Friday, June 3, 2011

Dil laga ne ki saza bhi aanokhi hoti hai

दूर होकर भी मेरे पास हो तुम,
मेरी हर सांस में हो तुम,
मेरे अकेलेपन में,
अपनेपन का एहसास हो तुम।

ये मत समझना कि तेरी मोहब्बत ना मिली,
तो अपने लिए बर्बादी का आलम लिखूंगा,
तेरी मोहब्बत के भ्रम पे तो मैंने,
सारा जहान जीत लूँगा।

चा कर भी तुम मुझे चाह न सके,
मान कर भी मुझे तुम अपना मान न सके,
गिला इस बात से नहीं कि मुझे तुम्हारी मोहब्बत न मिली,
गिला इस बात से है कि तुम मेरी मोहब्बत समझ न सके।

आज फिर खामोशी में गुनगुनाने को जी चाहता है,
आज फिर तेरे आंचल से लिपट जाने को जी चाहता है,
तेरे खयालों में बनाया था कभी ताजमहल,
आज उसमें तेरी तस्वीर लगाने को जी चाहता है.........

प्यार भी अजीब रिश्ता है,
जिससे उम्मीद हो मरहम की,
वो दर्द देता है,
इस दर्द में भी अजीब अपनापन है,
क्योंकि प्यार ये प्यार से देता है..............

आपके सीने का दर्द मेरा हो जाए,
आपके आंसू मेरी पलकों में आ जाएं,
मेरी होंठों की हंसी आपको मिल जाए,
है अगर मेरे प्यार में सच्चाई,
तो मेरी ये दुआ कबूल हो जाए.....

दिल लगाने की सज़ा भी अनोखी होती है,
जिसे न हो सच्चे प्यार की क़द्र,
मोहब्बत उसी से होती है"...

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