Tuesday, December 27, 2011

हर नाम में उनका नाम सुनाई देता है

आज फिर मेरी मोहब्बत के इम्तिहान का दिन आया है,
उनहोंने मुझे उनके नाम से बुलाने को कहा है,
कैसे बताऊँ मेरी उलझन उन्हें,
किस नाम से पुकारूँ उन्हें,
मुझे तो हर नाम में उनका नाम सुनाई देता है.

Tuesday, November 22, 2011

तेरे जाने के बाद

अब तो रोज महफ़िल सजती है,
पर अब की महफ़िलों में वो जान नहीं होती तेरे जाने के बाद।
ये चाँद भी खिलता है पर थोड़ा उदास रहता है,
रोटा बिलकता है कभी कभी तो पूरा खिलता भी नहीं,
रूठ कर मुँह फुलाए बैठा रहता है तेरे जाने के बाद।

मैं समझा नहीं जाता हूँ तो कहता है,
तेरे और उसके मिलने और जुड़ने पर
मैं घटा बदलता था पूर्णिमा और अमावस्या का प्रतीक बन कर,
शिकायतें जायज़ हैं लेकिन कैसे बताऊँ इस पागल को,
कुछ वादे किए थे तुझे से ज़िंदगी जीने के,
इसलिए हर दम मुस्कुराता रहता हूँ,
हँसता खेलता रहता हूँ
तेरे जाने के बाद।

Wednesday, November 16, 2011

नीला आसमान

उनकी एक तस्वीर है मेरे पास
बरसों पहले दे कर गई थी वो,
रोज देखता हूँ फिर भी जी नहीं भरता,
ये नीला आसमान लगता है
जैसे उनसे ही अपना रंग उधार ले आया हो।

लंबी बारिश के बाद जैसे इंद्रधनुष
अपनी सप्तर्षंगी छटा बिखेरता है,
वैसे ही दस साल इंतजार के बाद रोज
मेरे घर के आंगन में आसमानी रंगों में सिमटी हुई,
गहरी आँखों वाली परी उतरती है,
जैसे कई वर्षों से चलते हुए
घने जंगलों में नीलकंठ पंछी कोई दिखा हो..

सच्ची मोहब्बत पर यकीन करने लगा था मैं

ना नाम मालूम था,
ना गाँव का कुछ पता था उनके,
उम्मीद भी कुछ टूटने लगी थी कि उनसे कभी मुलाकात भी हो पाएगी,
क़िस्मत में लेकिन उनसे मिलना लिखा था शायद,
जो मेरी मरती हुई उम्मीदों की दुआ क़बूल हो गई,
मेरी गहन तपस्या का फल मिल गया था मुझे,
और फिर सच्ची मोहब्बत पर यकीन करने लगा था मैं।

घर की टूटी छत

मेरे घर की टूटी छत से चाँद कर धूप आती है,
मेरे अंधेरे कमरे में रोशनी का वही एक जरिया है।

Wednesday, November 9, 2011

मुसाफ़िर

यहाँ न कोई रकीब है, न ही कोई सनम,
मुसाफ़िर हैं सभी राह चलते हुए,
जो कुछ पड़ाव के लिए हमसफर हो लिए,
कुछ दिन साथ रहे हंस बोले मोहब्बत कर ली,
फिर जुदा हो चले अपनी मंजिल के लिए।

आज ग़मों की ढलती शाम तो क्या

आज ग़मों की ढलती शाम तो क्या,
कल जगमगाता हुआ सवेरा तो होगा,
नहीं मिली अभी तक अपेक्षित सफलता तो क्या हुआ,
कल सफलता की ऊँचाइयाँ तो चुमेंगे,
मेरे शब्दों की आज तुम्हारी नज़रों में कोई कीमत नहीं तो क्या,
कल यही मेरे शब्द किसी के लिए बेशकीमती होंगे।

Tuesday, November 1, 2011

मोहब्बत का इतना बोझ

रोज़ चली आती थी मेरी क़ब्र पे दस्तक देने वो,
सब कहते थे मुझसे बेपनाह मोहब्बत करती थी वो,
क़ब्र के अंदर भी सांस लेना मुश्किल हो गया,
फूलों की चादर को अपनी मोहब्बत का इतना बोझ दे कर जाती थी वो

खामोश हैं आँखें

खामोश हैं आँखें कुछ नमी लिए हुए,
जाने कितना कुछ छुपाए हुए,
बहुत दर्द लिए हैं,
न जाने कब से दिल में दबाए हुए,
कहते-कहते क्यों होंठ हैं कि सिल जाते,
धड़कनें हैं गुज़ारिश करती हुई, बेज़ुबान दर्द की परतें खोलती हुई...

Monday, October 31, 2011

कुछ पुरानी किताब

कुछ पुरानी किताब कॉपियाँ हैं जहाँ
उन्होंने अपने हाथों से कुछ लिखा था,
आज भी स्याही कुछ गीली है,
जब भी याद कर के उन पर अपनी उंगली घुमाता हूँ,
हाथों में लग जाती है,
देर तक उस स्याही का रंग हाथों से छूटता नहीं है,
बरसों पहले किसी ज़माने में प्यार हुआ था उनसे,
अब तो इबादत लगती है मोहब्बत।

नदी के किनारे

नदी के किनारे अपनी स्वेटर भूल के आ गया था,
वो लेकर आई थी तह कर के,
आज भी उसके मेहंदी लगे हाथों की महक
को महफूज़ रखा है
हमने अपनी आलमारी में,
उनकी उंगलियाँ जहाँ-जहाँ लगी थीं,
उस जगह का ऊन आज भी कुछ मुलायम है अब तक,
कुछ अलग ही सुकून देता है जब भी पहनता हूँ।

