Tuesday, November 1, 2011

खामोश हैं आँखें

खामोश हैं आँखें कुछ नमी लिए हुए,
जाने कितना कुछ छुपाए हुए,
बहुत दर्द लिए हैं,
न जाने कब से दिल में दबाए हुए,
कहते-कहते क्यों होंठ हैं कि सिल जाते,
धड़कनें हैं गुज़ारिश करती हुई, बेज़ुबान दर्द की परतें खोलती हुई...

No comments: