Date : 07/07/2018
मैं पेड़ हूँ , मेरी जड़े बहुत गहरी है ।
हर मौसम को सहता हूँ ,
कभी उफ्फ तक नही करता, कभी किसी से कोई शिकायत नही करता।
कभी किसी से कुछ मांगा नही,
बस जितना जो बन पड़ा दिया है ।
सब की सुन लेता हूँ, अपनी किसी से कहता नही ।
आंधी तूफानों से डरता नहीं, अपनी जगह से हिलता नही ।
जाने कितने पत्थर खाये, चोटो का कोई हिसाब नही,
पर किसी से मरहम की कोई उम्मीद नही ।
स्थिर हूँ , डगमगाता नही।
एक जगह हो के भी अपनी स्थिति से कोई सिकवा नही
मैं अपनी रफ्तार से चलता हूँ ।
किसी से बड़ा होने की, किसी को छोटा करने की कोई मनसा नहीं ।
बस मैं खुद किसी को छाया दे सकू इतनी ही जदोजहद है ।
जब तक जीवित हूँ, अपना धर्म निभाता रहूंगा
मैं पेड़ हूँ, सब का साथ निभाता रहूंगा ।
- राज
मैं पेड़ हूँ , मेरी जड़े बहुत गहरी है ।
हर मौसम को सहता हूँ ,
कभी उफ्फ तक नही करता, कभी किसी से कोई शिकायत नही करता।
कभी किसी से कुछ मांगा नही,
बस जितना जो बन पड़ा दिया है ।
सब की सुन लेता हूँ, अपनी किसी से कहता नही ।
आंधी तूफानों से डरता नहीं, अपनी जगह से हिलता नही ।
जाने कितने पत्थर खाये, चोटो का कोई हिसाब नही,
पर किसी से मरहम की कोई उम्मीद नही ।
स्थिर हूँ , डगमगाता नही।
एक जगह हो के भी अपनी स्थिति से कोई सिकवा नही
मैं अपनी रफ्तार से चलता हूँ ।
किसी से बड़ा होने की, किसी को छोटा करने की कोई मनसा नहीं ।
बस मैं खुद किसी को छाया दे सकू इतनी ही जदोजहद है ।
जब तक जीवित हूँ, अपना धर्म निभाता रहूंगा
मैं पेड़ हूँ, सब का साथ निभाता रहूंगा ।
- राज
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