Monday, August 22, 2011

युवा क्रांति

दुनिया कहती थी भारतीय जनता सोती रहेगी,
कभी आवाज बुलंद नहीं करेगी,
कह दो दुनिया वालों से आज भारत जाग उठा है,
फिर न कभी सोने के लिए,
युवाओं ने अपनी शक्ति का आकलन कर लिया है,
कह दो उन उम्रदराज नेताओं से जाकर सन्यास ले लें,
अब भारतवर्ष को भ्रष्टाचार से मुक्त करने का बीड़ा युवाओं ने उठाया है,
फिर न बुझेंगे ये क्रांति की मशाल,
जो अब जल उठी है,
फिर न बताएंगे मजहब के रंग में,
अब सब तिरंगे रंग में रंगे हुए हैं,
अब विचारवान भारत हमारा है,
यही युवा क्रांति का नारा है।

Thursday, August 18, 2011

बातें

वो बातें जो कभी तुम्हारी थीं,
आज हमने कर ली तो गुनाह हो गया,
फर्क बातों का तो ना था,
फर्क बस तुम में और मुझ में था,
तुम उस वक्त ख़ता कर के सच्चाई की मूरत बन गई,
और हम बिना किसी जुर्म के गुनाहगार साबित हो गए।

तेरी तस्वीर

बरसों बाद आज तेरी तस्वीर सीने से लगा कर ज़िंदा होने का एहसास हुआ।
खुशी के मारे हम अपने ही दिल से सवाल कर बैठा,
धड़कनों ने कहा उसकी एक झलक ने हमें फिर से धड़कना सिखा दिया,
आज मेरी धड़कनों ने मुझे मेरे मरने और ज़िंदा होने का फर्क बता दिया।

Sunday, August 14, 2011

भटकते-भटकते

भटकते-भटकते उनके दर पर आ गए थे,
सीधे रास्तों पर चलते हुए जिनसे मिलना मुमकिन न था।

आज की शाम तन्हा सही,

आज की शाम तन्हा सही,
मेरी महफ़िल में कोई साकी न सही,
तू और मैंने एक-दूसरे से अनजान सही,
पर तेरे मेहंदी लगे हाथों में,
छोटा सा ही सही,
छुपा हुआ ही सही,
मेरे नाम का पहला अक्षर तो है।
तू मेरी ज़िंदगी में न सही,
तेरी यादों में मेरा बसेरा तो है,
मेरी चौखट पर कोई रोशनी नहीं न सही,
मेरे लिए तेरे घर में एक जलता दिया तो है,
मेरी ज़िंदगी इस नाकाम मोहब्बत में बर्बाद तो क्या,
मेरी दुआओं से तू आबाद तो है।

Thursday, July 7, 2011

नाम

वो कहती है, ना मुझे तुम मिल सके,
ना तुमने मुझे हासिल किया,
हम दोनों तो अब जुदा हैं,
फिर हम अपने इस रिश्ते को क्या नाम दें,
मैंने कहा जुदा से सिर्फ हमारे जिस्म हो रहे हैं,
दोनों की आत्मा तो एक-दूसरे में ही लीन है,
ऐसे रिश्तों के नाम नहीं होते दुनिया की नजरों में,
पर मैं तुम में अपनी राधा देखी है,
तुम मुझे में अपना श्याम देख लो।

Tuesday, July 5, 2011

बचपन और जवानी के घावों के फर्क

मेरी खिड़की से अब पक्की सड़क नजर आती है,
जो कभी पगडंडी हुआ करती थी,
बचपन में जिन पर बेखौफ नंगे पांव दौड़ते थे,
अब तो हल्की ठोकर से सहम जाते हैं,
बचपन और जवानी के घावों के फर्क को समझने
की कोशिश की तब समझ आया,
बचपन का लड़खड़ाना बस खरोच देता था,
वहीं अब हल्की सी ठोकर दिल और दिमाग पर गहरा सदमा कर जाती है।

जान तुम तो कमाल कर गए

वो बिना वार किए ही दिल निकाल के ले गए,
और हम सिर्फ इतना कह पाए,
जान तुम तो कमाल कर गए..

सदियां जी गए

जानें क्या बात थी उनके बिछड़ने में,
हमारी आंखों के आंसू आंखों में ही सुख गए,
होंठों ने तो बहुत कुछ कहना चाहा,
पर अल्फाज़ गले में ही रुक गए,
हर पल मरते रहे उनकी जुदाई में,
पर उनके इंतजार में सदियां जी गए...

क्या बात है

यूं तो सभी उनका ख्याल रखते हैं,
उनहें कभी हमारा ख्याल आ जाए तो क्या बात है।
यूं तो वो अक्सर चुप ही रहते हैं,
हमारे सामने आकर दो अल्फाज़ कह जाएं तो क्या बात है,
उनकी नज़रे हमें ढूंढ रही हों,
और हमारी नज़रे उनसे मिल जाएं तो क्या बात है,
उनसे बात करने के लिए तो सभी बेकरार रहते हैं,
वो हमसे बात करने के लिए बेकरार हो जाएं तो क्या बात है,
वो अक्सर भीड़ में होते हैं,
कभी हमारे बिना भीड़ में तन्हा हो जाएं तो क्या बात है,
हम तो उनसे बेपनाह मोहब्बत करते हैं,
उन्हें भी हमारी मोहब्बत से मोहब्बत हो जाए तो क्या बात है।

आवरण

एक आवरण चढ़ा रखा था हमारे स्वभाव में हमने,
बड़ा यकीन था कोई तो होगा जो इस नकली सख्सियत को चीर कर
हमारे अंतरमान में झाँकेगा,
हमारी बेज़ुबान सवेदनाओं को समझेगा,
इस पर मेरी तक़दीर मुझे पे हँसते हुए बोली,
जिनके पास खुद को समझने का वक्त नहीं है,
वो तुझे और तेरी दबी हुई सवेदनाओं को क्या समझेंगे..

