RAJU R UPRADE
WRITER AND POET FROM HEART.
Wednesday, January 8, 2014
फासले
ना जाने कितने जरियो से रोज़ तुमसे मिलता हूँ जुड़ता हूँ
फिर भी ना जाने कितने
फासले
है मेरे और तुम्हारे दरमियाँ
कि मैं तुमसे मिल कर भी मिलता नहीं जुड़ कर भी जुड़ता नहीं
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