While leaving I asked Priti who's idea was to come to see me. She said it was Rachna's idea. I felt like dancing in the rain. I had developed a feeling in my heart that Rachna also loves me.
After so many round to Nagpur, I finally got admission for BE (Information Technology ) in M.I.E.T Gondia.While pursuing my engineering degree I used to write letters to
Rachna. During that course of letters exchange she mistook one of my letter as love letter and then misunderstanding grew day by day. Finally we stopped talking each other.After two years of silence,I called her once and said I LOVE YOU and disconnected the call.After some days when I went to my home, I called her once again, after hearing my voice shedisconnected the call.I tried for some three four times every time she disconnected the call. Finally after several calls I manged to say that
“ please let me convey my feelings to you, then do whatever you want to.”

She granted the permission to speak out my heart to her. I said “
Main janta hoon tu mujhe pasand nahi karti, lekin main tumhe bahot saalo se pyar karta hoon,main janta hoon ki tu mujh se kabhi shadi nahi karogi aur aisi koi khwaish bhi nahi hai meri. Main bas apne dil ki baat tumhe batana chahata tha, koi regret nahi rakhna chahata tha.” After hearing these she said “ Don't call again”, I said ok.Three years passed I never tried to contact her, In 2007 I gotselected as a Engineer-B in TIFR.I called her on 11th March which is her birthday to wish her
and tell about my selection. She talked nicely and after some time she gave me the shock of my life, she said she is going to marry on 11th July. I couldn't uttered a single word after hearing those sentences. I felt shattered and couldn't able to collect myself for 10-15 days.
At that times I shared my pain with my dear friend Sachin, who told me to channelize my lovefor her into some positive work.When I went to my home for Diwali, I heard that Rachna gotdivorced. I got the second shock of my life. I wanted her to be happy. With my friend sunil I went to her home but she had gone somewhere else. Her mother told me everything how herhusband tortured her. I felt a deep sorrow in my heart. As a friend once I called her but after hearing my voice she said “Don't call again.”
I felt a big lump in my heart but I said it's ok, I will never call you again. Deep in my heart I have a feeling that she never understood my true love for her.
Six years has passed since, I don't have any information regarding her where she is, how she is, but my day start with typing her name in Google search engine.
I have moved on in my life, I have achieved so much success which I attribute to Rachna. Because of her I fought with my disability to prove myself.I got attracted to some many girls but never I truly loved a girl like I loved Rachna. That's why name of my story is “ The first and last true love “.

It's not necessary to have marriage as the end result of true love, in some exception cases true love gives you the courage to stand for your own, to do something big in your life.

“ Janta nahi ki mohabat hai ya ibadat,
bas itna keh sakta hoon
din tere naam se suru hota hai
aur raat tera naam le kar soti hai”

कलम

जब भी कलम उठाई कुछ लिखने के लिए,

हर बार कलम ने पहले तेरा ही नाम लिखा,

मैंने कलम से शिकायत की तो, 

कलम ने कहा इसमें मेरा क्या कसूर, 

जिस नाम से तेरे ख्यालों का आगाज़ होता है, 

उसी नाम को मैंने शब्दों का रूप दिया...


Wednesday, August 1, 2012

बस की खिड़की

"कल बारिश हो रही थी रात को, 
ऑफिस बस की खिड़की से, 
बाहर देखना चाहा तो कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था। 
पानी की एक हल्की सी परत छड़ी हुई थी काँच के ऊपर,
पर जाने कैसे उस पानी की परत के ऊपर तुम्हारा चेहरा नज़र आ रहा था... 
सारा रास्ता तुमको देखते-देखते कट गया...

Tuesday, July 31, 2012

Why Life is Complicated

While travelling to pune for some official work, I got one SMS which reads

" I asked god why life is so complicated, God replied you never appreciated simple things."

After reading I thought how true it is, we all are so much into our problem tension that we always think about ourself, whatever life has given we take that as granted. We never really admire/appreciate what we have got.

I heard the famous ghazal from the movie Gaman "Seene mein jalan aankho mein toofan sa kyun hai, is sehar mein har shaks pareshan sa kyun hai" in engineering days but now only I started to understand the meaning behind this sentence.


While you think about your own problem just spare a minute to think about someone who is not able to feed their children two time proper meal,somebody has to leave his home and all other belonging because of communal tension.
some where in India some women have to travel 14-15 km just to get drinking water for her family.

Do we have that kind of problem in our life, No still we think we are living miserable life always complaining.

Let's now talk about health.Some days ago I read a tweet from Robin Sharma

" A normal person own a kingdom of good health,which can only be understood by an unhealthy person."

