Friday, June 3, 2011

नकारा

दुनिया वालों ने हमें हमेशा नकारा समझा,
इश्क में डूबा हुआ आशिक आवारा कहाँ,
इन न समझों से क्या कर अपनी मोहब्बत की बयान,
वो तो एक दरिया था जिसका कोई साहिल न रहा......

ज़िन्दगी में कई इम्तेहान आए,
ग़मो के तूफान आए,
एक मेरा वजूद था हर थपेड़ों में बिखरता रहा,
एक तेरे प्यार का चिराग था,
हमेशा मेरे दिल में जलता रहा.......

कुछ तो बात थी तेरी मौजूदगी में,
वरना इस कदर ज़िन्दगी में तन्हाई न घिरी होती,
सारी दुनिया की खुशियाँ हमारे दामन में समेट गई होती,
अगर तेरी सोहबत हमें मिल गई होती........

ना तुझे भुला पाऊंगा,
ना तुझे याद रख पाऊंगा,
तू तो मेरा साया है,
तुझसे अलग कैसे मैंने होश में रह पाऊंगा....

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