फिर कभी ज़िंदगी के किसी मोड़ पर,
मेरा और तुम्हारा आमना-सामना होगा।
तुम्हारे बारे में तो कुछ कह नहीं सकता पर,
मेरे पास बहुत कुछ होगा कहने के लिए,
वही जो पिछले बारह साल से दफ़न है मेरे सीने में।
यूं तो रोज ही कहता हूँ तुमसे वही सब ख्यालों में,
जो कभी तुमसे कहा नहीं हक़ीकत में।
उस समय भी तुम दुनिया के दस्तूरों का वास्ता दे,
मेरी बातों को अधूरी में छोड़ गई थी,
और आज भी मैं दुनिया के दस्तूरों से वाकिफ न हो सका।
तुमको दुनिया की फिक्र थी और मुझे तुम्हारी,
तुम्हारी ख़ातिर हर बात को, ख़ामोश कर दिया ताकि तुम पर कोई आँच न आ सके।
तुम पर आने वाली हर आँच को तो रोक लिया मैंने,
लेकिन खुद जल रहा हूँ पिछले बारह साल से,
गुनाह सिर्फ इतना कि तुमसे मोहब्बत की,
ऐसी मोहब्बत जो कि अधूरी और अनसुनी है अब तक।
अब बस दुआ है कि फिर एक बार ज़िंदगी के किसी मोड़ पर,
मेरा और तुम्हारा आमना-सामना हो।
तुम दुनिया के दस्तूरों से तो बख़ूबी वाकिफ हो,
अब तुम्हें खुद से वाकिफ करा सकूँ,
जो तुम्हारे लिए मोहब्बत है मेरे सीने में,
वो आईने की तरह तुमको देख सकूँ,
जब कभी मेरा और तुम्हारा आमना-सामना हो।
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