RAJU R UPRADE
WRITER AND POET FROM HEART.
Sunday, August 14, 2011
भटकते-भटकते
भटकते-भटकते उनके दर पर आ गए थे,
सीधे रास्तों पर चलते हुए जिनसे मिलना मुमकिन न था।
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