RAJU R UPRADE
WRITER AND POET FROM HEART.
Tuesday, November 1, 2011
मोहब्बत का इतना बोझ
रोज़ चली आती थी मेरी क़ब्र पे दस्तक देने वो,
सब कहते थे मुझसे बेपनाह मोहब्बत करती थी वो,
क़ब्र के अंदर भी सांस लेना मुश्किल हो गया,
फूलों की चादर को अपनी मोहब्बत का इतना बोझ दे कर जाती थी वो
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