अपनी अरमानों की चिता जला कर आया,
जो भी मिला एक-एक कर सब खो आया,
मेरी हर अरज़ न मंजूर की जिंदगी ने अपनी अदालत में,
और लोग कहते हैं मैंने जिंदगी से बहुत कुछ हासिल कर आया...
हमारे अश्क थे जो बादल बन उनका दामन भिगो रहे थे,
और वो नादान कह रहे थे अल्लाह के फ़ज़ल से बारिश हो रही है...
कुछ ऐसी फांस लगी है उसके जख्मों की,
हर पल दिल में एक कसक सी होती है,
मौत ही मंजिल थी इस दर्द की,
पर उसने जिंदगी जीने की क़सम दी है...
किसी और को चाहने के पहले
काश तुम इन आँखों की बेचैनी को समझ पाती,
किसी और को अपने दिल में बसाने के पहले,
ये देख लेती कि तुम किसी का दिल उजाड़ रही हो।
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