Just try to tell a person who is on bed for half of his life that you have lots of problem in your life.

On a lighter note

All of you must have gone through a situation,where you had a emergency nature's call but because of some reason you are not allowed to relieve yourself.Just remember what was the biggest tension for you on that moment of time,I can bet on that, at that moment of time the BIGGEST tension/problem was to go to washroom to relieve yourself.Nothing else bothered you at that time.

Allow me to tell about myself,

There are lots of question which will ask and I will answer in NO

1. Can I ride a bike ---> No
2. Can I walk or run like you -> No
3. Can I eat like you people---> No
4. Can I travel or enjoy like you people do --> NO

last question

Do I feel depressed ---> A big NO

Now I will tell what I can do

1. I can read a lot.
2. I can write poem,article.
3. I can listen to various kind of music.
4. What if I can't travel, I can see various places on YouTube, TV channel like Fox traveller.

I always think that if you are able to have your two time proper meal you are blessed.
And if you are able to pay all your bills you are super duper blessed.

Never take things for granted, Always appreciate what you have.Always think of every problem/tension as small obstacle.

Whenever you think there is some problem or some tension, start humming the famous song from the movie HUM DONO

" Main zindagi ka saath nibhata chala gaya. har fikr ko dhuve mein udata chala gaya ".

Tuesday, July 24, 2012

A Small incident

Last Sunday we planned to have dinner outside.Naresh and Vishal were already at the restaurant.Sandeep bhai went on bike and I preferred to go by 8.00 PM office vehicle.Only me and Thorat ji (vehicle driver) were in the vehicle.Just when we left GMRT colony,one two wheeler passed very close to our vehicle.Out of curiosity I asked Thorat ji don't he get frighten by such incidents.

He said something which I will never forget in my life.

He said " Sahab main darta nahi, bas manzil tak kaise pahuchu aage kaise nikalu yahi dimag mein hota hai".
So simple yet so powerful sentence.He doesn't fear, he just concentrate on his destination.he just find out solution from nowhere to reach his destination as soon as possible.

Very often in our daily struggle of life, we are caught by fear,seldom we concentrate on solution.
More often solution is in front of us,but because of fear,we fail to see the solution.

I have learned a lot from this small incident, that's why someone said sometimes a small thing can teach you a valuable lesson for lifetime.
I have learned my lessons that I will never fear,I will concentrate on my destination and I will always try to find out solution no matter how much messy the situation is.

Wednesday, July 11, 2012

Every time

Every time I hear the word LOVE, U flash in front of my eyes

Every time I hear the your name ,I fall in Love once again

Every time I experience some presence, I sense U

Every time I walk, I feel U r walking with me

Every time some one says lovable memory, I count the moments spent with U

Every time I pray, I hear U

Every time I eat something, I feel the fragrance of your hand

Every time I dream, you are in my dream.



Tuesday, July 3, 2012

आज उस सड़क पर मैं फिर तनहा हूँ


आज उस सड़क पर मैं फिर तनहा हूँ,

जहाँ मैं और तुम रोज आँखों से मिला करते थे।

हर दफ़ा वादे किए थे तुमसे ऐसे ही हर दम साथ चलूंगा,

जाने क्यों फिर मेरी टूटती हिम्मत,

और तुम्हारी फिक्र ने पीछे हटने पर मजबूर कर दिया।

तुम किसी और से सात जनमों के बंधन में बंध गई,

और मैं अपने किए हुए हर वादे पर अपनी नज़रों से गिरता गया।

उस समय बाकी सब की ख़ुशी के लिए अपनी ख़ुशी की आहुति दे दी,

अब अकेला हूँ तुम्हारी यादों में..रूटता हूँ बिलखता हूँ।

हर कोई अब भी खुश है सिवाय मेरे..

किसी को कोई वास्ता नहीं है मेरे सुख और दुख से,

ख़ुद के कंधों पर लिए चलता हूँ अपने अरमानों की लाश,

उस सी सड़क पर जहाँ हम तुम अपनी नज़रों से मिला करते थे।

Tuesday, June 5, 2012

1. Normally heart beat at the rate of 72 per second.
but whenever U say U love me my heart beats
at the rate of 720000000 per second.

2. sab kehte hai jo bhi ladki mujhe se
pyar karegi wo mujh pe latoo ho jaye gi..
tumhe soch k kehta hoon aisi koi gunzaish hi kanha hai.


..

