धड़कता भी नहीं है
जब कभी कोई तुम्हारा नाम लेता है एक दो पल के लिए ये धड़कना सीख़ लेता है
मैं बहुत असमंजस में रहता हूँ कि इस का क्या करू
बस तुम से एक गुज़ारिश है जब कभी इधर से गुज़रो इस से मिलते जाना
इस पर अपना हाथ रख देना
इस से थोड़ी बहुत बातें कर लेना
शायद इस मेरे दिल को कुछ राहत मिल जाये
और ये दिल फिर से पहले कि तरह खिल खिलाकर धड़कना सिख जाये
No comments:
Post a Comment