Thursday, August 18, 2011

बातें

वो बातें जो कभी तुम्हारी थीं,
आज हमने कर ली तो गुनाह हो गया,
फर्क बातों का तो ना था,
फर्क बस तुम में और मुझ में था,
तुम उस वक्त ख़ता कर के सच्चाई की मूरत बन गई,
और हम बिना किसी जुर्म के गुनाहगार साबित हो गए।

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