RAJU R UPRADE
WRITER AND POET FROM HEART.
Wednesday, August 1, 2012
बस की खिड़की
"
कल बारिश हो रही थी रात को,
ऑफिस बस की खिड़की से,
बाहर देखना चाहा तो कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था।
पानी की एक हल्की सी परत छड़ी हुई थी काँच के ऊपर,
पर जाने कैसे उस पानी की परत के ऊपर तुम्हारा चेहरा नज़र आ रहा था...
सारा रास्ता तुमको देखते-देखते कट गया...
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