मन से हमेशा आप के समीप रहा फिर भी न जाने किस बात का राग है मेरे मन में
ये आवेग ये राग आप से नहीं है ये तो मोह्बत का एक रूप है आप के लिए मेरे ह्रदय में
ये ह्रदय कभी आप से जुदा होना नहीं चाहता है ये नादान समझता नहीं हर चीज़ नहीं है इस के बस में
अब वो समय निकट है जब मैंने और आप मिलेंगे फलक के एक नए आशियाने में
अब तो देश की मिटटी और बयार ( हवा ) भी मस्त है मुझे आप के आने का पैगाम देने में
मुझे भी इंतज़ार है अब आप की महक का मेरी साँसों में
मैंने भी व्यस्त हूँ बादलो के ऊपर से आती आप के कदमो की आवाज़ को सुनने में
जो सोच मेरी है दुआ है वोही सोच आप की हो आप भी सोचो कोई मेरा है मेरा मेरे देश में
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