Wednesday, November 9, 2011

आज ग़मों की ढलती शाम तो क्या

आज ग़मों की ढलती शाम तो क्या,
कल जगमगाता हुआ सवेरा तो होगा,
नहीं मिली अभी तक अपेक्षित सफलता तो क्या हुआ,
कल सफलता की ऊँचाइयाँ तो चुमेंगे,
मेरे शब्दों की आज तुम्हारी नज़रों में कोई कीमत नहीं तो क्या,
कल यही मेरे शब्द किसी के लिए बेशकीमती होंगे।

No comments: