अब वो दिन दूर नहीं जब हम अपने पैरो पे खड़े होंगे एक नयी उड़ान भर ने के लिए
उस वक़्त हो सकता वो तुम को गन्दी नालिया भी नसीब न होने दे अपना मुह छुपने के लिए
आज जिन के चलने का सहारा छिना है तुम लोगो ने सत्ता में मदमस्त हो कर
अभी भी वक़्त है कुछ संभल जाओ ऐसा भी क्या सत्ता का नशा
इतिहास गवाह है यहाँ रावण जैसे का गर्व मिट्टी में मिल गया
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