Friday, June 3, 2011

New One

हमने तो जब भी की रूहानी मोहब्बत की...
बाज़ारू इश्क़ की ना तो हमें ज़रूरत है ना ही समझ....

ज़िंदगी को इतने क़रीब से देखा कि
ज़िंदगी के हर लम्हे में जी लिया,
दूसरे किसी से कहाँ इश्क़ की कोई उम्मीद थी,
खुद को खुद की मोहब्बत के रंग में रंग लिया...

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