मोहबत की थी , आज भी है , कल भी करता रहूँगा ।
सही गलत पाप पुण्य कभी सोचा नहीं , तेरे सिवा किसी और का ख्याल आया नहीं ।
एक अजीब तपिश है , जलन है , लगता है जैसे सीने में कुछ धधक रहा है ।
मेरी नसों को गौर से देखता हूँ तो तेरे नाम के अक्षर दिखाई देते है ।
लगता है खून में जैसे तू चल रही है मेरे , ना मरने देती है , ना जीने देती है ।
कभी लगता है तबाह हो गया हूँ , अपनी बर्बादी की तरफ बढ़ रहा हूँ , कभी दुनिया एहसास करा देती है की मैं कुछ बन गया हूँ ।
कुछ बना हूँ या तबाह हुआ हूँ ये सवाल है ।
गहरी नींद से जाग जाता हूँ , जाने क्यों तुझे सोच लेता हूँ ।
कोई नहीं जानता क्या चल रहा है मेरे अंदर , किसी से कुछ कह भी नहीं सकता ।
कभी लगता है रोता हूँ , लेकिन आँखों में पानी नहीं होता । सीने में बहुत तेज़ दर्द होता है ।
बहार से देख के कोई नहीं कह सकता , क्या हो गया हूँ मैं ।
कभी लगता है तिनका तिनका बिखर गया हूँ मैं,
मेरी हस्ती मेरा वजूद सब मिट गया है ,
कभी लगता है सन्यासी हो गया हूँ , किसी भी चीज़ का कोई मोह नहीं है ।
बस एक ही चीज़ है जो ना इस पार जाने देती है ना उस पार
कभी आ के एक बार मिल ले , देख ले क्या है मोहबत , जाने ले की तुझसे भी कोई इतनी मोहबत कर सकता है ।
कोई फैसला कर , पाप है तो सजा दे मुझे , पुण्य है तो कोई फल दे मुझे ।
इस तपिस पे अपनी बारिश कर , की सुखी मिट्टी की तरह तेरी खुशबु से महक जाऊ मैं।
ये मत सोच की बहुत कुछ चाहता हूँ तुझसे, बस इतना कह दे की तूने भी कभी चाहा था मुझे ।
तेरे बिना किसी और का नहीं हो सकता , जो कहा है बस उतना कह दे मुझे और आज़ाद कर दे मुझे ।
किसी भी पार लगा दे मुझे , तबाह कर या आबाद कर , कुछ तो कर के जा मुझे ।
कोई तसल्ली ना दे , आखिरी फ़ैसला दे मुझे ।
तिनका तिनका चुन कर मेरा वजूद मेरी हस्ती लौटा दे मुझे, या ऐसे बिखरा जा की फिर कोई चुन ना सके कोई बिन ना सके ।
जला दे मुझे , राख कर दे मुझे , मिट्टी में मिला दे मुझे ।
बस मेरी रूह को , जिंदगी ने जिससे महरूम रखा , वो सुकून दे दे ।
सही गलत पाप पुण्य कभी सोचा नहीं , तेरे सिवा किसी और का ख्याल आया नहीं ।
एक अजीब तपिश है , जलन है , लगता है जैसे सीने में कुछ धधक रहा है ।
मेरी नसों को गौर से देखता हूँ तो तेरे नाम के अक्षर दिखाई देते है ।
लगता है खून में जैसे तू चल रही है मेरे , ना मरने देती है , ना जीने देती है ।
कभी लगता है तबाह हो गया हूँ , अपनी बर्बादी की तरफ बढ़ रहा हूँ , कभी दुनिया एहसास करा देती है की मैं कुछ बन गया हूँ ।
कुछ बना हूँ या तबाह हुआ हूँ ये सवाल है ।
गहरी नींद से जाग जाता हूँ , जाने क्यों तुझे सोच लेता हूँ ।
कोई नहीं जानता क्या चल रहा है मेरे अंदर , किसी से कुछ कह भी नहीं सकता ।
कभी लगता है रोता हूँ , लेकिन आँखों में पानी नहीं होता । सीने में बहुत तेज़ दर्द होता है ।
बहार से देख के कोई नहीं कह सकता , क्या हो गया हूँ मैं ।
कभी लगता है तिनका तिनका बिखर गया हूँ मैं,
मेरी हस्ती मेरा वजूद सब मिट गया है ,
कभी लगता है सन्यासी हो गया हूँ , किसी भी चीज़ का कोई मोह नहीं है ।
बस एक ही चीज़ है जो ना इस पार जाने देती है ना उस पार
कभी आ के एक बार मिल ले , देख ले क्या है मोहबत , जाने ले की तुझसे भी कोई इतनी मोहबत कर सकता है ।
कोई फैसला कर , पाप है तो सजा दे मुझे , पुण्य है तो कोई फल दे मुझे ।
इस तपिस पे अपनी बारिश कर , की सुखी मिट्टी की तरह तेरी खुशबु से महक जाऊ मैं।
ये मत सोच की बहुत कुछ चाहता हूँ तुझसे, बस इतना कह दे की तूने भी कभी चाहा था मुझे ।
तेरे बिना किसी और का नहीं हो सकता , जो कहा है बस उतना कह दे मुझे और आज़ाद कर दे मुझे ।
किसी भी पार लगा दे मुझे , तबाह कर या आबाद कर , कुछ तो कर के जा मुझे ।
कोई तसल्ली ना दे , आखिरी फ़ैसला दे मुझे ।
तिनका तिनका चुन कर मेरा वजूद मेरी हस्ती लौटा दे मुझे, या ऐसे बिखरा जा की फिर कोई चुन ना सके कोई बिन ना सके ।
जला दे मुझे , राख कर दे मुझे , मिट्टी में मिला दे मुझे ।
बस मेरी रूह को , जिंदगी ने जिससे महरूम रखा , वो सुकून दे दे ।
No comments:
Post a Comment