Friday, June 3, 2011

Aap ka hamara to Dil ka rishta tha

आपका हमारा तो दिल का रिश्ता था,
फिर आज क्यों हमारे बीच इतने फासले हैं,
आपका मेरे इतने करीब आकर दूर चले जाना,
मेरे हाथों की लकीरों में लिखा था,
या फिर एक बार कसूर हमारा था.......

आप हर कदम पे मेरे साथ रहोगे,
मुझे ये हसीन गुमान था,
एक आप थे बीच सफर में साथ छोड़ चले गए,
एक हम थे हर सफर में आपके कदमों के निशान ढूंढते रहे.....

हमारी ज़िन्दगी की बड़ी अजीब दास्तान है,
रोज वही सुबह, वही शाम है,
जब भी मिली कोई खुशी,
हमें लगा ये कोई आने वाली मायूसी का पैगाम है...........

मुद्दत से दिल जिसके लिए बेकरार था,
हर पल आंखों को जिसका इंतजार था,
जन्मों-जन्मों के लिए जिसे खुदा से हमने मांग लिया था,
वो ही किसी और के लिए हाथों में मेहंदी सजाए बैठा था.....

तूने भी प्यार में क्या वफ़ा निभाई,
लोग आशिक की कब्र पे रोज़ दिया जलाने चले आते हैं,
तू मेरी कब्र पे दो आंसू बहाने भी नहीं आई........

मुक़द्दर लिखने वाले, तूने भी क्या खूब तक़दीर लिखी हमारी,
हम जिसे चाह रहे थे खुदा की इबादत समझ कर,
वही किसी और की मोहब्बत में हमसे रुसवा हो चले थे.....

जाने क्या कमी थी हमारे प्यार में,
वो होकर भी हमारे किसी और के हो गए,
हम आज भी उन्हें अपनों में तलाश रहे थे,
और वो हमारा नाम बेगानों में लिखवा रहे थे

No comments: