कुछ पुरानी किताब कॉपियाँ हैं जहाँ
उन्होंने अपने हाथों से कुछ लिखा था,
आज भी स्याही कुछ गीली है,
जब भी याद कर के उन पर अपनी उंगली घुमाता हूँ,
हाथों में लग जाती है,
देर तक उस स्याही का रंग हाथों से छूटता नहीं है,
बरसों पहले किसी ज़माने में प्यार हुआ था उनसे,
अब तो इबादत लगती है मोहब्बत।
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