थोड़ा अभिमान बाकी है



स्कूल कॉलेज में एक हस्ती थी मेरी,
आज सड़क पर चलती हुई भीड़ का एक हिस्सा हूँ,
पर थोड़ा अभिमान अभी बाकी है,

बहुत उम्मीद थी खुद से सारे लोगों में मेरा चेहरा अलग नजर आएगा,
आज इतने लोगों में खुद की शख्सियत से जुदा हूँ,
पर थोड़ा अभिमान अभी बाकी है,

पानी के बुलबुले की तरह है जीवन,
इस छन्न-भंगुर जीवन का थोड़ा अभिमान अभी बाकी है,

साथी तो बहुत बने इस जीवन पथ पर,
अब सब अपनी-अपनी मंजिल के मुसाफ़िर हैं,
फिर भी उनके साथ का थोड़ा अभिमान अभी बाकी है,

खाली हाथ दुनिया में आया था,
खाली हाथ ही इस दुनिया से जाऊंगा,
फिर भी इस खालीपन का थोड़ा अभिमान अभी बाकी है,

हर वक्त कुचला जाता है यहाँ मेरा आत्मसम्मान, फिर भी मेरे "मैं" में अभी थोड़ा अभिमान बाकी है।

Monday, June 20, 2011

True from heart

1. I can live my whole life in utter SOLACE because of the moments I spent with U.....I Love u and I Miss u just as I love n Miss my breath.
Today you are not with me, but i can feel U with every breeze that flows besides me.....your physical presence was never a concern for me, as U are always with me.....I can feel U..every where....where ever i go.



2. It's an agony you have time for everyone when they need u but nobody has time for you when u need them....


3. Idleness comes in life to test the true character and temparament of a person,
How he can hold the burning desire for something to a particular moment of time.....

आत्मा से जुदा हूँ मैं

  1. तुझे जुदा होकर कैसा हूँ मैंने, शरीर है... आत्मा से जुदा हूँ मैं....

  2. जब मिले थे उनसे,
    उनके दिल में हमारी एक तस्वीर बनी थी।
    आज हम उस जगह अपनी तस्वीर तलाश रहे थे
    जहाँ से हमारा नामो-निशान तक मिटा चुके थे वो

Monday, June 13, 2011

खेल

घर की पिछली दीवारों पे
धूल की परतों के नीचे
पत्थरों से लिखा हुआ
मेरा और तुम्हारा नाम
आज भी हमारे निस्वार्थ
प्रेम की मुक़ गवाही देता है,
ना तुम मुझसे बरसों से मिली हो
ना मैंने तुम्हें मिला हूँ,
फिर भी लगता है जैसे साए की तरह
हर वक़्त तुम मेरे साथ हो,
मैंने आज भी उन्हीं सात फेरे से बंधा हूँ
जिसे तुम बचपन का खेल समझ भूल चुकी हो,
फर्क बस इतना है तुम और मुझमें,
तुम खेल को खेल समझ खेलती रही
और मैंने उस खेल को
अपनी ज़िन्दगी समझ आज भी खेल रहा हूँ..

Friday, June 10, 2011

कशमकश

ज़िन्दगी आज मोड़ पर आ खड़ी हुई थी,
वो तैयार खड़े थे हाथों में मेहंदी लगाए,
खुद को किसी पर निछावर करने के लिए,
और हम बेताब थे उनके दामन में समा जाने के लिए,
दोनों ही तरफ सच्चे प्यार का इम्तिहान था,
अजीब कशमकश थी, जीत किसे गले लगाए...
बात आकर हम पर रुक गई थी,
उन्होंने बड़ी बेबस नज़रों से हमें देखा,
उनके आंसुओं के आगे हम फिर दिल की बाज़ी हार आए थे,
पर सच्ची मोहब्बत को दुनिया में जीता आए थे।
उनको पा कर खो देना आसान नहीं था,
लेकिन आज हमने उन्हें खो कर पा लिया था....

Friday, June 3, 2011

Dil laga ne ki saza bhi aanokhi hoti hai

दूर होकर भी मेरे पास हो तुम,
मेरी हर सांस में हो तुम,
मेरे अकेलेपन में,
अपनेपन का एहसास हो तुम।

ये मत समझना कि तेरी मोहब्बत ना मिली,
तो अपने लिए बर्बादी का आलम लिखूंगा,
तेरी मोहब्बत के भ्रम पे तो मैंने,
सारा जहान जीत लूँगा।

चा कर भी तुम मुझे चाह न सके,
मान कर भी मुझे तुम अपना मान न सके,
गिला इस बात से नहीं कि मुझे तुम्हारी मोहब्बत न मिली,
गिला इस बात से है कि तुम मेरी मोहब्बत समझ न सके।

आज फिर खामोशी में गुनगुनाने को जी चाहता है,
आज फिर तेरे आंचल से लिपट जाने को जी चाहता है,
तेरे खयालों में बनाया था कभी ताजमहल,
आज उसमें तेरी तस्वीर लगाने को जी चाहता है.........

प्यार भी अजीब रिश्ता है,
जिससे उम्मीद हो मरहम की,
वो दर्द देता है,
इस दर्द में भी अजीब अपनापन है,
क्योंकि प्यार ये प्यार से देता है..............

आपके सीने का दर्द मेरा हो जाए,
आपके आंसू मेरी पलकों में आ जाएं,
मेरी होंठों की हंसी आपको मिल जाए,
है अगर मेरे प्यार में सच्चाई,
तो मेरी ये दुआ कबूल हो जाए.....

दिल लगाने की सज़ा भी अनोखी होती है,
जिसे न हो सच्चे प्यार की क़द्र,
मोहब्बत उसी से होती है"...

zindagi ki kasmkash

मेरी हर कमी को मैंने खुदा तेरी रहमत समझा और कबूल किया,
तेरी कुछ और इनायत बाकी थी मुझ पर,
जो ज़िन्दगी की कशमकश में भी तूने मुझे तन्हा छोड़ दिया.......

"दिल की गहराईयों से चाहा है आपको,
हर दुआ में माँगा है आपको,
तक़दीर तो देखो हमारी,
फिर भी मेरे प्यार पर शक है आपको"

मंजिल पाने की कोई खुशी न थी,
कदम-कदम पे ग़मों की आहट सी थी,
कैसे बताऊँ कैसे कटे दिन तेरे बिन,
दिल तो धड़क रहा था पर सांसें थमी सी थीं.....

Har pyar ki manzil nahi hoti

हर रात चाँदनी नहीं होती,
हर जलती चीज़ रोशनी नहीं होती,
क्या हुआ हमने आपसे प्यार किया,
हर प्यार की मंजिल नहीं होती......

ज़िन्दगी से सबको शिक़ायत क्यों है,
हर मोड़ पे रुसवाई क्यों है,
जिसे पाना मुमकिन नहीं,
उससे ही पाने की ख्वाहिश क्यों है.....

Aap ka hamara to Dil ka rishta tha

आपका हमारा तो दिल का रिश्ता था,
फिर आज क्यों हमारे बीच इतने फासले हैं,
आपका मेरे इतने करीब आकर दूर चले जाना,
मेरे हाथों की लकीरों में लिखा था,
या फिर एक बार कसूर हमारा था.......

आप हर कदम पे मेरे साथ रहोगे,
मुझे ये हसीन गुमान था,
एक आप थे बीच सफर में साथ छोड़ चले गए,
एक हम थे हर सफर में आपके कदमों के निशान ढूंढते रहे.....

हमारी ज़िन्दगी की बड़ी अजीब दास्तान है,
रोज वही सुबह, वही शाम है,
जब भी मिली कोई खुशी,
हमें लगा ये कोई आने वाली मायूसी का पैगाम है...........

मुद्दत से दिल जिसके लिए बेकरार था,
हर पल आंखों को जिसका इंतजार था,
जन्मों-जन्मों के लिए जिसे खुदा से हमने मांग लिया था,
वो ही किसी और के लिए हाथों में मेहंदी सजाए बैठा था.....

तूने भी प्यार में क्या वफ़ा निभाई,
लोग आशिक की कब्र पे रोज़ दिया जलाने चले आते हैं,
तू मेरी कब्र पे दो आंसू बहाने भी नहीं आई........

मुक़द्दर लिखने वाले, तूने भी क्या खूब तक़दीर लिखी हमारी,
हम जिसे चाह रहे थे खुदा की इबादत समझ कर,
वही किसी और की मोहब्बत में हमसे रुसवा हो चले थे.....

जाने क्या कमी थी हमारे प्यार में,
वो होकर भी हमारे किसी और के हो गए,
हम आज भी उन्हें अपनों में तलाश रहे थे,
और वो हमारा नाम बेगानों में लिखवा रहे थे

नकारा

दुनिया वालों ने हमें हमेशा नकारा समझा,
इश्क में डूबा हुआ आशिक आवारा कहाँ,
इन न समझों से क्या कर अपनी मोहब्बत की बयान,
वो तो एक दरिया था जिसका कोई साहिल न रहा......

ज़िन्दगी में कई इम्तेहान आए,
ग़मो के तूफान आए,
एक मेरा वजूद था हर थपेड़ों में बिखरता रहा,
एक तेरे प्यार का चिराग था,
हमेशा मेरे दिल में जलता रहा.......

कुछ तो बात थी तेरी मौजूदगी में,
वरना इस कदर ज़िन्दगी में तन्हाई न घिरी होती,
सारी दुनिया की खुशियाँ हमारे दामन में समेट गई होती,
अगर तेरी सोहबत हमें मिल गई होती........

ना तुझे भुला पाऊंगा,
ना तुझे याद रख पाऊंगा,
तू तो मेरा साया है,
तुझसे अलग कैसे मैंने होश में रह पाऊंगा....

नज़रों की इनायत

अपने दिल की हालत की ऐसे बयान करते,
जो समझते थे वो पास होकर भी दूर चले गए,
वो पूछते हैं हम अकेले कैसे रह गए,
जो खुद ही साथ छोड़ हमें तन्हा कर गए......

हर वक्त दुआ करते रहे कि आपका साथ मिले,
पर दुआ कभी कबूल न हुई...
सारी उम्र निकल गई आपकी राह तकते-तकते,
अफ़सोस आपकी नज़रों की इनायत कभी हम पर न हुई........

purani yaadien

  • तुझसे मोहब्बत क्या कि मेरी हर खुशी सितम में बदल गई,
    फिर भी मेरे हर बहते आंसू ने तेरी सलामती के लिए दुआ की,
    एक हम थे तेरे प्यार के लिए इस जहान से रुखसत हो रहे थे.........
    एक तू थी हमारी दुआओं के असर से अपनी दुनिया आबाद कर रही थी,

  • कभी वो हमसे बहुत बातें किया करते थे,
    अपने दिल का हर राज हम पर जाहिर किया करते थे,
    आज वो दूसरों में इतने मसगुल हो गए,
    कि हमें अपने गुज़रे हुए कल में सुमार किया करते हैं.....

