Sunday, April 24, 2011

Mere aur Un k biche

अब मेरे और उनके बीच बातें करने
जैसा कुछ बचा ही नहीं था,
फ़कत ख़ामोशी रह गई थी हमारे दरमियान,
मिलते तो ज़रूर थे एक-दूसरे से
राहों पे चलते-चलते
लेकिन कहते कुछ नहीं थे,
कुछ रिश्तों की डोर से बँधे हुए थे शायद,
इसलिए एक-दूसरे को देखकर मुस्कुरा दिया करते थे.....

3 comments:

Naresh said...

Kya baat hai

Sandesh Bhat said...

Tooooooooo GooD RaJu DaRliNGggg..........

Sandeep said...

veyr nice one...!!!! :) keep on writing...!!!1