RAJU R UPRADE
WRITER AND POET FROM HEART.
Friday, June 3, 2011
उम्मीद
एक बनी थी उनके कदमों के निशानों पे चलते चलते
कभी इस तरह उनके साथ भी चलेंगे
एक हल्की सी लहर ने उनके निशान मिटा दिए,
हम जहाँ थे वहीं रह गए
और इस दरमियान वो कुछ दूर का फासला तय कर गए..
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