हर चुस्की में तेरे शब्दों तेरी खुशबू का स्वाद आता है
हर उठते भाप पे तेरे चेहरे का कोई नया रंग निकल आता है
हर चाय का कप अपने साथ तेरी बातें तेरी यादें
न जाने कितने जीवन के दर्शन साथ ले कर आता है
जब भी चाय का कप हाथो में लेता हूँ
मेरी उँगलियों को थामे तुम्हारा हाथ दिखाई देता है
लगता है जैसे तुम मेरा हाथ थम बालकनी से कहीं बहुत दूर लेकर जा रही हो
बिलकुल एक चलचित्र की तरह नज़र आता है
अब इसे अतिशयोक्ति कहो या फिर कुछ और
हर चाय के कप में मुझे मेरा भूत वर्तमान और भविष्य नज़र आता है
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