मुझको तुमसे तुमको मुझसे शिकायतें ना थी अपेक्षायें ना थी
कभी मुझको तुमसे तुमको मुझसे कोई गीले शिकवे ना रहे
तुम्हारी किसी बातों का मैंने कभी बुरा माना नहीं
मेरी किसी बातों का बुरा तुमने कभी माना नहीं
सालों साल हो गए मेरे और तुम्हारे रिश्ते को कभी हमारे बीच कोई दुरी नहीं आई
समय के बीतने के साथ मेरी और तुम्हारी मोह्बत में और भी गहराई आती गयी
निशचल प्रेम मेरा तुम्हारे लिए तुम्हारा मेरे लिए निरंतर बढ़ता रहा
मैं तुम्हारे साथ परस्पर हूँ कि नहीं तुम मेरे साथ परस्पर हो कि नहीं
अब इनके कोई मायने नहीं रेह गए थे मेरे और तुम्हारे बीच
अटल सत्य तुम भी जानती थी मैं भी जनता था
हम दोनों के दिलो में एक दूसरे का स्थान और कोई ले नहीं सकता
एक होने के मायने हमारे लिए अलग थे
ये जीवन हमने अपने अपने कर्त्तव्य निर्वाह के लिए समर्पित कर दिया था
हम फिर जनम लेंगे सिर्फ एक दूसरे के लिए मोहबत के बंधन को निभा ने के लिए
No comments:
Post a Comment