अब मेरे और उनके बीच बातें करने
जैसा कुछ बचा ही नहीं था,
फ़कत ख़ामोशी रह गई थी हमारे दरमियान,
मिलते तो ज़रूर थे एक-दूसरे से
राहों पे चलते-चलते
लेकिन कहते कुछ नहीं थे,
कुछ रिश्तों की डोर से बँधे हुए थे शायद,
इसलिए एक-दूसरे को देखकर मुस्कुरा दिया करते थे.....
3 comments:
Kya baat hai
Tooooooooo GooD RaJu DaRliNGggg..........
veyr nice one...!!!! :) keep on writing...!!!1
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