  • इतने दर्द मिले कि रोते-रोते आंसू सुख गए,
    हर मुश्किलों के तूफान हमारे आंगन से गुजर गए,
    कभी बहती थी हमारे सीने में प्यार की लहर,
    अब तो लगता है दिल के हर जज़्बात मर गए.......

  • जब भी चाहा किसी का साथ मिले,
    भरी भीड़ में तन्हाई का सिला मिला,
    सिसकते रहे अकेले में,
    चुप कर सके वो हमसफर न मिला.....

  • बहुत कोशिश की लेकिन किसी बात पर खुश न हो सका,
    खुदा ने ग़म की ऐसी चादर लपेटी किसी हाल में फिर मुस्कुरा न सका,
    कभी मैं भी जिंदा-दिल हुआ करता था,
    अब लोग कहते हैं मैं बात करना भूल गया..............

  • इतने टुकड़े किए इस दिल के, तेरे प्यार को भूलाने के लिए,
    हर टुकड़े में फिर भी तेरा नाम लिखा पाया,
    कतरा-कतरा बह गया लहू का जिगर से,
    जाने क्यों तुझे कभी इस दिल से निकाल न पाया.......

  • वो अपनी हर बात में हमारा ज़िक्र किया करती थी,
    उनके हर अल्फाज़ में हमारे लिए फिक्र हुआ करती थी,
    बिना पैगाम के हम मौत की गोद में समा गए,
    अब पता चला वो हमारे इस दुनिया से चले जाने के लिए रोज़ खुदा से फरियाद करती थी....

  • वक्त के तूफानों में हमारे बनाए कुछ रिश्ते
    टूटते जैसे बिखरते चले गए,
    कभी हम जिनके साए हुआ करते थे,
    आज उनकी परछाईं से भी कोसों दूर हो गए......

  • कभी तो उस की बूँद की तरह आकार मुझसे मिल,
    मेरी ज़िंदगी के अंधेरे को अपने कदमों की रोशनी से रोशन कर,
    थक गया हूँ दुनिया की रफ्तार में दौड़ते-दौड़ते,
    अपनी गोद में सुला कर मुझे जन्नत नसीब कर....

  • हर मंजिल का सफर अकेले तय करते गए,
    हर तूफानों के सितम खुद के सीने पर सहते गए,
    बहुत नाज़ था हमें अपने हमदर्दों पर,
    मगर वही हमदर्द हमें दर्द के सैलाब में डुबोते गए.....

  • ख्वाहिश तो ये है तेरे लिए चाँद तारे तोड़ लाऊँ,
    तेरे कदमों के नीचे फूलों की चादर बिछाऊँ,
    हर वीराने में तेरे कंगन की खनक सुनूँ,
    जब भी गिरे तेरी आँखों से आंसू,
    उन्हें मोती में बदल दूँ,
    इतनी मोहब्बत है तुझसे कि तेरी एक मुस्कान
    के लिए अपनी जान फना कर दूँ.....

  • आज मेरी आँखों को तेरा दीदार नहीं हुआ,
    तो चाँद ने भी आसमान को चाँदनी से महरूम कर दिया,
    मैंने चाँद से गुज़ारिश की तो वो बोला,
    तेरी मोहब्बत देख मैंने भी बादलों में खो गया.......

  • सारी उम्र आपकी वफ़ा की कसक चाहती थी,
    तलाश तो थी उस पल की जिसमें आपको हमसे मोहब्बत हो जाती,
    कई सदियाँ गुज़ार देते हम उस पल में,
    जिस पल की कीमत आपके लिए कुछ भी नहीं थी......

  • काश उन्हें भी हमारे इस दिल से मोहब्बत हो जाती...
    आपने हाथों में वो हमारे नाम की मेंहदी रचाती....
    अपनी जान से ज़्यादा जिसे हमारी जान की फिक्र होती.....
    जब हम रूठ जाते, बड़े प्यार से हमें मानती...

  • मेरे लिए हो

    जब भी तू मुस्कुराए तो एक हंसी मेरे लिए हो,
    तेरे हर एक सजदे में दुआ मेरे लिए हो,
    मेरी दर्द-ओ-ग़म से रंजिश हो,
    गर यह हकीकत में हो...

    मुस्कुराए तू तो गालों पे लालिमा मेरी हो,
    दुआ तू कर तो लब मेरे हो,
    इतनी मोहब्बत रहे हम दोनों में,
    आइना तू देखे और अक्स मेरा हो...


    Inteja

    मेरी उखड़ती सांसों का दर्द तेरी आँखों में देखे,
    एक पल भी तेरी नजरों से ओझल रहूँ, तो तेरा दिल तड़प उठे,
    मुझे ठोकर लगे, तो आह तेरी निकले,
    मेरी तन्हाइयों में सिसकियाँ तेरी रहें,
    सर्द हवाओं से जब लड़ता रहूँ, गर्म आंचो का तेरा रहे,
    ऐसे तो बहुत लोग हैं साथ मेरे,
    तुझसे इंतजार है, तू ऐसे वक्त मेरे करीब रहे,
    जब जिंदगी भी मुझसे अपना दामन छुड़ाती रहे...

    Few Lines

    अपनी अरमानों की चिता जला कर आया,
    जो भी मिला एक-एक कर सब खो आया,
    मेरी हर अरज़ न मंजूर की जिंदगी ने अपनी अदालत में,
    और लोग कहते हैं मैंने जिंदगी से बहुत कुछ हासिल कर आया...

    हमारे अश्क थे जो बादल बन उनका दामन भिगो रहे थे,
    और वो नादान कह रहे थे अल्लाह के फ़ज़ल से बारिश हो रही है...

    कुछ ऐसी फांस लगी है उसके जख्मों की,
    हर पल दिल में एक कसक सी होती है,
    मौत ही मंजिल थी इस दर्द की,
    पर उसने जिंदगी जीने की क़सम दी है...

    किसी और को चाहने के पहले
    काश तुम इन आँखों की बेचैनी को समझ पाती,
    किसी और को अपने दिल में बसाने के पहले,
    ये देख लेती कि तुम किसी का दिल उजाड़ रही हो।

    उम्मीद

    एक बनी थी उनके कदमों के निशानों पे चलते चलते
    कभी इस तरह उनके साथ भी चलेंगे
    एक हल्की सी लहर ने उनके निशान मिटा दिए,
    हम जहाँ थे वहीं रह गए
    और इस दरमियान वो कुछ दूर का फासला तय कर गए..

    New One

    हमने तो जब भी की रूहानी मोहब्बत की...
    बाज़ारू इश्क़ की ना तो हमें ज़रूरत है ना ही समझ....

    ज़िंदगी को इतने क़रीब से देखा कि
    ज़िंदगी के हर लम्हे में जी लिया,
    दूसरे किसी से कहाँ इश्क़ की कोई उम्मीद थी,
    खुद को खुद की मोहब्बत के रंग में रंग लिया...

    Friday, May 20, 2011

    सागर नदी

    मैं हूँ सागर खारे पानी का,
    वो नदी मीठे पानी की,
    खुद का वजूद मिटाकर
    अपने जीवन की सार्थकता पूरी करती हुई...
    मिलने चली आती है मुझसे,
    मैं भी उसके बलिदान को यूँ ही नहीं जाने दिया,
    सूरज की गर्मी में तप कर बादल बन हर जगह बरसता हूँ,
    अपनी मोहब्बत को एक नई ऊँचाई देने के लिए 

    Wednesday, May 18, 2011

    Stranger Sister

    Sometimes we meet some strangers on our way who do something for us that's keep our mind ticking lifelong. One such incident happened with me on 17/05/2011.
    I had went to Aurangabad to see my elder brother, While coming back, I took the Aurangabad-Pune bus, As I have to go to Narayanagaon I got down at Ahmednagar by-pass.The bus for Narayanagaon was from Tarakpur bus station. I was standing at the side of highway to ask somebody the way to Tarakpur bus station. Suddenly One lady around 35-40 years in age on her two wheeler came to me, I asked her the way to bus station. She told me the direction as well as offered me that she can drop me there.
    But I told her that I will manage, instead She helped me crossing the road and stopped one auto rickshaw, told the driver the destination and paid the auto fare. When I said I will pay the fare, she said “Behen ne de diya to kuch hota hai kya.”
    I was so dumb struck by that sentence that I could just manage saying thank-you not even asked her name. But the face of my stranger sister will remain in my visual forever.

    Wednesday, May 4, 2011

    Is Love a destroyer ?

    This question often creep in my mind, is Love a destroyer ? Can Loving someone leads us in a situation where we are ready to ruin our life,our aims our goals. I will say no, loving someone can't take you to a path where one can eventually destroy himself/herself. One who destroy himself/herself doesn't love enough oneself. (One who try to destroy oneself might not be in Love but in Infatuation). Before loving someone to that extent one has to learn to love himself/herself to the fullest. One who has learned the art of self loving can't ruin his/her life.

    Then why so many people destroy themselves in love, I will say because they don't have any other major goals or responsibilities in life. They have given priority to love despite having such beautiful life to do something more constructive. ( Perhaps they have not understood the holiness of love !! ). It's always harmful for us to give the emotional remote control of our life to someone. Don't ever let someone decides your fate or make you sad or happy.It always good to channelize your energy. Even if one does not get the love of his/her life has to accept the fact and then he/she should try to channelize the energy in some other direction.

    I agree that not getting love of your life gives a deep scare in your heart, but you have to get the biggest strength, determination to do something extraordinary from that scare. Love is a beautiful and enlightening feelings. Deeply Loving someone gives you the courage and patience to succeed in the world. We have so many example of deep love like Radha and Krishna, they never got married but whenever their is a topic or discussion on love,first name came to our mind is of Radha-Krishna.

    “ Never fall in Love, Always Rise in Love.”

    Can time frame change the course of friendship

    When I was in class 12th, while reading covalent bond in chemistry paper-1, I wrote a phrase

    "Friendship is like a covalent bond,
    where two persons which are in friendship
    have to share Sorrow,joy,happiness between them."

    At that time we friends were unaware of words like importance,expectation,possessive,sentiment,emotional fools. We used to be simple friends even without facebook, mobile phone ,email we were in touch with each other.

    But as the time progresses, we came to know the new definition of friendship.

    Now Each and everybody gets busy as well as happy with his/her life. With the increasingly demanding life, we loose contact with our friends over period of time.

    Now we know about them through the status message of facebook.

    Friendship also suffer from importance ignorance negligence we become friends with someone who takes us for granted.

    Initially they seems to be very good with us but as the time progress and they get close to other persons, they start to take us for granted.

    Their comes the role of expectation, If anyone who is in friendship and they are treated with lower importance there comes the rift between two persons.

    ---> We are human being we tend to have expectations, we are not living a ideal scenario where we are free from such emotions,feelings. If someone shows his/her feeling, can he/she be called possessive,sentimental,emotional fool. At the same time we are also possessive about our non-living companion like clothes, watch, gadgets etc., can we be categorized as emotional chap.

    ----> Time frame can change the course of friendship, there will be very few with whom you will be as it is as you were during the period of friendship bonding.

    -----> Somebody for consoling says that " That's life, let it be..."

    but how we can let it be, don't one can feel betrayed, hurt will not there be some pain,of course it will hurt a lot,it will takes a hell out of us.

    -----> So in order to keep a friendship long lasting one has to value the friendship bond. We have to treat friendship as valuable and precious part of our life.

    And whoever take you for granted remind them following some lines from ghazal by Jagjit singh

    “ Dost mil jayenge kayi..na mile ga koi mere jaisa “

    Sunday, May 1, 2011

    मौत का फरमान

    हर कोई अपना हमें जज़्बाती
    कहकर टालता गया,
    इसलिए मैं अपने अरमानों
    को दिल की गहराइयों में दफन करता गया,
    अरमानों ने पूछा हमारा कुसूर क्या था,
    मैंने कहा कुसूर न मेरा था न तुम्हारा,
    बस मेरे कुछ अपनों ने
    तुम्हारी मौत का फरमान जारी किया था

    मोहब्बत नफ़रत

    उन्हें हमारी हर बात पे एतराज़ है,
    हमें उनके हर एतराज़ से प्यार है...
    उन्हें हमारा काला रंग नापसंद है
    हमें उनके होठों पे काला तिल बहुत पसंद है....
    उन्हें हमारे छोटे कद पे शर्म आती है,
    हमें उनके लंबे बालों पे नाज़ है,
    फ़र्क बस इतना है........
    उनकी नफ़रत से हमें मोहब्बत है
    और उन्हें हमारी मोहब्बत से नफ़रत.......

    मेरी और तुम्हारी वो मुलाकात

    मेरी और तुम्हारी वो मुलाकात,
    जो आखिरी बन के रह गई,
    तुम्हारी बोलती आँखों की ख़ामोशी
    जाने कैसे तुम्हारा हाल-ए-दिल बयां कर गई,
    बंद होंठों से जुदाई का
    वो दर्द जाने तुम कैसे कह गई,
    अब तक हैरान हूँ मैं , इतनी बड़ी बेवफ़ाई
    इतनी वफ़ा से तुम कैसे कर गई.....

    Sunday, April 24, 2011

    Thoughts

    1.Never take sumone for granted,always remember the way u r treating sumone,u can also be treated in the same way by sumbody.Feel the pain before it hurts.

    2.I never lost ur lost,I have always gained a heap of strength by falling in love with u.

    Mere aur Un k biche

    अब मेरे और उनके बीच बातें करने
    जैसा कुछ बचा ही नहीं था,
    फ़कत ख़ामोशी रह गई थी हमारे दरमियान,
    मिलते तो ज़रूर थे एक-दूसरे से
    राहों पे चलते-चलते
    लेकिन कहते कुछ नहीं थे,
    कुछ रिश्तों की डोर से बँधे हुए थे शायद,
    इसलिए एक-दूसरे को देखकर मुस्कुरा दिया करते थे.....

    Tuesday, April 19, 2011

    Zindagi

    ज़िंदगी की राहों में चलते-चलते,
    नन्हीं-नन्हीं हथेलियों में
    ना जाने कब जीवन की डोर आ गई,
    हमने भी पतंग की डोर समझ थाम कर
    आसमान की ऊँचाइयों को छूने की कोशिश की,
    उंगलियों से जब ख़ून निकला तब समझ आया,
    ये पतंग की नहीं ज़िंदगी की कातिल डोर है
    जो नन्हीं हथेलियों और मजबूत हाथों में फर्क नहीं करती...

    Sanam

    सनम ने हूमे मिलने उन की गलियों में बुलाया है,
    हमअंधेरो में भटक ना जाए,
    रोशनी क लिए चाँद को अपनी नज़रो से नहलाया है....

    Idleness

    Idleness comes in life to test the true character and temprament of a person,
    How he can hold the burning desire for something to a particular moment of time.

    Tuesday, April 5, 2011

    sayari's by me....

    तेरे हाथों के लिखे वो अध-जले खत ....
    जिनका आखिरी पैगाम भी मैं पढ़ नहीं पाया
    उनका पूरा जलना बाकी था.....
    ऐसे तो तेरी बहुत तस्वीरें बहा चुका था..
    आंखों में बसी हुई.. तेरी तस्वीर को आंसुओं से बहाना बाकी था.....
    कहीं न कहीं लगता है... खत्म हो के भी खत्म न हो पाया..
    वो तेरा मेरा रिश्ता बाकी था....

    कोई शिकायत न कोई उम्मीद तुमसे रहेगी ...
    ना तुम मुझे वो प्यार दे पाई जिस काबिल मैं था...
    ना तुम वो प्यार समझ पाई जिसे पे तुम्हारा हक़ था...
    बस एक यही टीस उम्र भर रहेगी.....

    कुछ उलझे हुए ख़याल हैं,
    कुछ बिखरी हुई ज़िंदगी,
    थोड़ी ठहरी रुकी भी है.....
    पर लगता है जैसे हर ठहराव
    हर पड़ाव अंदेशा लिए हुए,
    कुछ नए रस्तों का... नई मंज़िलों का...

    हर सहर हर गली की खाक छान मारी...
    पर उनका कुछ पता न मिला,
    तन्हाई में तकरार करते रहे...
    वो ख्वाबों में आकर बोले.....
    दिल में बसने वालों के पते हुआ नहीं करते....

    meri likhi hui kuch nazamein hai.....

    काश तुम कभी इस सागर जैसी गहराई वाले दिल का मंथन कर पाती,
    इस सीने में दबे हुए अमृत कलश को निकाल पाती,
    लेकिन तुमसे निकला भी तो विष का प्याला,
    जिसने एक बनते हुए आशियाने को उजाड़ डाला......

    मेरी और तुम्हारी वो मुलाकात,
    जो आखिरी बन के रह गई,
    तुम्हारी बोलती आँखों की ख़ामोशी
    जाने कैसे तुम्हारा हाल-ए-दिल बयां कर गई,
    बंद होंठों से जुदाई का वो दर्द जाने तुम कैसे कह गई,
    अब तक हैरान हूँ मैंने इतनी बड़ी बेवफ़ाई इतनी वफ़ा से तुम कैसे कर गई.....

    हर शाम मयकदे में तेरे नाम एक जाम होता है,
    हाथों से झटक़ न जाए, लबों से थामा होता है........
    तू कहीं बेवफ़ा के नाम से मशहूर न हो जाए......
    इसलिए ये दीवाना रोज़ शराबी के नाम से बदनाम होता है.....

    एक अक्स

    एक अक्स है भीड़ में तन्हाई में जिसे ढूंढता हूँ,

    जाने क्यों अब महरूम हूँ जिसे से.....

    मिलेगा या नहीं ये भी नहीं जानता हूँ...

    बस एक तलाश है......

    लगता है बहुत पहले बड़ा करीब था अब क्यों जुदा है ये जानता नहीं....

    कब बिछड़े थे ये भी कुछ धुंधला सा है....

    आज जब पलट के देखा तो वो गुमशुदा था......

    जिसके हर पल मेरे साथ होने का यकीन था मुझको.....

    गहराई से सोचा तो समझ आया मेरा वजूद मुझसे खफा है....

    खुद से खुद को पाने की ये जुस्तजू है.....आरज़ू है...

    Tuesday, March 15, 2011

    Apne seher mein

    Today we all are very much stable and successfull at our level.But when we sit alone somwhere sometimes we feel a void in our heart.
    No doubt we are working, earning a handsome salary and living a good life style, still some pain is there, some emptiness is there.
    Most of us left our hometown at a early age to mark our own identity. Before leaving every lane dusky path was known to us, but now that same lane, dusky path are quite unknown to us. Walking on those path lends us nowhere.Somewhere a thought strikes, is that was worth leaving our birth place.
    We keep hopping from one city to another, one country to another country. No matter where we are, how much luxury we have, we miss the scent of our birth palce, our mother.
    I have written some lines which depicts the pain,

    Ye na socha tha tere aanchal ki thandi chhav se itne dur chala aaunga,
    jahan tere mamta mayi hatho ka sparsh pichhe chhut jaye ga,
    jeevan mein safal hone ki itni badi kimat chukaunga,
    aapni maa apni janambhumi se itne dur chala aaunga....

    While hopping during our life, we remain in constant touch with our friends throught Internet, phone call but do the Internet applications like Facebook ,gtalk gives us the warmth of friendship which we feel while meeting personally, with changing world every aspect of our life has changed a lot.

    Ab hum dost facebook aur twitter pe milte hai..
    gharo k pate to maloom nahi lekin email address pe mail karte hai
    real world mein hote huye virtual world mein login karte hai..
    ab hamari zindagi ki choti badi bataon ko facebook pe update karte hai...
    jab kabhi bhul se aamne samane aa jaye..to huale se muskura dete hai
    lekin gtalk yahoo messenger per ghanto chat karte hai....

    As time passes, we think of making our identity and getting back to our roots but we forget that nothing will remain same back home.

    Apne seher ko chhod chala tha,
    ek naye seher mein nayi phechan liye nayi hasti bana ne k liye,
    aaj jab lauta aapne seher mein apne seher mein,
    apnapan jaisa kuch laga hi nahi,
    nayi basti thi naye log the har taraf ek ajeeb ajnabiyat liye huye...
    Socha tha ek hasti bana kar lautunga apne logo mein
    hasti to bana le, par apna koi mila hi nahi apne seher mein....

    Wednesday, March 9, 2011

    She never let me feel handicapped

    Today I am working as an engineer for the Giant Meterwave Radio Telescope at the Tata Institute of Fundamental Research Centre. Born a physically challenged person, I never thought that I would be able to reach this level in my career.

    Whatever I am today is because of my mother and values instilled by her. My younger brother and I were both born physically handicapped, with 65 and 60 percent disabilities. But she never let us feel like we were handicapped or dependent on someone. She instilled courage, hard work, will power, determination and more in us so that we could live a normal life. Because of her faith I was able to complete my BE in Information Technology.

    I remember one incident that burned the fire within me to do something extraordinary. It was my twelfth birthday and we never had birthday parties or celebrations at our house as we belonged to a humble family. But as a child, I was curious as to why my birthday was not celebrated like other children in my neighbourhood. So I asked my mother and she replied, "Yeh kya -- khud ka janamdin khud se manana. Kuch aisa kaam karo ki desh wale aap ka janamdin manayein!" ("What is this -- celebrating your own birthday. Work hard and do something that has the whole country celebrating your birthday!"). After that, I never bothered about my birthday party.

    Last year I went in for lumbar spine surgery. I was hospitalised for 10 days and given bed rest for two months. During that time, my mother gave me the courage to know that I would be alright. Because of her positive attitude, I overcame the fear of surgery. Then in mid-June 2010, I lost my father. At that time too, my mother stood firm and gave us the strength to deal with this unexpected crisis.

    I can just say I owe my whole life to my mother. Maa, I want to be your son only every time I take birth.