जब भी



जब भी बारिश हुई,
लगा बादलों पर चलकर तुम आई हो।

जब भी तुम्हारी आवाज़ आई,
लगा बहुत बरसों के बाद मेरी रात की सुबह हुई।

जब भी कोई नई कली खिली,
लगा तुम मुस्कुराई हो।

जब भी आसमान पर चाँदनी बिखरी,
लगा तुमने अपनी पलकों से चाँद को सजाया हो।


Wednesday, May 23, 2012

मेरी कहानी की बात ही निराली है

तुम्हारी वो ख़टी-मीठी कुछ-कुछ बातें
आज भी दिल को गुदगुदा जाती हैं।
काले-काले बादलों के पार जब भी देखता हूँ,
तुम्हारे कान की बालियां नज़र आती हैं।

झूमती, गुनगुनाती पुरवाई तुम्हारे चेहरे पर
आते बालों की याद ताज़ा कर जाती है।
सभी ख़ामोशी से कहते हैं मेरी कोई कहानी नहीं है,
मैं भी दबी ज़ुबान से कहता हूँ
तुम्हारा नाम लेकर मेरी कहानी
की बात ही निराली है।

Tuesday, May 22, 2012

अज़ान

जब भी कानों पर आई तेरी आवाज़, 
लगा मस्जिद से अज़ान हो रही हो,
जाने कितनी ईदें मनाईं
 तेरी गलियों से गुजर कर।

मोहब्बतों के कलाम

जिसे मोहब्बत नाम का कुछ इल्म नहीं, 
वो एक बार आपकी तस्वीर देख ले..
वो शायर हो जाएगा, 
मोहब्बतों के कलाम लिखते-लिखते।

Thursday, May 3, 2012

हम आगे बढ़ चले, ज़िंदगी से लड़ते चले

मायूस होना तो कभी सिखा नहीं था,
जब कभी थोड़ी हिम्मत टूटी,
खुद को खुद का सहारा देकर
हम आगे बढ़ चले, ज़िंदगी से लड़ते चले।

ज़िंदगी ने जो बिछाए कांटे हमारी राह में,
हम उन्हें चुन-चुन कर अपने सर पर कांटो का ताज सजाते रहे।

बहुत मौके ऐसे आए जब ज़िंदगी हमसे दूर होती रही,
और हर मौके पर हम जाती हुई ज़िंदगी से दिल्लगी कर बैठे।

अब इसे ज़िंदगी से मोहब्बत का तोहफा कहिए,
या इश्क-ए-वफ़ा हर टूटती सांस पर,
ज़िंदगी हंसकर हमें गले लगाती रही।

इस तरह ज़िंदगी और हम साथ-साथ बढ़ते चले गए, लड़ते चले गए।

Friday, April 27, 2012

Maa


छुरी और काँटों से खाने में तेरे हाथों का स्वाद नहीं आता

हो सके तो अपने हाथ से दाल चावल मिला के खिला दे माँ

रोज बैठा तो हूँ ए सी में पर,

तेरी गोद में लेट कर तेरे आँचल की ठंडी छाँव का सुकून नहीं मिलता

हो सके तो अपने हांथों से हवा कर फिर सुला दे माँ

बाहर से लड़ झगड़ के आता था रोता था बिलखता था,

तू अपनी साडी के कोनों से मेरे आंसूं पोछ देती थी

अब आंसूओं के सागर में गोते लगा रहा हूँ

हो सके तो आके पार लगा दे माँ,

तेरे सपनों को साकार करने चलते चलते बहुत दूर आ गया हूँ

हो सके तो वापस बुला के अपने गले से लगा ले माँ

थक गया हूँ दुनिया से लड़ते लड़ते, हो सके तो

मेरे सर पे अपना हाथ रख मेरा होसला बढा दे माँ

आज जो कुछ हूँ सब तेरे ही दिए हुए संस्कारों की वजह से हूँ

तेरे चरणों पे शीश नवा कर तुझे प्रणाम करता हूँ,

हो सके तो हर जनम तुझे ही माँ के रूप में पाऊँ ये आशीर्वाद दे माँ

कभी कहा नहीं पर आज कहता हूँ, "आय लव यू माँ ."

Wednesday, April 25, 2012

नादान मासूम

हाथ जोड़कर आप सभी से मेरा अनुरोध है,
लौटा सको तो लौटा दो मेरा वो नादान मासूम बचपन,
जहाँ अपनी काबिलियत साबित करने के लिए
मुझे किसी और मासूम को पीछे छोड़ना पड़े,
वो प्रदूषण मुक्त हवा जहाँ मैंने खुलकर सांस ले सकूँ,
वही पुरानी संस्कृति जहाँ मैं अपनी
माँ को माँ और पिता को पिता कह सकूँ,
वो पुराना ज़माना जहाँ मैंने लैपटॉप और कंप्यूटर
चलाने से पहले ग़ुल्ली-डंडा खेलना सीखा,
लौटा सको तो लौटा दो मेरा वो मासूम
बचपन जहाँ मैंने नादान मासूम बच्चा रह सकूँ।

मेरी कहानी कुछ और होती

यूं तो ज़िंदगी से कोई शिकायत नहीं है, पर तेरा मुकम्मल साथ मिला गया होता तो मेरी कहानी कुछ और होती...

Dedicated to my KAKA

अब वो हाथ नहीं सिर पर आपका,
लेकिन हर वक्त साया महसूस होता है आपका,
अब उस नाम से कोई नहीं बुलाता मुझे,
जिस नाम से आप बुलाया करते थे,
कभी-कभी खामोशी में कानों पर
वही आवाज़ सुनाई देती है,
जिसे सुनने की हर वक्त कोशिश करता हूँ,
किसी से कभी कह नहीं पाया,
ना खुलकर कभी रो पाया,
आपसे ही सीखा है कर्तव्य पथ पर चलना,
आप अधूरे में छोड़ गए तो क्या,
आपको दिए हुए वचन से बंधा हूँ,
जब तक शरीर में सांस है,
आपका बेटा होने का हर फ़र्ज़ निभाऊँगा।

Friday, April 20, 2012

I will

For YOU I will defy the birth and death cycle..I will Love U and Live U through ages.

पिछले जनमों का कुछ रिश्ता है

हमारा तो पिछले जनमों का कुछ रिश्ता है,
कभी कुछ यूँ भी होता है,
तुम जो सोचो वो मैंने कह दिया,
मैं जो देखना चाहूँ वो तुम देख लो,
अपनी नज़रों से ऐसा होता है अक्सर
मेरे और तुम्हारे बीच में,
कुछ है पिछले जनमों का जो बंधा हुआ है
तुम्हें और मुझे एक ही डोर से।

Tuesday, April 17, 2012

दर्द-ए-मोहब्बत


मोहब्बत में हारे हुए लोग कहते हैं,
मोहब्बत बहुत ज़ालिम है, बहुत दर्द देती है,
हमने कहा उस दर्द-ए-मोहब्बत को सही दिशा दे दो,
वह एक नालायक इंसान को लायक बना देती है...

Monday, April 16, 2012

रात तेरा नाम लेकर सोती है

जानता नहीं कि मोहब्बत इबादत क्या है,
बस इतना कह सकता हूँ, दिन तेरे नाम से शुरू होता है
और रात तेरा नाम लेकर सोती है।

Wednesday, April 11, 2012

Thought

Whenever I ran out of thought I think of U..
Whenever I am struck with truckloads of thoughts I think of U

शुक्रिया

जितनी बार आपने मुझसे शुक्रिया कहा है,
काश कि उतनी ही बार आप कह देतीं कि आपको मुझसे प्यार है,
कितने भोले हैं आप, अपनी अमानतों के लिए भी मुझे शुक्रिया अदा किया,
पर इस दिल की वो धड़कन न सुन सके
जो सिर्फ आपके लिए न जाने कब से धड़क रही है...

दास्तान-ए-मोहब्बत

उसने मुझसे पूछा, मेरी किस तस्वीर से तुम्हें मोहब्बत है,
मैंने भी क्या कहता, उसकी तो हर तस्वीर से दास्तान-ए-मोहब्बत शुरू होती है।

Thursday, April 5, 2012

तेरा ख्याल

कितना भी बिज़ी सही, एक पल ऐसा नहीं जिसमें तेरा ख्याल न हो।

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वो कहते हैं आप ना ख़्याल रखना,
कैसे रख पाऊँ अपना ख़्याल,
जब उनका ही ख़्याल दिल से जाता नहीं।

Monday, April 2, 2012

प्रतिबिंब

एक ऐसी जगह जाना चाहता हूँ,
जहाँ न कोई मुझे पहचानता हो,
एक ऐसी जगह जहाँ न कोई आवाज़ हो,
न कोई मुझे मेरे नाम से पुकारता हो,
दूर-दूर तक जहाँ कोई नज़र न आता हो,
सिर्फ मैं ही मैं रहूँ,
और कोई न हो,
पर ऐसा हो मेरे इस मैं में
तुम हमेशा शामिल रहो,
जहाँ तक नज़र जाए,
मुझे मैं, तुम और तुम में मैं नज़र आऊँ,
मैं आवाज़ दूँ और तुम सुनाई दो,
जहाँ मैंने कुछ न कहा और तुम समझ जाओ,
एक ऐसी जगह जहाँ आइने बहुत हों
पर प्रतिबिंब कभी तुम्हारा हो कभी मेरा।

Wednesday, March 28, 2012

बेख़याली

अब कुछ बेख़याली सी रहती है,
कुछ बेफिक्री का आलम रहता है,
तुझे खोने और पाने से कहीं बहुत दूर,
तुझसे मोहब्बत होने का एहसास दिल में हर वक्त रहता है,
तुझे हासिल करने की नियत तो कभी न थी,
मेरे दिल में हर वक्त एक तेरी ही तस्वीर है,
ये बात तुझे बता सकूँ इस बात की तसल्ली रहती है,
यही तसल्ली मेरे होंठों पे हमेशा मुस्कान रखती है,
सब कहते हैं बड़े आराम से हूँ,
कैसे कहूँ ये तेरी सुलगती हुई मोहब्बत है सीने में मेरे,
जो तेज़ हवाओं में भी मुझे जलाए रखती है...

Friday, March 2, 2012

हर इज़हार-ए-मोहब्बत

मेरे हर इज़हार-ए-मोहब्बत पे उन्होंने
मुझसे शर्माते हुए ये सवाल किया,
कि अब मैं क्या बोलूं,
मैंने कहा ये मोहब्बत तो आपकी अमानत है,
बरसों पहले आपने मेरे पास रख छोड़ दी थी,
इस बात पे वो मुझे पागल कहते हैं,
मैं भी शुक्रिया अदा करता हूँ उनका,
इस बेनाम को उन्होंने एक नाम तो दिया...

Sunday, January 29, 2012

काश कि कुछ पलों

काश कि कुछ पलों के लिए मेरा दिल तेरे सीने में धड़क सके,
कैसे जी रहा हूँ तेरे बिना अब तक इस दर्द को तुझे समझा सकूं,
ये चाहत नहीं कि तुझे दर्द में तड़पते हुए देखूं,
बस इतनी सी आरज़ू है कि तुझे मेरी तकलीफ से रूबरू करा सकूं...

तेरे जाने के बाद

मेरी ज़िन्दगी से तेरे चले जाने के बाद लोग मुझसे मेरा हाल पूछते हैं,
क्या कहूँ किस हाल में हूँ,
लगता है जैसे किसी गहरे पानी के सागर में डूब रहा हूँ,
और हर एक सांस के लिए मौत से लड़ रहा हूँ,
खून लगता है जैसे मेरी नसों में ही जम गया है,
दिल हर धड़कन पर कहता है कि अब थक गया हूँ उसके बिना धड़कते-धड़कते,
हालात ये हैं कि मेरे जज़्बातों ने मेरे अल्फाज़ को खामोशी दे दी है,
और लोग मुझसे पूछते हैं मेरा हाल तेरे जाने के बाद।

जिसे ढूंढता हूँ,

बहुत शोर है यहाँ कहीं गुम हुई है मेरी आवाज़,
जिसे ढूंढता हूँ,
कुछ सपने हैं टूट के बिचारे हुए,
फिर से जोड़ सकूं वो सपनों के टुकड़े ढूंढता हूँ,
कुछ दोस्त हैं पीछे छूटे हुए,
उनसे फिर मिल सकूं वो कड़ी ढूंढता हूँ,
ऊँची ऊँची सीमेंट की इमारतों में
कहीं दबा हुआ मेरा एक पुराना मिट्टी का घर है,
जिसे ढूंढता हूँ,
दुनिया की भीड़ में खोया है मेरा वजूद,
खुद की पहचान खुद से कर सकूँ,
वो खुद को ढूंढता हूँ...

Wednesday, January 25, 2012

उनसे मोहब्बत

उनसे मोहब्बत का इज़हार किए ज़माने हो गए,
और बिछड़े हुए भी मुदत्तें हो गईं,
फिर भी रोज़ ख्वाबों में आकर कहती हैं मैं सिर्फ तुम्हारी हूँ।
हम भी दीवाने हैं,
उनके ख्वाबों को हक़ीकत समझ अपनी ज़िंदगी तनहा गुज़ार दी।

Sunday, January 1, 2012

तलाश

वो कहती है मुझसे अपने लिए कोई अच्छी लड़की ढूंढ लो,
मैंने कहा ढूंढ तो लेता लेकिन,
मैं हर लड़की में उन्हें ही तलाश करता हूँ,
और ऊपरवाले ने वैसी एक ही बनाई है...