RAJU R UPRADE
WRITER AND POET FROM HEART.
Wednesday, December 11, 2013
तुम अज़ीज़ हो बहुत अज़ीज़
मेरा और तुम्हारा क्या रिश्ता है आज इसे परिभाषित कर ने में मैं असमर्थ हूँ
तुम्हे पाने के बारें में कोई ख्याल नहीं किया कभी भी
पर आज तुम्हारे जाने भर के नाम से दिल बैठ सा गया है
बस एक ही आवाज़ है जो निकल रही है सीने से
"तुम अज़ीज़ हो बहुत अज़ीज़
"
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment