अब वो हाथ नहीं सिर पर आपका,
लेकिन हर वक्त साया महसूस होता है आपका,
अब उस नाम से कोई नहीं बुलाता मुझे,
जिस नाम से आप बुलाया करते थे,
कभी-कभी खामोशी में कानों पर
वही आवाज़ सुनाई देती है,
जिसे सुनने की हर वक्त कोशिश करता हूँ,
किसी से कभी कह नहीं पाया,
ना खुलकर कभी रो पाया,
आपसे ही सीखा है कर्तव्य पथ पर चलना,
आप अधूरे में छोड़ गए तो क्या,
आपको दिए हुए वचन से बंधा हूँ,
जब तक शरीर में सांस है,
आपका बेटा होने का हर फ़र्ज़ निभाऊँगा।
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